
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती द्वारा दो दिवसीय बैठक को आज स्थगित कर कल 17 अप्रैल के लिए ही निर्धारित की गई है। पहले यह बैठक 16 और 17 अप्रैल दो दिन के लिए आयोजित की गई थी किन्तु 16 अप्रैल को होने वाली संगठन की बैठक स्थगित कर दिया गया है।
यह बैठक अब 17 अप्रैल को ही होगी।अभी दो दिन पूर्व ही मायावती ने अपने छोटे भाई को पार्टी का उपाध्यक्ष नामित किया है। इस बैठक के बारे में यह संभावना व्याकतं की जा रही है कि बसपा सुप्रीमो मायावती पार्टी में भारी फेरबदल भी कर सकती हैं।
सूत्रों ने बताया कि मायावती 17 अप्रैल से पार्टी की बैठकों का सिलसिला शुरू करेंगी।इन बैठकों के ज़रिये वह पार्टी कार्यकर्ताओं को 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के सन्दर्भ में निर्देश देंगी। बैठक में वह पार्टी कार्यकर्ताओं की राय भी लेंगी और सबकी बात सुनने के बाद अपने संगठन में व्यापक फेरबदल कर सकती है।
मायावती को 2017 के विधान सभा चुनाव में इस तरह के चुनावी नतीजों की उम्मीद नहीं थी। इसी वजह से अब वह पार्टी के सभी नेताओं से राय मशविरा करने के बाद ही लोक सभा चुनाव के लिए रणनीति तय कर नया रोडमैप तैयार करेंगी।
विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण और चुनाव प्रबन्धन में कोआर्डिनेटरों की भूमिका की पड़ताल भी करेंगी क्योकि चुनाव नतीजों के बाद से मायावती लगातार अपनी पड़ताल में लगी हैं। पार्टी नेताओं और कोआर्डिनेटरों पर गाज गिर भी चुकी है। मायावती पिछले कई दिनों से कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात कर हार पर मंथन में लगी हैं।
बहुत से कार्यकर्ताओं ने बसपा सुप्रीमो से मुलाक़ात कर कुछ पार्टी नेताओं पर टिकट के एवज़ में वसूली के आरोप लगाए हैं। कई कार्यकर्ताओं ने शिकायत की कि सही प्रत्याशी को टिकट नहीं मिलने से हार हुई।
मायावती अब पार्टी को नई ताक़त से खड़ा करने में लगी हैं ताकि जो नुकसान 2017 में हुआ है उसकी काफी हद तक 2019 के लोक सभा चुनाव में भरपाई हो जाए।
उल् लेख नीय है कि जून 2017 में मायावती का राज्य सभा का कार्य काल पूरा हो रहा है और उनके पास निर्धारित संख्या में इतने विधायक नही है जिनके बलबूते वे दुबारा राज्य सभा का मोह देख सके।कल उन्होने भाजपा का विरोध करने के उद्देश्य से गठबंधन करने के लिए दूसरे दलों से हाथ मिलाने की घोषणा भी की थी पर आजतक कोई भी पार्टी विधिवत रूप से उनके साथ जाने का मन नही बना पाई है।
अखिलेश ने तुरंत एक बयान दिया अवश्य था पर उन्हें लेने से पूर्व क्या मायावती गेस्ट हाउस कांड भूल जाएगी। गठबंधन से पूर्वे ऐसे बहुत से अनसुलझे प्रश्न पड़े है।
वास्तविकता यह है कि दुश्मनों से भी हाथ मिलाने से राज्य सभा का मार्ग दिखाई नही देता है।
कल 17 अप्रैल को अब देखना यह है कि मायावती कौन सा पांसा फेंकेगी जिससे पार्टी में एकता और विश्वास बने।