भाग 10
पीयूष घर में बैग रखता है आज उसे बहुत गुस्सा आ रहा है, उसकी मां उसे देखते ही समझ गई कि वह गुस्से में है, उसके पापा फ्रेश होकर बाहर आते हैं वह चाय लाकर रखती है, और पूछती है," उसको डांटा था क्या ,मुंह फुला हुआ है, "! पापा कहते हैं, " खैर मनाओ ,चमड़ी नही निकली है, पंडित जी बिगड़ते जा रहे हैं,अगर सुधरे नही तो, मजबूरन सुधारना पड़ेगा, ! वह चाय पी कर जाते हैं, नीता चाय लेकर पीयूष के पास जाती है वह कपड़े पहन कर बाहर जाने की तैयारी कर रहा है,मां चाय रखती है, और कहती है," का हुआ रे ,? काहे मुंह फुला है हमारा जिगर के टुकड़ा का ,! नीता उसके सर पर हाथ फेरते हुए पूछती है, ! उसकी आंखों में आसूं आते हैं और वह स्कूल की घटना बताता है तो,नीता कहती हैं," तु चिंता मत कर मैं आज रात में बात करूंगी ,बाकी बेटा अब एग्जाम आ गया है तो पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए, चल चाय पी ले कुछ खायेगा, वह चाय पिता है , नीता उसको सौ रुपए देती है तो वह खुश होता है, और मां के लग के जाता है, ।
कौशल और पीयूष घाट पर बैठे हैं,सामने से मृदुला अपनी फौज के साथ आती दिखाई देती है तो पीयूष एक्साइटेड हो कर खड़ा होता है, कौशल कहता है," पगला गया है हमरा मित्र , अरे गदहा तु तो सच में मजनू बन गया है,"! वह उसे मुस्कराकर कहता है " अरे तुझे का मालूम होगा ,कहते है न अदरक का जाने बंदर का अरे यार बदरक ओफ्फो बंदर का जाने अदरक का स्वाद, ! कौशल कहता है " देख रहा हूं,और स्वाद भी समझ आ रहा है भईया , हैं तो इस से दूर ही ठीक हैं, ! मृदुला पास आकर कॉल करती है, पीयूष हड़बड़ा कर उठाता है, " हैलो सजनियां ,यार अब आज मत भाग जाना,"! वह कहती है," अब का करे सजनवा ,कल पापा को लैपटॉप से कुछ ईमेल भेजना था अर्जेंट तो बुला लिया, और पापा को तो माना तो नही कर सकते हैं ना,और बताइए का हाल है,"! वह कहता है" अब का बताए ,पूरी रात सो नहीं पाए ,तुम्हारे टास्क के चक्कर में,पता नही कौनसा टास्क देने वाले थी, "! वह कहती हैं " सजनवा , आज से तुम्हे और हमे दोनो को फोन बंद करना होगा, "! पीयूष की तो जान हलक में आ जाता है, वह हकलाते हुए कहता है," का कह रही हो तुम हमसे हमारी जान मांग रही हो, "! वह कहती हैं" सजनवा आप हमारी बात का गलत मतलब निकाल रही हो, और हम ये चाह रहे हैं की आप अगर हमे सच में पाना चाहते हो तो एक वादा और करना होगा ,! पीयूष चौक कर कहता है, " अब का बच्चे की जान लोगी, बता दो जो बताना है, एक ही बार में जान निकले,"! कौशल बोर होता हुआ सब सुन रहा है,मृदुला कहती है," शुभ शुभ बोली सजनवा , मेरे रहते आपको कुछ नहीं होगा, में चाहती हूं कि आप और मैं दोनो ही स्कूल में टॉप रैंक में आने चाहिए, तभी मज़ा आएगा , तब तक के लिए हम दोनो का मेल मुलाकात बंद ,कल से मैं भी नही आऊंगी और ना आप आयेंगे ,अगर आप सच्चा प्यार करते हो तो मानेंगे नही तो कोई बात नही , और रिजल्ट आने के बाद हम दोनो एक दिन घूमने चलेंगे अकेले, ! पीयूष बहुत निराश होकर कहता है," मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता हूं, तुम्हे पाने के लिए मैं कुछ भी करूंगा, तुम चाहती हो ना मैं टॉप आऊं तो वह मैं आकर रहूंगा ,ठीक है आज के बाद हम रिजल्ट वाले दिन ही बात करेंगे, ठीक है सजनियां ,आई लव यू,! मृदुला कहती है," ई हुई न हमरा सजनवा वाली बात, वैसे हम भी दिल पर पत्थर रखकर आप से ये वादा लिया है, लव यू टू सजनवा ,अब रिजल्ट वाले दिन ही मिलेंगे,!
वह फोन काटती है और अपने आंसू पोछती है, और अंतिम बार उसकी तरफ हाथ वेब करती है, तो पीयूष भी हाथ वैब करता है ,वो जब तक आंखो से ओझल नहीं हो जाते है तब तक दोनो एक दूसरे को हाथ दिखाते हैं, कौशल कहता है, " अरे भाई हाथ दुख जायेगा , चली गई वो, पर गुरु मान गया वो असली प्रेमिका है ,तुम्हे बड़ा सबक सीखा गई , तुम्हे ही नही, मुझे भी सिखा गई ,! चलो चले, पीयूष की आंखों में आसूं आते हैं और वह कौशल के कंधे पर सर रख कर रोता है, वही हाल आज मृदुला का भी था घर जाने से पहले वह अपने बहन के कंधे पर सर रखकर रोती है , फिर आंसु पोछ कर घर की तरफ जाने से पहले एक बार घाट की तरफ देखती है तो, उसे भी कौशल के कंधे पर सर रखकर रोते देखती है,दरअसल सिर्फ कंधे पर सर रखा दिखाई देता है, पर वह समझ जाती है, और फिर से आंसु पोंछ कर झटके से जाती है,!!
आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए,,!!