नई दिल्ली : मोदी मंत्रिमंडल में कपडा राज्य मंत्री बने उत्तराखंड के अल्मोड़ा सांसद अजय टमटा अपने मंत्रालय के जरिये अब पहाड़ों की सबसे बड़ी समस्या के समाधान के लिए अहम कदम उठाने जा रहे हैं। कपडा राज्य मंत्री अजय टमटा का कहना है कि वह उत्तराखंड के 18 प्रतिशत हिस्से में मौजूद चीड़ के पत्तो (पिरुल) का स्थायी समाधान वै ज्ञान िक विधि से निकालने जा रहे हैं।
गौरतलब है कि इस साल भी उत्तराखंड के जंगलों में आग ने भीषण तबाही मचाई थी। केंद्र सरकार का कपडा मंत्रालय जिस तकनीक पर काम कर रहा है उसमे चीड़ के पत्तों पिरुल को रोजगार के रूप में इस्तेमाल किया जायेगा। इस साल उत्तराखंड के जंगलों में आग से 1900 हेक्टेयर से ज़्यादा वनक्षेत्र तबाह हो चुका है। यहाँ 1992, 1997, 2004 और 2012 में भी भयानक आग लगी थी।
कपडा मंत्रालय वैज्ञानिक स्तर एक ऐसे प्रोजेक्ट पर कामकर रहा है जिसमे पिरूल के रेशे से कपडा (फाइबर, फेब्रिक) और कागज तैयार किया जायेगा। नए नए केंद्रीय मंत्री बने अजय टमटा का कहना है कि इससे उत्तराखंड में रोजगार की भरपाई भी की जा सकेगी। वहीँ केंद्र सरकार का कपडा मंत्रालय टेक्सटाइल इंडस्ट्री में एककरोड़ लोगों को जोड़ने के प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही है।
उत्तराखंड के जंगलों में लगभग तीन करोड़ टन चीड़ के पत्ते (पेरुल) भरे पड़े हैं। चार साल से जंगलों में पेरुल नहीं हटाया गया और जंगल में आग लगने पर पेरुल पेट्रोल की तरह काम करता है। उत्तराखण्ड के लिए यह समस्या इतनी गंभीर हो गई थी कि चीड़ के पेड़ काटने संबंधी अनुमति के लिए उत्तराखण्ड शासन न तो सुप्रीम कोर्ट गया और न ही इस संबंध में केंद्र को प्रस्ताव भेजा।
बता दें कि उत्तराखंड के एक हेक्टेयर जंगल में 8 टन पेरुल यानी चीड़ के पत्ते गिरते हैं। प्रदेश में 34 लाख हेक्टेयर कुल वन्य क्षेत्र है। कुल वन क्षेत्र के 18 फीसदी हिस्से में चीड़ के जंगल है और हर साल तकरीबन 75 लाख टन पेरुल गिरता है।