देहारादून: कांग्रेस का मतलब वैसे तो गांधी परिवार होता है, लेकिन उत्तराखंड के भीतर भी कांग्रेस का मतलब मात्र एक परिवार ही है, बस अंतर इतना कि यह परिवार गांधी परिवार से इतर रावत परिवार हो चला है। दरअसल कांग्रेस युवराज राहुल गांधी ने उत्तराखंड चुनाव के मद्देनज़र हर मंत्री को तीन विधायक जिताने की ज़िम्मेदारी दी है जिसके बाद हरीश रावत बेहद गदगद नज़र आ रहे हैं।
बीवी बच्चों समेत उतरेंगे रावत
हरीश रावत पूरे परिवार के अलावा रिशतेदारों को भी टिकट देने का पूरा मन बना चुके हैं, जिसमें दोनो बेटे वीरेंन्द्र तथा आनंद रावत, बेटी अनुपमा के साथ पत्नी रेणुका रावत शामिल हैं। रिश्तेदारों की भी अच्छी ख़ासी पलटन है जो है जो कि आग़ामी विधानसभा में उतरने के लिए कमर कस चुकी है। दरअसल बीते दिनों जिस तरह के राजनीति क समीकरण बने उन्हें देखते हुए हरीश रावत चाहते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा उनके वफ़ादारों को टिकट मिले। मुख्यमंत्री रावत के परिजनों के अलावा उनके रिश्तेदारों की भी एक लंबी पलटन है जो कि चुनावी समर में उतरने में बेताब है।
रिश्तेदारों की लंबी फ़ेहरिस्त
फ़ेहरिस्त में पहला नाम हरीश रवत के प्रधान सलाहकार रंजीत रावत का है, पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके रंजीत इस बार किसी भी क़ीमत में विधानसभा पहुंचना चाहते हैं। इतना ही नहीं रंजीत रावत अपने बेटे के लिए भी टिकट के जुगाड़ में लगे हुए हैं। अगला नाम करण महरा का है जो कि हरीश रावत के साले हैं और पूर्व विधायक भी। माहरा के बाद हरीश रावत के समधी विजय सिजवाली भी कतार में खड़े हैं, एक समधी मुख्यमंत्री है तो दूसरा विधायक तो बन ही सकता है। समधी सिजवाल ने कालाढ़ूंगी विधानसभा से दावा ठोक रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल तो अहम ज़िम्मेदारी के इंतज़ार में है।
रावत देंगे वफ़ादारी का सिला
हरीश रावत के वफ़ादार भी इस बार अलग अलग जगह से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। हरीश रावत भी इसी जुगत में लगे हैं कि वे अधिक से अधिक अपने वफ़ादारों को टिकट दिला सकें। यानी दिल्ली के तर्ज पर ही कांग्रेस अब उत्तराखंड में सियासी बिसात बिछाने को तैयार है। दिल्ली में गाँधी परिवार तो उत्तराखंड में रावत परिवार। बहरहाल हर क़रीबी और विश्वसनीय को रावत टिकट दिलाने की तैयारी कर चुके हैं और इंतज़ार अब उन्हें अगले विधानसभा चुनाव का है।