भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम हिस्सों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, जिनका रहन-सहन, खानपान, रीति-रिवाज वगैरह आम लोगों से अलग है. समाज की मुख्यधारा से कटे होने के कारण ये पिछड़ गए हैं. इस कारण भारत समेत तमाम देशों में इनके उत्थान के लिए, इन्हें बढ़ावा देने और इनके अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं. इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 1994 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष घोषित किया था. इसके बाद से हर साल ये दिन 9 अगस्त को मनाया जाता है।भारत में आदिवासी आबादी अनुसूचित जनजाति के तहत आती है. देश में शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों की क्या स्थिति है, इसका अंदाजा दो दिन पहले लोकसभा में दिए गए सरकार के जवाब से लगता है।
लोकसभा में बीजेपी सांसद कनकमल कटारा की ओर से पूछा गया कि शैक्षिक रूप से पिछड़ी जनजातियों की साक्षरता और रोजगार दरों का ब्यौरा क्या है? एक और सवाल में पूछा गया कि सामाजिक और शैक्षिक रूप पिछड़ीं जातियां कौन सी है।विश्व आदिवासी दिवस एक ऐसा दिन है जो विश्व भर में आदिवासी समुदायों के संरक्षण, सम्मान, और समृद्धि को समर्पित है। यह एक ऐसा मौका है जब हम सभी उन वीर लोगों को याद करते हैं जो अपने संघर्षों के बावजूद अपनी संस्कृति और अपनी धरोहर को समृद्ध करने में समर्थ रहे है।
-नाचते गाते उनकी धुन पर,
हर वर्ष धूमधाम से मनाते हैं हम।
उनकी भाषा, उनकी संस्कृति को याद कर,
गर्व से आदिवासी होने का जश्न मनाते हैं हम।
( ज्योति)