अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आईटी कंपनियों को तगड़ा झटका देते हुए आज उस शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया जो H1-B वीजा जारी करने की प्रक्रिया को कड़ा करेगा. अब अमेरिका में कंपनियों के लिए वहां के नागरिकों को नौकरियों में प्राथमिकता देनी पड़ेगी.
ट्रंप प्रशासन की दलील है कि H-1B वीजा के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान इस वीजा के दुरुपयोग को रोकने का वादा किया था. उनके इस कदम से सबसे ज्यादा भारतीय आईटी कारोबारी प्रभावित होंगे.
भारतीय आईटी पेशेवरों में H-1B वीजा बेहद लोकप्रिय है. अब ट्रंप के इस आदेश से भारतीय आईटी पेशेवरों को अमेरिका में नौकरी करना मुश्किल हो जाएगा. ट्रंप का कहना है कि H-1B वीजा के जरिए अमेरिकियों की नौकरियां छीनी जा रही थीं, जिसको रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है.
कम सैलरी पर मिल जाते थे भारतीय
इस वीजा के जरिए अमेरिकी और भारतीय आईटी कंपनियों को कम सैलरी पर कर्मचारी मिल जाते हैं. ऐसे में ये कंपनियां अमेरिकी कर्मचारियों को ज्यादा सैलरी देने की बजाय कम सैलरी में विदेशियों कर्मचारियों को रख लेती हैं. एक आंकड़े के मुताबिक 80 फीसदी लोग जो काम करते हैं, उनको निर्धारित वेतन से कम दिया जाता है. अमेरिका में हर साल 85 हजार विदेशियों को H-1B वीजा जारी किया जाता रहा है. इसमें सबसे ज्यादा संख्या भारतीय आईटी कारोबारियों की होती है.
क्या है H-1B वीजा
एच1बी वीजा ऐसे विदेशी पेशेवरों के लिए जारी किया जाता है, जो ऐसे 'खास' कामों के लिए स्किल्ड होते हैं. अमेरिकी सिटीजनशिप और इमिग्रेशन सर्विसेज के मुताबिक, इन 'खास' कामों में वै ज्ञान िक, इंजीनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर शामिल हैं.
H-2B वीजा पर कोई बदलाव नहीं
ट्रंप के इस नए आदेश का कृषि समेत अन्य क्षेत्र में काम करने वाले अमेरिकी सीजनल वर्कर वीजा पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यह वीजा कृषि के मौसम में विदेशियों को काम करने के लिए दिया जाता है, जो एक निर्धारित समय के लिए होता है. इसके अलावा ट्रंप के आदेश में H-1B वीजा धारकों के जीवनसाथी को मिलने वाले H-4 वीजा को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया है.