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तुम आखिर करती ही क्या हो?

31 मई 2022

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रचनाएँ
अल्फाज़
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यह पुस्तक एक लघुकथा संग्रह है । इस पुस्तक में मेरे द्वारा अनुभव की गई अनेक घटनाओं का जिक्र है जो आज के समाज को आईना दिखाती हैं । इस पुस्तक की सभी लघुकथाएँ सच्ची घटनाओं पर आधारित हैं । हो सकता है कि आप भी कहीं न कहीं खुद को मेरी रचनाओं में खोज पाएँ क्योंकि हम सभी एक ही समाज का अंग हैं और यहाँ की हर घटना हम सबके जीवन को प्रभावित करती है।
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आत्मसम्मान

10 मई 2022
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सम्मान तो हर तरह का ही कीमती होता है लेकिन इनमें सर्वोपरि है-आत्मसम्मान। आत्मसम्मान को चोट लगती है ना तो इंसान बौखला जाता है । आत्मसम्मान पर ठेस के कारण ही अम्बा ने शिखंडी बनकर पितामह भीष्म से बदला लि

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अल्फाज़

11 मई 2022
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वो अल्फाज ही होते हैं ना! जो कभी जख्म देते हैं और कभी मरहम का काम करते हैं। कभी खंजर से भी पैने होते हैं और कभी मखमल से भी मुलायम। अल्फाज तो वही हैं। कुछ बदलता है तो बस बोलने का तरीका और बोलने वा

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अजीब गुनाह है

21 मई 2022
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अजीब गुनाह है ना लड़की होना भी। सारी उम्र पाबंदियों में ही निकल जाती है कि ये मत करो, वो मत करो। यहाँ मत जाओ, वहाँ मत जाओ। ऐसे खाओ, ऐसे कपड़े पहनो। ऐसे बात करो, ऐसे बैठो बगैरह बगैरह। और इतने सब के बाद भ

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मोबाइल फोन

31 मई 2022
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कहते हैं ना कि कोई चीज़ हमेशा प्राथमिकता नहीं रहती। वक़्त के साथ-साथ हर चीज़ का विकल्प मिल जाता है । हाँ! बहुत समय से यह मान्यता थी कि इंसान का कोई विकल्प नहीं हो सकता लेकिन इंसान के दिमाग ने ही इस धारणा

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हम भूल न जाएँ उनको

31 मई 2022
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आज मैं अपनी मौसी को उनके बेटे लड्डू को पढ़ाते हुए देख रही थी । लड्डू अभी चार साल का है और बहुत शैतान है । मौसी उसे पढ़ाते हुए चिड़चिड़ा जातीं और अक्सर उसे एक-दो थप्पड़ भी रख देतीं क्योंकि वो पढ़ने की बजाय

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तुम आखिर करती ही क्या हो?

31 मई 2022
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सारा दिन थकान-थकान करके पूरा घर सिर पर उठाए रहती हो । तुम आखिर करती ही क्या हो? बस घर के ये छोटे-मोटे काम और इतने में ही तुम थक जाती हो?ये बात लगभग हर घरेलू महिला को सुनने को मिलती है । सुबह सबसे

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