देहरादून: राज्य अवधारणा के प्रतीक गैरसैंण को सड़क नेटवर्क से जोड़ने के मकसद से गैरसैंण सड़क अवस्थापना विकास निगम के गठन की उत्तराखंड मुख्यमंत्री हरीश रावत की घोषणा हवाई साबित हो रही है। निगम के गठन के लिए अब तक न तो कोई फाइल चली न ही कोई आदेश हुआ। कायदे से चमोली के जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन को घोषणा का प्रस्ताव बनाकर भेजना था, लेकिन उनका कहना है कि यह घोषणा उनके सं ज्ञान में ही नहीं है।
सीएम की इस घोषणा के बाद इसके जल्द शासनादेश जारी होने के आसार जताए जा रहे थे, मगर सरकारी तंत्र की उदासीनता का हाल यह है कि अब तक कागजों पर इसका कोई प्रस्ताव तक नहीं बन सका। कायदे से मुख्यमंत्री जब कोई घोषणा करते हैं, तो संबंधित जिलाधिकारी इसका एक प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजते हैं। शासन में यह प्रस्ताव घोषणा प्रकोष्ठ में जाता है, जहां से घोषणा पर कार्रवाई को लेकर संबंधित विभाग को दिशा-निर्देश जारी होते हैं। घोषणा के 18 दिन बाद भी घोषणा प्रस्ताव शासन को नहीं पहुंचा है। घोषणा प्रकोष्ठ देख रहे अपर सचिव मुख्यमंत्री रमेश चंद्र शर्मा ने प्रस्ताव मिलने से इनकार किया है।
भराड़ीसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान जब सरकार राजधानी के मुद्दे पर घिरती दिखी तो मुख्यमंत्री ने पत्रकार वार्ता बुला गैरसैंण सड़क अवस्थापना विकास निगम के गठन का एलान कर किया था। गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने बाकायदा एक पत्रकार वार्ता में सड़क अवस्थापना विकास निगम के गठन की घोषणा की थी। इस दौरान उन्होंने गैरसैंण को सड़कों के नेटवर्क से जोड़ने के लिए कुछ प्रमुख सड़कों के नाम भी लिए थे। इनमें जौनाई -बछुवावान, मारचूला-भिकियासैंण, कौडियाला- व्यासघाट, सतपुली-थलीसैँण, नगचूला- क्वीरास्वामां- ग्वालदम-भराड़ीसैंण, पीठसैंण-उफराखाल-सराईखेत, नगचूलाखाल- पांडुखाल, धरासू, लंबगांव, रजाखेत, मलेथा और चंबा-मलेथा आदि सड़कें शामिल हैं।
विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. अनसुइया प्रसाद मैखुरी ने कहा कि अब तक घोषणा का शासनादेश जारी हो जाना चाहिए। वह इस संबंध में जिलाधिकारी से बात करेंगे कि प्रस्ताव शासन को क्यों नहीं भेजा गया? मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र कुमार ने कहा कि मुख्य सचिव बदलने से संभवत: विलंब हुआ है, लेकिन घोषणा पर कार्रवाई निश्चित तौर पर होगी।