भाग 2
पीयूष नदी के किनारे बैठा उस पार चल रही अठखेलियों को देख रहा था, उसका मन तो उस लंबी वाली लड़की पर रीझ गया था, उसका बस चलता तो वह उस पार चला जाता ,वैसे वह एक अच्छा तैराक भी था, उसके दादा ने उसे तैरना इसी गंगा घाट में सिखाया था,पर तैर कर उस पार जाना नही चाहता था, थोड़ी देर में सामने के किनारे से वो लड़कियां और उसके दूसरे साथी अपने घर की तरफ जाने लगता है तो पीयूष का चेहरा उतरने लगता है,उसे लगता है जैसे कोई उसकी जान लेकर जा रहा है, उनके जाने के बाद वह भी उठता है , उसे अब घाट काटने को दौड़ने लगा,उसे गंगा की पानी की कलकल भी शोर लगने लगा,थोड़ी देर पहले तक वही म्यूजिकल लग रहे थे,!
पीयूष घर में बैठा हुआ है,उसकी मां उस से पूछती है " बेटा क्या बात है आजकल तू देर से आ रहा है,कोई दोस्त बन गया क्या,!वह कहता है " नही मम्मी पिता जी के डर से मेरा कोई दोस्त बना ही नही और वैसे भी मैं तो उन्ही के साथ आता जाता हुं,"! मां उसे खाना परोसती है, वह खाते हुए उसके बारे मे ही सोच रहा है कभी उसका हंसना याद आता है तो कभी उसका कूद कूद कर लंगड़ी खेलना,इस चक्कर में उसका खाने पे ध्यान नहीं रहता है,उसकी मां उस से पूछती है ," बेटा तेरा ध्यान कहा है , तू कहां खोया है,"! वह हड़बड़ा जाता है और जल्दी जल्दी
खाता है," ! मां उसे देखती है,।
पीयूष स्कूल में बैठा है, उसके साथ बैठा लड़का कौशल तिवारी है वह अपने काम में व्यस्त हैं,पीयूष उस से धीरे से बोलता है," कौशल , कौशल "!! कौशल उसे आश्चर्य से देखता है," बोलो,!! क्योंकि पीयूष कभी किसी से जल्दी बात नही करता है, वह कहता है" भाई तुम किसी लड़की को चाहते हो,"! कौशल उसे आश्चर्य से देखता है ,और कहता है" गुरुजी से बोलूं,?? पीयूष घबरा जाता है,कौशल मुस्कुराता है,।
लंच ब्रेक में आज पहली बार कौशल के साथ लंच बॉक्स शेयर करने बैठा ,वरना तो रोज टीचर्स रूम में पापा के साथ बैठता था,
टीचर्स रूम में दूसरे टीचर्स उसके पापा कि खिंचाई करते हैं,,एक कहता है" दुबे जी आज बच्चा कहां रह गया,"! दुबे जी को झटका लगा वो बोले" अरे मिश्र जी अब वो बच्चा नहीं है बड़ा हो गया है,"! दूसरे कहते हैं," आप ने उसे बड़ा कब होने दिया हर समय पिछे पिछे घूमते हैं अरे उसको अकेले भी छोड़ा करो थोड़ा जनरल सेंस भी सीखने दो,"! मिश्र जी कहते हैं" इनके बेटे की तरह,इतना सेंसिबल हो गया है की तीन तीन लड़कियों को पटा लिया है," ! मिश्र जी नाराज़ होते हुऐ कहते हैं," आज के मॉडर्न जमाने का लड़का है जवानी की तरफ बढ़ रहा है तो अपोजिट सेक्स की तरफ झुकाव तो होता ही है,और वो सब उसकी फ्रेंड है ,गर्ल फ्रेंड नहीं दोनों में बहुत अंतर है,"!
कौशल खाते हुए पीयूष से पूछता है" हूं बोलो क्या पूछ रहे थे"? पीयूष थोडा घबराते हुए इधर उधर देखता है, और पूछता है" तुम्हारा किसी लड़की से दोस्ती है क्या,? कौशल मुस्करा कर कहता है" हैं ना दो हैं ,अच्छा ये बता तू ये क्यों पूछ रहा हैं ,कोई पसंद आ गई क्या"? वह हड़बड़ा कर कहता है " हां ,!! नही नही वो में वैसे ही पूछ रहा था,!! कौशल जो मस्त मौला था वह मुस्कराकर उसके कंधे पर हाथ फेरते हुए कहता है" बोल दे भाई ,किसी से कहूंगा नही ,!!
आगे की कहानी अगले भाग में आप पढ़ते रहिए और अपनी राय अवश्य देते रहे!!!