भाग 4
पीयूष और कौशल गंगा किनारे उछलते मस्त मौला की तरफ तरह चल रहे हैं,कौशल कहता है" गुरूआ, यार इतनी दूर से मजा नही आ रहा है,कुछ जुगाड किया जाए,"! पीयूष कहता है" तो चले उस किनारे ,"! कौशल कहता है कैसे वह कहता है ,तैर के , कौशल उसके चेहरे को देखता है फिर कहता है" तू तो पक्का मरवायेगा , मैं तो कभी कभी गंगा पार नहीं किया, और लहरा भी जोर का है"! तभी उस किनारे लड़कियों का झुंड आता है, और वह लड़की इनको देख कर आने का इशारा करती है,कौशल पीयूष की तरफ देखता है और आश्चर्य चकित रह जाता है,क्योंकि पीयूष गंगा के अंदर कूद गया था, कौशल भी जूते निकाल कर कूद गया, प्यार का उन्माद इतना अधिक होता है की तुलसीदास जी को सांप भी रस्सी दिखा था,उसी तरह पीयूष को गंगा का इतना पाट भी छोटे नाले जैसा नजर आ रहा था, उस पार लड़की ये देख चिल्लाने लगती है वह वहां से हौसला अफजाई करती है, पीयूष को भी उसके अलावा कोई दिखाई नही पड़ रहा था,और कौशल को पीयूष डूबता दिख रहा था।
20 मिनट में दोनो उस किनारे पहुंच जाते हैं ,। वह सुंदरी भी भाग कर आती है,वह वाकई बहुत सुंदर है,और पीयूष भी स्मार्ट और बाका जवान हो रहा था, कौशल को तो अभी भी भरोसा नहीं हो रहा था कि वो दोनो गंगा पार आए हैं ,!
मृदुला उस लड़की ने अपना नाम बताया,उसकी सहेलियां भी आ जाती हैं,सभी हंसी मजाक में लग जाती हैं,पीयूष और कौशल को जरा भी अहसास नही हुआ की वो पहली बार मिले हैं, मृदुला और पीयूष एक दूसरे को देखने में व्यस्त हैं, एक लड़की चॉकलेट देते हुए कहती है," ले री मृदु तु जीती हम हारे,"! पीयूष और कौशल चौकते है तो वह कोमलांगी कहती है, " मृदु ने आज शर्त लगाई थी की आप वहा से इस से मिलने आयेंगे और हमने कहा था इंपोसिबल है ,हमे तो सब हसी मजाक लग रहा था पर अब लग रहा है कि सच में आग लगी है,! वैसे अगर लड़कियों में प्यार जागृत होता है तो वह लडको से ज्यादा निर्भीक होकर अपने प्यार का इज़हार करती हैं,वही मृदु के साथ हुआ ,वह उसके इस हिम्मत की कायल हो गई ,उसे भी विश्वास नहीं थकी वो आएगा उसने तो मजाक में शर्त लगाई थी पर ये तो सच हो गया, उसने पीयूष से कह दिया ," अब अगर मेरा कोई पति होगा तो वह तुम्हारे अलावा कोई नहीं होगा ,दोनो ही लड़के उसके बेबाक इकरार से अचंभित रह जाते हैं ,पीयूष में तो प्यार के अंकुर फूटे थे पर मृदु ने तो पेड़ उगा दिया, दोनो एक दूसरे में इतना खो गए की समय का भी भान नहीं हुआ,उसकी सहेलियां कहने लगी " मृदु अभी बिदा होना है क्या, अरे अभी पढ़ाई पूरी कर ले और इसे भी पढ़ने दे,मृदु शर्मा जाती है,वह उठते हुए कहती है मेरा मोबाईल नंबर ही 8652788094 ,यह नंबर पीयूष के मानस पटल पर छप गया, कौशल कहता है कल ये फोन करके अपना नंबर देगा, मन न होते हुए भी लड़कियां जाती हैं मृदुला ओझल होने तक उल्टी चल रही थी उसने एक क्षण भी उसपे से नजर नहीं हटाई,। वो नजरो से दूर हुई तो पीयूष को होश आया,वह घबरा कर कहता है " यार वापस कैसे जायेंगे,! कौशल कहता है" जैसे आए थे"! अब पीयूष की हालत खराब होती है,अब उसमे गंगा पार जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी तभी कौशल कहता है ," अरे बापरे गुरुजी ,! पीयूष चौक कर देखता है तो सामने उसके पिता घूमते दिखाई देते हैं वह घबराकर गंगा में कूदता है और डर कर उस पार जाने लगता है,उसके पीछे कौशल है ,इंसान या तो प्यार में मतवाला होता है या डर के भी उसी तरह बचाव में आ जाता है, आते समय प्यार का उन्माद था तो जाते समय पिता से बचने का डर दोनो को गंगा पार करवा दिया,।
आगे की कहानी पढ़िए अगले भाग में,,,! पढ़िए