भाग 11
पीयूष की आंखों के आंसू पोछने के बाद कौशल कहता है," अबे रोने से काम नही चलेगा , अब उसके वादे को पूरा करने की सोच, "! पीयूष कहता है," उसने स्कूल में टॉप की बात की है ना मैं उसे ऐसा सरप्राईज दूंगा की वो भी सोचेगी, फिर देखता हु क्या करेगी,!
रात घर में, वह पापा के पास जाकर मोबाइल देकर कहता है," लीजिए अब मैं स्कूल में टॉप करने के बाद आपसे लूंगा ,अब आपको मौका नही दूंगा अपनी बेइज्जती करने का,"! और वह अपने कमरे में जाता है, नीता और अशोक दोनो ही चौकते हैं, क्योंकी इसका तेवर ऐसा कभी नहीं था, नीता कहती है," आप कैसे बाप हैं ,इकलौता बेटा है ,कही कुछ कर ले तो क्या करेंगे , इतना भी बुरा नही है, की उसके सरे आम बेइज्जती की जाए , आपको नही लगता है कि आप ने गलत किया,! अशोक कहते हैं," तुम बेवकूफ हो , उसी बेइज्जती की वजह से ही तो इसमें ताव आया है, चलो तेल देखते हैं और उसकी धार भी, ।
दूसरे दिन सुबह नीता उठती है और बहार आती है तो पीयूष के कमरे की लाइट जलता देख सोचती है की ये लगता है रात में लाइट बंद करना भूल गया, क्योंकि वह सुबह 4.30 बजे उठकर पूजा पाठ कर के ही दिन की शुरुआत करती है, उसके बाद चाय बनाकर दोनो बाप बेटे को उठाती है, वह बेटे के कमरे में जाती है तो आश्चर्य चकित रह जाती है,क्योंकि उसका बेटा पढ़ाई कर रहा था, वह उसे डिस्टर्ब किए बिना चुप चाप बाहर आ जाती है, उसे आज सचमुच बहुत प्रसन्न होती है ,वैसे पीयूष पढ़ने में तेज़ है और हमेशा ही टॉप टेन में रहता है, पर अगर अच्छे से पढ़े तो वह स्कूल टॉपर आसानी से बन सकता है, ।
अशोक उठते हैं, नीता जब उन्हें बताती है, तो वह भी आश्चर्य चकित होकर कहते हैं " जय हो भोलेनाथ ,काशी विश्वनाथ बाबा बस इस बच्चे की बुद्धि ठीक रखे, !
स्कूल में भी वह पढ़ाई छोड़ ,किसी और बात पर ध्यान नहीं देता है, यहां तक कि कौशल से भी अधिक बात नहीं करता है, ।
दिन बीतने लगता है और पीयूष के पढ़ाई के चर्चे भी स्कूल में होने लगते हैं, उसकी तारीफ से चिढ़ कर कुछ बच्चो को कौशल बता देता है कि वह क्यों इतनी पढ़ाई कर रहा है, और ये बात सभी के कानो तक पहुंचने तक बहुत ही कम समय लगता है , टीचर्स रूम में ,मिश्र जी दुबे जी से पूछते हैं," का हो दुबे जी ,बड़ा नाम हो रहा बेटे का भाई ,पढ़ाई में तो इतना घुस गया है कि उसे खाने पीने की सुध नहीं रहती है, और यह भी पता चलता हैं कि इसके पीछे कोनो लौंडिया है जिसने उसे कसम दी है टॉपर बनने की, "! दुबे जी नाराज़ होकर कहते हैं," मिश्रा जी , आप अध्यापक कैसे बन गए , आप को लड़की और लौंडिया में फर्क महसूस नहीं होता है, आप अपनी घर की इसी तरह बुलाते हैं,"! सभी हंसते हैं,तो मिश्र जी झेप जाते हैं,,।
शाम को पीयूष अपने कमरे में पढ़ रहा है नीता चाय लेकर आती है और उसके पास रख कर उसके सर पर हाथ फेरते हुए पूछती है " बेटा ये जो स्कूल में सब किसी लड़की की बात कर रहे हैं वो सच है क्या," ! पीयूष मां को देखता है, तो वह कहती है ," देख जो भी है मुझे सच सच बता दें, मैं तेरी मां हूं जो भी सोचूंगी तेरे भले के लिए ही सोचूंगी, ! पीयूष चाय पीते हुए मां को शुरू से अंत तक सब बता देता है, और कहता है " मां मैं पूरे स्कूल में टॉप आकर दिखाऊंगा , "! नीता कहती हैं," तु टॉपर आएगा तो मैं खुद मृदुला के घर जाकर तेरी बात करूंगी और उसे अपनी बहु बनाऊंगी , तु इतना बड़ा और समझदार हो गया है ये आज पता चला ,! वह उसके माथे को चूमती है,!
रात अशोक कहते हैं," तुमने उसे और बढ़ावा दे दिया ,पता नहीं कौन हैं कैसे ब्राह्मण हैं,! नीता कहती है वो सब बाद की बात है,पहले उसे टॉपर तो होने दीजिए , हमारा तो फायदा ही है, आज उस लड़की के कहने से वह वो काम कर रहा है ,जिसके लिए हम लोग कह कर थक गए थे,।
रात में पीयूष पढ़ रहा है नीता उसे चाय लाकर देती है, तो वह कहता है," क्यों परेशान हो रही हो , मुझे इतनी चाय की जरूरत नहीं है, आप सो जाओ मैं भी थोड़ी देर में सो जाऊंगा, "! पर मां का दिल कहां मानता है,!
वही हाल दूसरी तरफ मृदुला का भी है ,वह भी पूरी तरह से पढ़ाई में लग गई है,उसे भी अपने स्कूल में टॉप करना है, उसके माता पिता भी खुश हैं कि उनकी नटखट बेटी पढ़ाई में पूरा ध्यान दे रही है, मृदुला मोबाइल पर आए पीयूष के फोटो को देखती रहती है, वह उसको देखे बिना नहीं रह सकती है,।।
आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए,,!!