आचार्य चतुरसेन एक ऐसे विद्वान् थे जिनका साहित्य क्षेत्र कहानी तथा उपन्यास तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्हें चिकित्साशास्त्र एवं रसायनशास्त्र की भी ख़ास समझ थी। उपन्यास का यह अंश इस विशेषता को पूर्णतः स्पष्ट करता जान पड़ता है- “कीमिया अर्थात् ‘रसायन’, भार
आदमी का जहर एक रहस्यपूर्ण अपराध कथा है। इसकी शुरुआत एक ईर्ष्यालु पति से होती है जो छिपकर अपनी रूपवती पत्नी का पीछा करता है और एक होटल के कमरे में जाकर उसके साथी को गोली मार देता है। पर दूसरे ही दिन वह साधारण दिखने वाला हत्याकांड अचानक असाधारण बन जाता
राम चंद्र श्रृंखला की दूसरी किताब सीता: मिथिला की योद्धा। एक रोमांच जो एक दत्तक बच्ची के प्रधानमंत्री बनने की कहानी दर्ज करता है। और फिर देवी बनने की।3400 ईसा पूर्व भारत मतभेदों, असंतोष और निर्धनता से घिरा था और उस दौर में जनता अपने शासकों से नफरत कर
नारायण एक सितारवादक है। जीविका के लिए वह परिवार को दूसरी जगह छोड़कर अपने पुराने शहर में आता है और यहीं से मकान की तलाश शुरू होती है। इस दौरान उसका सितार से साथ छूटने लगता है; और अब वह जिनके साथ जुड़ता है उनमें मकान बाँटनेवाला अफ़सर है, कर्मचारी-यूनियन क
महाभोज – मन्नू भंडारी मन्नू भंडारी का महाभोज उपन्यास इस धारणा को तोड़ता है कि महिलाएं या तो घर-परिवार के बारे में लिखती हैं, या अपनी भावनाओं की दुनिया में ही जीती-मरती हैं! महाभोज विद्रोह का राजनैतिक उपन्यास है! जनतंत्र में साधारण जन की जगह कहाँ है? र
2017, दिल्ली - विद्युत के मृत पूर्वज ने उन्हें बनारस बुलाया। देव-राक्षस मठ, या देव-दानव कबीले के पुराने ब्राह्मण सरदार, एक द्रुतशीतन रहस्य रखते हैं। उनके खून में एक प्राचीन अभिशाप है जो मानव जाति को अपने हिंसक विलुप्त होने की ओर ले जाएगा। 1700 ईसा
नब्बे का दशक सामाजिक और राजनीतिक मूल्यों के लिए इस मायने में निर्णायक साबित हुआ कि अब तक के कई भीतरी विधि-निषेध इस दौर में आकर अपना असर अन्तत: खो बैठे। जीवन के दैनिक क्रियाकलाप में उनकी उपयोगिता को सन्दिग्ध पहले से ही महसूस किया जा रहा था लेकिन अब आक
आपका बंटी' और 'महाभोज' जैसे उपन्यास और अनेक बहुपठित-चर्चित कहानियों की लेखिका मन्नू भंडारी इस पुस्तक में अपने लेखकीय जीवन की कहानी कह रही हैं । यह उनकी आत्मकथा नहीं है, लेकिन इसमें उनके भावात्मक और सांसारिक जीवन के उन पहलुओं पर भरपूर प्रकाश पड़ता है
बिश्रामपुर का संत' समकालीन जीवन की ऐसी महागाथ है जिसका फलक बड़ा विस्तीर्ण है और जो एक साथ कई स्तरों पर चलती है ! एक ओर यह भूदान आन्दोलन की पृष्ठभूमि में स्वातंत्रयोत्तर भारत में सत्ता के व्याकरण और उसी क्रम में हमारी लोकतान्त्रिक त्रासदी की सूक्ष्म पड़
लेकिन आदर्शवाद की एक कीमत होती है. उसे वह कीमत चुकानी पड़ी. ३4०० ईसापूर्व, भारत. अलगावों से अयोध्या कमज़ोर हो चुकी थी. एक भयंकर युद्ध अपना कर वसूल रहा था. नुक्सान बहुत गहरा था. लंका का राक्षस राजा, रावण पराजित राज्यों पर अपना शासन लागू नहीं करता
