देहरादून: देवभूमि उत्तराखण्ड में भाजपा को सरकार बनाए अभी 18 दिन ही हुये और एक के बाद एक घोटालों को लेकर उत्तराखण्ड फिर सुर्खियां बन रहा है। सत्ताधारी दल भाजपा ने इस बार पूर्व में रही कांग्रेस सरकार पर 1000 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है। दरअसल, हरीश रावत के नेतृत्व वाली राज्य की पूर्व सरकार ने बिजली खरीद समझौतों में कुछ गैस आधारित संयंत्रों को फायदा पहुंचाया था। जिसके चलते अब राज्य में बिजली दरों में बढ़ोत्तरी करने की नौबत आ गई।
उत्तराखण्ड भाजपा के प्रवक्ता विनय गोयल ने कहा, ‘‘पूर्व सरकार ने कोशीपुर में गैस बिजली संयंत्रों के साथ (35 साल के लिए) बिजली खरीदने के लिए 4.70 रुपए प्रति यूनिट पर समझौता किया था, जबकि इसका मूल्य केवल 2.74 रुपए प्रति यूनिट था। इसके चलते सरकारी खजाने को प्रति माह 50 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह कम से कम एक हज़ार करोड़ रुपए का ‘बिजली घोटाला’ है।’’ हालांकि हाल ही में सरकार में मंत्री मदन कौशिक पर पुस्तकालय घोटाले का पुराना मामला सामने आया जिस पर भाजपा न तो कुछ कहने को तैयार है न ही मंत्री जी, उल्टा सवाल पूछने पर मंत्री मदन कौशिक मीडिया पर ही भड़क जाते हैं।
विनय गोयल ने कहा कि हरीश रावत सरकार और काशीपुर स्थित गैस बिजली संयंत्रों के बीच हुई सांठगांठ के कारण सरकारी खजाने को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बिजली दरों की बढ़ोत्तरी समय की आवश्यकता है। तो अब उत्तराखण्ड के घोटालों के इतिहास में एक ओर घोटाला जुड़ा गया जिसकी जांच कब होगी, कार्यवाही कब होगी किसी को नहीं पता, क्योंकि खनन से लेकर शराब में कमोबेश तब कि सत्ता में बैठे लोगों का ही नाम आया लेकिन कार्यवाही कभी किसी पर हुई नहीं।
दरअसल, वर्ष 2009 में मदन कौशिक ने विधायक निधि से हरिद्वार में 10 पुस्तकालयों का निर्माण कराया था। प्रत्येक पुस्तकालय की लागत 2 लाख दिखाई गयी थी लेकिन हकीकत में कहीं कोई पुस्तकालय मौजूद ही नहीं है। पुस्तकालयों की जगह सिर्फ विधायक जी के नाम का शिलापट्ट लगा है। हालांकि, अधिकारियों के खिलाफ तो मुकदमा दर्ज कर दिया गया लेकिन इस बाबत मंत्री जी से कोई सवाल जवाब नहीं किए गए हैं। अब अगर मीडिया उनसे सवाल कर रहा है तो मंत्री जी को गुस्सा आ रहा है।