भाग 8
पीयूष अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा है, पर उसका मन पढ़ने में नही लग रहा है, तभी उसके मोबाइल का मैसेज टोन बजता है, वह फट से उठाकर देखता है, मृदुला ने अपनी फोटो भेजी है, वह मुस्करा अपनी पढ़ते हुए फोटो भेजता हैं, तो वह मैसेज करती है, " सॉरी सजनवा, आप पढ़ाई करिए और अच्छे से करिए ,! पीयूष उसे मैसेज करता है " अरे नही , तुम मैसेज भेज सकती हो, ! वह ने का सिंबल भेज के नेट ऑफ करती है ,पीयूष को खुद पर गुस्सा आता है कि उसने पढ़ने वाला फोटो क्यों भेजा, वह गुस्से में किताब पटक देता है,वह उसका मैसेज इरेज करता है ताकि कभी पापा ना देख ले, और सो जाता है,।
सुबह सुबह उसके मोबाइल पर मैसेज आता है , सादर प्रणाम, हाथ जोड़ने का सिंबल साथ में है,पीयूष नहाने गया है ,उसके पिता मैसेज देखते हैं, तभी पीयूष आता है, वह पापा के हाथ में मोबाइल देख कर चौकता है, पीयूष को देख कर वह पूछते हैं," अरे तुम्हे प्रणाम, वो भी सादर प्रणाम करने वाला कौन आ गया भाई, मुझे पता ही नही चला कि तुम इतने बड़े कब हो गए ,कौन है ये, "! पीयूष फोन हाथ में लेकर देखता है,और कहता है," ये घाट पर एक लड़का मिलता है ,वो अभी आठवी में पढ़ रहा है, वही है ,मृदुल नाम है,पहली बार उसने पापा के सामने झूठ बोला था,।पापा उसे देखते हैं,।
क्लास में कौशल कहता है, " वाह गुरु, बहुत सही झूठ बोले,अगर गुरुजी पूछ लेते कहां रहता है, किसका लड़का है ,तो नानी याद आ जाती,! पीयूष कहता है," भाई उस वक्त जो समझ आया वो कह दिया ,अब उसको बोलना पड़ेगा की ,सुबह सुबह मैसेज न करे,!
शाम को घाट पर दोनो मित्र बैठे हैं,सामने की तरफ उनकी नजर टिकी है, तभी दोनो बहने और कुछ छोटे बच्चे उस किनारे की तरफ आती दिखाई देती हैं, पीयूष खुश होकर,हाथ हिलाता है, तो सामने से भी हाथ हिलाकर अभिवादन किया गया, सामने से कॉल आता है, पीयूष उठाता है,और कहता है" हैलो जी, कैसी हैं,"! वह कहती है" अपने सुबह हमे आशीर्वाद नही दिया ,हम नाराज़ हैं,! वह कहता है" अरे ,सजनी ,पापा ने मैसेज देख लिया था ,बच गया वरना मोबाइल तो जाता ही मेरी चमड़ी के जूते बन गए होते,। वह हंस कर कहती है" अरे सजनवा हमारे ससुर जी मोची कब से बन गए,! पीयूष को बहुत बुरा लगता है कि उसके पिता को मोची कह रही है,वह नाराज़ होते हुऐ कहता है" अब मैं तुमसे बात नही करूंगा ,तुम मेरे पापा की बेइज्जती कर रही हो,! वह हड़बड़ा कर कहती है " सजनवा हम तो मजाक कर रहे थे"! वह कहता है" मैं अपने मां पापा पर कोई मजाक करे ये बर्दास्त नही कर सकता,तुम्हे कान पकड़ कर , उठक बैठक करनी होगी,"! वह देखता है वह सच में कान पकड़ कर उठक बैठक करने लगी, वह हड़बड़ा कर कहता है" अरे बस बस अब और नहीं,आगे से ऐसा मजाक नहीं करना हमरी सजनी, आई लव यू,! सामने से वह भी कहती है" सजनवा आई लव यू टू थ्री फोर जितनी भी गिनती होती है पूरा,! और हंसने लगी, । कौशल कहता है," यार हम तो बेवकूफ हैं जो यहां आते हैं, तुम दोनो फोन पर एक दूसरे को देखते हुए गुटर गूं करते हो और हम निट्ठले की तरह तुम्हारा मुंह देखते रहते हैं,"! पीयूष कहता है " तो क्या करें,! सामने मृदुला भी सुन रही है,वह कहती है" सजनवा तुम्हारा ये दोस्त पगलैठ है क्या , अरे उनसे कहो ,लड़की कोनो मिठाई नही है ,जो लाकर दिया और गपक लिया ,अरे ये दो दिलों कि बात है, वैसे भी शेर को अपना शिकार करना चाहिए ,"! कौशल सुनकर चिढ़ता है" रुको मैं तुम दोनों की पतंग ही काट देता हूं,फिर देखता हु कैसे चढ़ेगा प्यार का रंग ,हम अभी जाकर गुरुजी को सब बता देंगे "! वह गुस्से में उठकर जाता है,पीयूष घबराकर मृदुला से कहता है " अरे सजनी ,बात तो गड़बड़ा गया,रखो फोन अब 50 रुपए खर्च करने होंगे,वह फ़ोन काटता है,और कौशल के पीछे भागता है,!
कौशल और पीयूष पांडे मिठाई शॉप पर दोनो खड़े होकर चाट खा रहे हैं,पीयूष कहता है," भाई दो दिन खिलाऊंगा ,भले ही पूरे हफ्ते का पैसा खर्चा हो जाए ,पर घर में मत बोलना वरना तेरे नाम की चिट्ठी लिख कर जान दे दूंगा,"! कौशल कहता है" अबे ! हमारे नाम की चिट्ठी क्यों लिखेगा ,"! वह कहता है मरेंगे तो तुम्हारे ही कारण,"! उसकी आंखों में आसूं आते हैं, तो कौशल कहता है " अरे यार मुझे तो चाट खानी थी इसलिए ये ड्रामा किया , सॉरी मुझे नही पता था, तु इतना इमोशनल हो जायेगा,"! वह उसको गले लगाता है,पीयूष रोता है और कहता है" में मृदुला के बिना नहीं रह सकता हूं,और पापा से डर भी लगता है , कौशल कहता है" इतना डरना था तो प्यार क्यों किया"?? पीयूष सोचता है,।
आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए,,,,!