भाग 3
शाम को कौशल और पीयूष साथ साथ गंगा किनारे पहुंचे कौशल उस से कहता है " यार तुम तो बहुत तेज़ निकले, हम तो तुम्हे लल्लू समझते थे तुम हमारे भी दादा निकले ,"! पीयूष मुस्करा कर देखता है, वहअपने स्थान पर पहुंचता है ,फिर नदी के उस किनारे देखता है, वहां मैदान खाली दिखाई देता है तो उसका चेहरा उतर जाता है,कौशल कहता है" क्या गुरु , मैं ही पगलेठ मिला था , आज मुझे अपनी बहन के घर जाने वाला था, तुम्हारे चक्कर में सब गड़बड़ हो गया ,बहन के यह जाता तो मुझे कपड़े मिलने वाले थे,उसी समय उस किनारे पर खिलखिलाती लड़कियां आती हैं आज तो कई बच्चे होने से पीयूष परेशान होता है क्योंकि सब एक जैसी लग रही थी , कौशल सबको देखता है ,बोलता है," गुरुआ इतनी दूर चक्कर चला दिया है कि चेहरा भी ढंग से नहीं दिखाई दे रहा है,तेरी आंखे है या दूरबीन इसमें तेरी वाली कौन सी हैं,एकाध से मैं भी चक्कर चला लूंगा गुरु",! गुरु , गुरूआ ये बनारस का ऐसा शब्द है जिसके बिना आप बनारसी लगते ही नही, यहां सभी गुरु है, पीयूष कहता है " केशव ,! मेरा तो दिमागवा ही चकरा गया, ससुरी इतनी कहां से आ गई है,दो में तो पहचान जाता ,पर अब क्या करूं,!? अचानक उस किनारे से एक लड़की ने पीयूष को हाथ हिला कर हाथ वेब किया ,पीयूष उछल पड़ा और चिल्लाया " यही है ,यहीं है ! वह उछल उछल कर हाथ हिलाने लगा कौशल भौछका दोनों पागलों को देख रहा था ,मतलब पीयूष अकेले नहीं देखता था ,वह भी देखती थी ,उधर से वो चिल्लाकर आने का इशारा करती है,इधर से पीयूष आने का इशारा करता है, उनका उन्माद कई लोग देखने लगे तो मारे शर्म के पीयूष थोडा शांत हो जाता है,कौशल कहता है," गुरू ये तो जबरा कनेक्शन है , तुम दोनो तो नदी के दो किनारे पर होने के बाद भी अपने तार जोड़ रहे हो, नाव से जायेंगे तो आने जाने और रुकने का वो 2 हजार वसूल लेगा , और रोड से जायेंगे तो आने जाने में 4 घंटा लगेगा ,कैसे मिलोगे, पीयूष कहता है " 2000 तो मिलने से रहे, रोड के लिए टाइम नही है , एक दिन तैर कर चलते हैं "! कौशल कहता है " गुरु सच में पगला गए हो,जिस दिन गुरुजी को पता चला हम दोनो की चमड़ी खीच जाएगी, गुरु दूसरी चमड़ी के लिए मैं अपनी चमड़ी नही खिंचवा सकता हूं,! पीयूष तो सामने कूद रही अपनी प्रेयसी को देखने में मस्त था थोड़ी देर कूदने के बाद वह शांत हो गई, और खड़ी उसकी तरफ ही देख रही थी ,सुगबुगाहट दोनो तरफ थी , ,कौशल पीयूष को हिलाता है , तो उसकी तंद्रा टूटती है, वह चौक कर देखता है,कौशल कहता है" यार तुम खुद तो मार खाओगे और मुझे भी मार खिलाओगे ,मैं जा रहा हूं ,मां ढूंढ रही होगी,"! सामने सब जाने लगती हैं और उसकी वाली फिर हाथ हिलाती है पीयूष भी हाथ हिलाता है, दोनो एक दूसरे को देखते हुए पलट गए, !
आज पीयूष के पापा घर पर ही थे ,आज उनका ट्यूशन आज कैंसल हो गया था तो सीधे घर आ गए थे,वैसे भी वो बेवजह कहीं जाते नही थे, पीयूष घर पहुंचा तो पापा को देख दर गया ,उसके पापा ने देखा और कहा " कहां से सवारी आरही है ," ! पीयूष घबराता है तो वह कहते हैं" बेटा घबराओ मत यही तो उमर है घूमने फिरने के थोड़ा घूम फिर करो ,खर्चा पानी चाहिए तो मांग लेना ," ! पीयूष खुश होता है उसे उम्मीद नहीं थी कि पापा उसके साथ ऐसा व्यवहार करेंगे,!!
दूसरे दिन क्लास में कौशल कहता है" क्या हुआ ,कल ठुकाई हुई गुरु"! पीयूष मुस्कराकर देखता है और कहता है" आज फिर चलोगे"! केशव उसे देखता है!
आगे की कहानी अगले भाग में,!!!