भाग 12
पीयूष पानी में गोते खा रहा है ,दूसरे मगरमच्छ को देख सभी चिल्लाने लगते है तो जिसने गोली चलाई थी वह लपक कर उसके मुंह पर फायरिंग करता है, तो मगरमच्छ वही तड़पने लगता है , रक्षक पानी में कूदकर पीयूष को उठाता है, और बाकी लोग उसे ऊपर खींचते हैं, घाट पर पुलिस आ जाती हैं क्योंकि दो बार फायरिंग की आवाज उन्हे सुनाई पड़ गई थी वैसे भी इतना हंगामा घाट पर मचा था तो उन्हे आना ही था, पुलिस देख वह फायरिंग करने वाला कहता है " देख भईया हम वहां जायेंगे तो पुलिस हमे पकड़ लेगी ,ये तो मजबूरी में बच्चे की जान बचाने के लिए ,मुझे फायर करना पड़ा अब मेहरबानी करके मुझे उस पार उतार दो , रक्षक उसके हाथ में पिस्टल देख और मौके के नजुकता को देखते हुए, उस पार जहां मृदुला का परिवार और गांव वाले खड़े हैं नव ले जाने लगते हैं ,नाव अपनी तरफ आते देख मृदुला के पापा डॉक्टर को फोन करके बुलाते हैं , जब तक नाव किनारे आती है,तब तक डॉक्टर भी भाग कर आ जाते हैं वह अपराधी तो नाव रुकते ही कूदकर भागता है , पांडे जी फट से पीयूष को उतरकर उसका चेक अप करवाते हैं ,उधर सेवदुस्री नाव में कुछ लोग और आते हैं तो साथ में पुलिस और कौशल भी आ जाते हैं , कौशल के बताने पर घाट पर से किसी ने ,उनके पिता अशोक को घटना बढ़ा चढ़ाकर बता दिया तो वह और नीता भागकर घाट पहुंचते है और दूसरे किनारे जाने की जिद्द करने लगते हैं तो, रक्षक का फोन घाट पर आता है सब ठीक है अभी वो लोग आड़े हैं , मृदुला तो जैसे रो रो कर पागल हो रही थी , पीयूष को होश आता है वह भिड़ देख घबरा जाता है तो मृदुला के पापा बोलते हैं " तुम ठीक ठाक हो , और ऐसी क्या जरूरत पड़ गई थी जो पानी में कूद पड़े कुछ ऊपर नीचे हो जाता तो तुम्हारे माता पिता क्या करते कभी सोचा , ! पीयूष रोटी हुई मृदुला को देखता है ,उसे होश आया देख मृदुला अपने आंसू पोछती है, तभी रक्षक बोलता है चले बाबू , पांडे जी इसको उठाकर नाव में बिठाते हैं, वह उनके चरण छूता है, मृदुला उसे देखती रहती है नाव दूसरे किनारे घाट को और चल पड़ती है पुलिस वाले भी नाव घुमा लेते हैं , ! एक बड़ी दुर्घटना रक्षक के सावधानी से टल जाती है , घाट पर नाव लगते ही नीता बेटे से लिपट कर रोने लगती है नीता ने अशोक से बोल दिया था की वह एक शब्द भी उसे नही बोलेंगे ,और वो बोलेंगे भी क्या वह खुद भी अंदर से हिल गए थे एक ही बेटा है अगर कुछ हो जाता तो, वो लोग कैसे जीते उनकी तो बोलती हो बंद हो गई थी ।
अशोक जी का एक अच्छा रुतबा होने की वजह से , मामला रफा दफा हो गया ,वरना पुलिस तो केस बना ही देती आत्महत्या के प्रयास का, !
घर में मां पीयूष को खान वाना खिला कर उसे लिटाती है , और उसके सर के पास बैठी सर पर हाथ फेरते हुए उसे देखती है, पीयूष खुद अभी तक हादसे से उबर नहीं पाया था, वह तो अभी भी पानी में गोते लगा रहा था , वह सोचता है अगर मगरमच्छ खा लेता तब क्या होता मृदुला तो मरती ही मेरे मां बाप भी पागल हो जाते ,उसे आज अपने पिता का रोता चेहरा देखा था , उसे बहुत अफसोस होता है , वह उठाकर पिता के पास जाकर पैर पकड़ कर माफी मांगता है तो अशोक उसे गले लगाकर रोने लगते हैं ,!
यही हाल वहां मृदुला का था वह रोई जा रही थी ममता ने मां को सब बता दिया था, uake पापा उसे बहुत चाहते थे वह तो किनारे पर ही सब समझ गए थे पर गांव के लोगो के सामने वह कुछ नहीं बोले ,वो पीयूष के देख पिछली बार उनके गांव आने की वजह भी समझ गए थे ,दबंग होने के बावजूद वो दो बेटियों के बाप भी थे, वह बेटी को प्यार से समझाते हैं कि एग्जाम होने के बाद वह उसके पिता से बात करेंगे वैसे भी उसके पिता उसके पुराने परिचित हैं,।
कौशल को भी हालत खराब है उसके पिता ने उसकी खूब पिटाई को थी वह उसका जिम्मेदार उसे ही ठहराते हैं ,
सुबह कौशल के पिता और स्कूल के टीचर्स भी अशोक के घर आते हैं सबको खुशी है की बच्चा बच गया ,यह खबर रात भर में पूरे बनारस में फैल गई थी और जिसने मगरमच्छ को मारा था वह भी बहुत बड़ा डकैत था ,पर इंसानियत उसमे थी तभी तो आपने पकड़े जाने की परवाह किए बिना उसने गोली चलाई,और उसकी जान बचाई।
तरह तरह को कहानियां लोग बना रहे थे ,कोई कह रहा था बाप के टॉर्चर से आत्महत्या करने गया था तो कोई कुछ कह रहा था। पीयूष शांत कमरे में बैठा था , उस से किसीने कुछ नही कहा,!!
आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए,!!