देहरादून: उत्तराखण्ड सरकार के सामने पहले ही आर्थिक संकट मंडरा रहा है. खनन पर नैनीताल हाईकोर्ट की रोक को लेकर CM TSR ने कहा कि एक ओर जहां निर्माण कार्यों पर असर पड़ेगा तो वहीं दूसरी ओर आर्थिक नुकसान भी बढ़ेगा. वहीं खनन सचिव ने कहा कि इससे सरकार को करीब 350 करोड़ की चपत लगेगी, जिससे प्लान खर्च गड़बडाएगा. हालांकि CM TSR ने कहा कि इस पूरे मामले का परीक्षण कर जल्दी ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, 4 महीने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने हर तरह के खनन पर रोक लगाते हुए एक उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं. कमेटी में नोडल अधिकारी कमिश्नर कुमाऊं एस. पांडियल और सचिव पीसीसीएफ राजेंद्र महाजन समेत बतौर विशेषज्ञ उसमें अन्य शामिल होंगे. ये कमेटी खनन से पर्यावरण और प्राकृतिक संपदा को हो रहे नुकसान का अध्ययन कर हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. सरकार में आने से पहले भाजपा भी उत्तराखण्ड में अवैध खनन और उससे होने वाले नुकसान को लेकर हमेशा आवाज उठती रही है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि सरकार कोर्ट के आदेश का परीक्षण करा रही है. उनका मानना है कि खनन पर पूर्ण रोक से निर्माण कार्यो पर बड़ा असर पड़ेगा. हालांकि भाजपा जिस वक़्त विपक्ष में थी तो वह भी कोर्ट की बात से ही सहमति दिखाया कर हरीश रावत सरकार पर हमला किया करती थी.
हाईकोर्ट ने संवेदनशील पर्यावरणीय पहलुओं के मद्देनजर फिलहाल खनन पर रोक लगाई है. चूंकि राज्य को खनन से राजस्व प्राप्त होता है, लिहाजा उसे फौरी तौर पर माली नुकसान भी होगा. अगर राज्य की आमदनी की बात करें तो उसे केंद्रीय करों में हिस्सेदारी मिलती है. इसके अलावा राज्य स्तर पर आमदनी के जरियों में आबकारी, व्यापार कर, भूराजस्व, वाहन कर और खनन की अहम भूमिका रही है.
पिछले दो वित्त वर्षों के राजस्व पर तुलनात्मक नज़र
मद --- 2014 -15 -- 2015-16
आबकारी--- 1486.65 -- 1735.39 करोड़
व्यापार एवं बिक्री कर--- 5464.83 --- 6105.43 करोड़
भू - राजस्व --- 39.25 -- 27.88 करोड़
वाहन कर --- 393.70 -- 470.87 करोड़
खनन-- 223.7 -- 272.65 करोड़
स्टांप शुल्क --- 714.05 --- 870.67 करोड़
नुकसान को जीता उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड सरकार खनन पर रोक लगाने संबधी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल अपील की तैयारी में हैं सचिव खनन की दलील है कि ना सिर्फ राजस्व बल्कि पांच जिलों में लोगों का रोजगार प्रभावित हो रहा है वहीं वित्त सचिव का कहना है कि शराब और खनन पर रोक से राज्य सरकार को करीब 350 सौ करोड की चपत लगी है जिससे प्लान खर्च का बजट गड़बड़ाएगा. उन्होंने कहा कि खनन पर 4 महीने की रोक से फौरी तौर पर कमोबेश 150 करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा. लेकिन देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर, नैनीताल और बागेश्वर में खनन कारोबार से जुड़े लोगों के सामने रोजगार का भी संकट हो गया है. उत्तराखण्ड में नान प्लान खर्च की एक तिहाई भरपाई खनन राजस्व से होती है. साथ ही तीन जिलों में लिकर बैन और दुकान सिफटिंग से भी आबकारी विभाग को 50 से 100 करोड़ का सीधे तौर पर रिवेन्यू लास होगा. इससे विभाग को फिर बजट रिस्ट्रक्चर करना पड़ेगा. अब सरकार खनन रोक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा रही है, लेकिन सरकार को वैध और पारदर्शी खनन के इंतज़ाम भी करने होंगे.