देहरादून: 2 दिनों के लिए भैरसैंण आयोजित विधानसभा सत्र अब अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। लोगों को उम्मीद तो बहुत थी कि सरकार गैरसैंण को स्थाई राजधानी के रूप में घोषित करेगी, लेकिन लोगों को मायूसी के सिवा कुछ हांथ न लगा। सत्र के बाद कुछ वहां रह गया तो बस कचरा। हालांकि लोगों में मायूसी इस बात को लेकर भी थी कि गैरसैंण, नारायणबगड़ व थलीसैंण विकासखंड की जनपद मांग पर कोई घोषणा तक नहीं की गई।
विधायक से लेकर नौकरशाह कोई भी गंभीर नहीं
सत्र के पहले दिन जहां विधायक भराड़ीसैंण से देहरादून की ओर कूच कर चुके थे तो वहीं दूसरे दिन सत्र समाप्ति से पहले ही नौकरशाह भी परिसर से चलते बनें। सत्रावसान के साथ पूरा परिसर खाली हो गया, अब परिसर फिर से सूना हो गया। निर्माण कार्य में लगे मजदूर व मशीनों की आवाज़ के सिवा वहां कुछ भी नहीं, अस्थाई का तमगा तो पूरे देहरादून पर क़ाबिज़ है लेकिन गैरसैंण में सजाए गए वीर चंद्र सिंह गढ़वाली विधानसभा भवन जो कि सबकी मौजूदगी में चकाचौंध से भरा था वह भी पुन: अपनी एकाकीपन में गुम हो गया। इंतज़ार उस नायक का जो आएगा और फ़ैसला लेगा। हालांकि लोगों को अभी भी हरीश रावत से काफी उम्मीदें हैं कि वह निर्णय लेंगे ज़रूर।
165 करोड़ का ख़र्च और औपचारिकता
साल भर बाद तीन दिन के लिए खुले दरवाज़े अब फिर बंद हो चुके हैं। 26 एकड़ के भूभाग में फैला विधानसभा परिसर दो दिनों तक चला और 165 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे इस परिसर में फिर से रौनक कब लौटेगी यह भविष्य के गर्भ में है, लेकिन हर किसी का सवाल एक ही सवाल कि गैरसैंण को राजधानी बनाना है तो बताओ वर्ना 165 करोड़ के ख़र्च का मतलब क्या है। पैसा जनता का है फिर इस तरह पैसे और भावनाओं के सांथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है।
गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान अल्मोड़ा जनपद के स्याल्दे, चौखुटियां, द्वाराहाट, सल्ट, भिकियासैण और ताड़ीखेत ब्लॉक की जनता ने रामगंगा जिला बनाने को लेकर विधानसभा का घेराव किया। करीब 80 से भी अधिक वाहनों का काफिलों में हजारों की संख्या में ग्रामीण, विद्यार्थी और महिलाएं प्रदर्शन में मौजूद रही।
रामगंगा जिला के लिए होने वाले विरोध प्रदर्शन की पूर्व सूचना शासन प्रशासन को थी। लिहाजा ग्रामीणों को विधानसभा जाने से रोकने के लिए शासन प्रशासन द्वारा भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई।