नई दिल्ली : उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आयकर विभाग एक ऐसी सूची तैयार का रहा है जिसमे पॉपर्टी का कारोबार करने वाली कई कंपनियां निशाने पर आ सकती हैं। सूत्रों के अनुसाट इनकम टैक्स विभाग दिल्ली-एनसीआर की कई ऐसी कंपनियों पर छपेमारी कर सकती है जिन्होंने उत्तराखंड में बड़ी संख्या में प्रापर्टी में निवेश किया है।
उत्तराखंड में कुछ समय पहले सर्किल रेट में आयी गिरावट के बाद निवेशक बड़ी संख्या में उत्तराखंड से तरफ भागे। बिल्डरों ने उत्तराखंड सरकार को बड़ी संख्या में पॉपर्टी में निवेश के लिए राजी कर दिया। अगले साल उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार उत्तराखंड पर इनकम टैक्स की सख्ती प्रापर्टी के इस कारोबार को लेकर बढ़ा सकती है।
केंद्र की मोदी सरकार फिलहाल ब्लैकमनी के खिलाफ देशव्यापी मुहिम चला रही है और इसके तहत आयकर विभाग की कार्रवाई आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के बाद जैसे ही बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया उसके बाद से बीजेपी कांग्रेस के खिलाफ कोई भी मौका छोड़ना नही चाहती।
उत्तराखण्ड में हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा में खनन की खुली छूट हरीश रावत सरकार ने दी। यहाँ खनन माफियाओं के साथ हरीश रावत सरकार के गठजोड़ का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तराखड सरकार ने गंगा में खनन को मंजूरी देने के लिए जो एफआरआई में वै ज्ञान िक रिपोर्ट केंद्र को भेजी उस पर कई सवाल उठे। हरिद्वार में संत संगठन खनन के खिलाफ पहले ही लंबे समय से आंदोलित हैं।
सूत्रों की माने तो की माने तो राज्य उत्तराखंड में सत्ताधारी पार्टी को फंड उन्हों लोगों द्वारा दिए जाता है को इस तरह के लूट खसोट में शामिल रहते हैं। केंद्र सरकार भी इसपर कड़ी निगरानी रख रही है। ताकि आगामी चुनावों के लिए हरीश रावत की वित्तीय पाइप लाइन को ब्लॉक किया जा सके।