देहरादून: देवभूमि उत्तराखण्ड का अगला देव कौन होगा इसे लेकर दिल्ली में ज़बरदस्त घमासान जारी है. सूत्रों ते मुताबिक़ आरएसएस त्रिवेंद्र सिंह रावत की जमकर पैरवी कर रहा है. वहीं सीएम की रेस में प्रकाश पंत और त्रिवेंद्र रावत सीएम की दौड़ में सबसे आगे है लेकिन इस बीच प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के नाम की भी चर्चा शुरू हो गई है. अजय भट्ट वही शख़्स हैं जिन्होनें भाजपा को जिताने में पूरी ताकत झोंक दी. हालांकि अजय भट्ट के चुनाव हारने से उनकी उम्मीद्वारी बेहद कमज़ोर पड़ गई है.
सूत्रों के मुताबिक़ उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव से पूर्व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने अजय भट्ट को चुनाव न लड़ने की बात कही थी उनका कहना था कि भट्ट चुनाव न लड़कर चुनाव लड़वाने पर ध्यान दे लेकिन अब जब भट्ट चुनाव हार चुके हैं तो भाजपा के भारी बहुमत से जीतने के बावजूद एक हारे हुये प्रत्याशी को सीएम बनाने पर सहमति बनती नहीं दिखाई दे रही है. दरअसल किसी चेहरे को थोपने की बजाय सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री का चुनाव करने की कवायद के चलते ही इतनी देरी हो गई है. यही वजह है कि दिल्ली में इसे लेकर जमकर माथापच्ची चल रही है.
जब पूरी न हो सकी मुलाक़ात की आस
हालांकि अमित शाह से मुलाक़ात को लेकर बहुत सारे विधायक देहरादून से दिल्ली आए लेकिन यह मुमक़िन हो न सका. लेकिन अचानक बुधवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत का दिल्ली आना और संघ कार्यालय जाकर मीटिंग में पहुंचुना पार्टी के भीतर ही लोगों को नाग़वार ग़ुज़रा. इसी बीच मीडिया में भी त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर सीएम बनाने की बात कही जाने लगी. लेकिन अचानक यह ख़बर को रुकवाया गया. देखते ही देखते मीटिंग का दौर चालू हुआ और आधी रात तक यह मीटिंग जारी रही. सूत्रों के मुताबिक त्रिवेंद्र रावत और प्रकाश पंत सीएम की रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं. प्रकाश पंत के नाम पर भाजपा के कुमाऊं और गढ़वाल के सभी गुट कमोबेश सहमत नज़र आते हैं. लकिन RSS त्रिवेंद्र रावत की जमकर पैरवी कर रहा है.
इस बीच पिथौरागढ से विधायक प्रकाश पंत के नाम पर भी सहमति की बात कही जा रही है क्योंकि भगत सिंह कोश्यारी के प्रकाश पंत का नाम आगे करने के बाद खंडूरी कैँप ने भी विरोध नहीं किया है. लेकिन अब त्रिवेंद्र सिंह रावत की दावेदारी भी प्रबलता से देखी जा रही है. अब अगर RSS की चली तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ही उत्तराखण्ड के अगले मुख्यमंत्री होंगे.
उत्तराखण्ड के मद्देनज़र क्या है त्रिवेंद्र सिंह रावत का मतलब?
त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला से जीतकर तीसरी बार विधायक बने हैं. रावत की पूष्ठभूमि RSS की है. इसके आलवा उत्तराखण्ड में पहले विधानसभा चुनाव में त्रिवेंद्र रावत 2002 और इसके बाद 2007 में विधायक बने. लेकिन रावत 2012 और उसके बाद डोईवाला में उपचुनाव हार गए. इससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में भी त्रिवेंद्र रावत शामिल रहे, लेकिन उनकी जगह तीरथ सिंह रावत को प्रदेश भाजपा की कमान मिली. इसके बाद टीम राजनाथ ने त्रिवेंद्र रावत को भाजपा का राष्ट्रीय सचिव और यूपी के सहप्रभारी बनाया गया. फिलहाल त्रिवेंद्र सिंह रावत झारखंड के प्रभारी भी हैं. आज की तारीख में RSS लॉबी त्रिवेंद्र सिंह रावत को ही उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में है.