‘उमरावनगर में कुछ दिन’ श्रीलाल शुक्ल की प्रस्तुत पुस्तक में तीन व्यंग्य कथाएँ सम्मिलित हैं—‘उमरावनगर में कुछ दिन’, ‘कुन्ती देवी का झोला’ और ‘मम्मीजी का गधा’। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, संग्रह की आधार-कथा है : ‘उमराव नगर में कुछ दिन’ उमराव नगर यानी एक
व्यापारिक कम्पनी के रूप में जब एक क्रूर शासक के कदम इस धरती पर पड़े, तो उसने समग्र उप महाद्वीप को अपना गुलाम बनाने के लिए बंदूक से लेकर अफीम तक का भरपूर इस्तेमाल किया | यहाँ तक कि शेर-ए-मैसूर, टीपू सुल्तान भी विकराल अंग्रेज सेना का शिकार हो गया | ए
आपका बंटी मन्नू भंडारी के उन बेजोड़ उपन्यासों में है जिनके बिना न बीसवीं शताब्दी के हिन्दी उपन्यास की बात की जा सकती है न स्त्री-विमर्श को सही धरातल पर समझा जा सकता है। तीस वर्ष पहले (1970 में) लिखा गया यह उपन्यास हिन्दी की लोकप्रिय पुस्तकों की पहली प
‘स्वामी’ सुप्रसिद्ध कथाकार मन्नू भंडारी का भावप्रवण विचारोत्तेजक उपन्यास है! आत्मीय रिश्तो के बीच जिस सघन अंतर्द्वंद का चित्रण करने के लिए मन्नू भंडारी सुपरिचित है, उसका उत्कृष्ट रूप ‘स्वामी’ में देखा जा सकता है! सोदमिनी, नरेन्द्र और घनश्याम के त्रिक
‘उफ़्फ़ कोलकाता’ हिंदी भाषा की पहली हॉरर कॉमेडी कही जा सकती है। इस लिहाज़ से यह एक पहल भी है। कोलकाता के बाहरी भाग में फैले एक विश्वविद्यालय का हॉस्टल, उपन्यास के मुख्य किरदारों की ग़लती से अभिशप्त हो जाता है। एक आत्मा जो अब हॉस्टल में है, बच्चों को परे
इस उपन्यास के केन्द्र में ‘वैशाली की नगरवधू’ के रूप में इतिहास प्रसिद्ध वैशाली की सौन्दर्य की साक्षात् प्रतिमा तथा स्वाभिमान और आत्मबल से संबलित ‘अम्बपाली’ है जिसने अपने जीवनकाल में सम्पूर्ण भारत के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश को प्रभावित किया था। उपन
अश्वत्थामामहाभारत का शापित योद्धा इसे नियति की विडंबना ही कहेंगे कि महाभारत की गाथा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अमर पात्र होने के बावजूद, अश्वत्थामा सदा उपेक्षित रहा है. पौराणिक साहित्य में अश्वत्थामा सहित और भी लोग हैं, जिन्हें अमर मन जाता है. परंतु
ब्रज को पानी में डुबा दो!' देवराज इन्द्र ने गरजकर कहा। 'मैं चाहता हूं कि इस छोटे से गांव ब्रज का एक-एक व्यक्ति पानी में डूबकर मर जाए! इन मूर्खों को देवलोक के राजा पुरंदर का अपमान करने का फल मिलना ही चाहिए!' अधिकांश संसार, देवताओं के राजा को 'इन्द्र'
एक आदर्श कॉलेज। तीन अपूर्ण छात्र। एक देखभाल करने वाला छात्रावास। तीन लापरवाह साथी। निर्णायक वर्ष। तीन अज्ञानी आत्माएं। एक बम विस्फोट और एक करीबी दाढ़ी। बीएचयू के द्वार से जीवन में आपका स्वागत है।
उपन्यास की पृष्ठभूमि में आइआइटी बीएचयू (IIT BHU) और बनारस है, वहाँ की मस्ती है, बीएचयू के विद्यार्थी, अध्यापक और उनका औघड़पन है। समकालीन परिवेश में बुनी कथा एक इंजीनियर के इश्क़, शिक्षा-व्यवस्था से उसके मोहभंग और अपनी राह ख़ुद बनाने का ताना-बाना बुनत