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राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त

3 अगस्त 2023

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मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 को झाँसी के निकट चिरगाँव में हुआ था। रोचक क़िस्सा है कि उनके बचपन का नाम ‘मिथिलाधिप नंदनशरण’ था लेकिन विद्यालय के रजिस्टर में इतना बड़ा नाम अट नहीं रहा था तो इसे ‘मैथिलीशरण’ कर दिया गया। धनाढ्य वैश्य घराने में जन्म लेने के कारण नाम में ‘गुप्त’ शामिल हो गया। वह बचपन में ‘स्वर्णलता’ नाम से छप्पय लिखते थे, फिर किशोरावस्था में ‘रसिकेश’, ‘रसिकेंदु’ आदि नाम भी प्रयोग करने लगे। उन्होंने अनुवाद का कार्य ‘मधुप’ नाम से किया और ‘भारतीय’ और ‘नित्यानंद’ नाम से अँग्रेज़ सरकार के विरुद्ध कविताएँ लिखी। हिंदी साहित्य जगत उन्हें ‘दद्दा’ पुकारता था। उनकी कृति ‘भारत-भारती’ (1912) स्वतंत्रता संग्राम के समय व्यापक प्रभावशाली सिद्ध हुई थी और इसी कारण महात्मा गाँधी ने उन्हें 'राष्ट्रकवि' की पदवी दी थी। साहित्य के इतिहास में वह खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। पद्य-रचना की ओर उनका झुकाव ‘लघु सिद्धांत कौमुदी’ पढ़ते हुए हुआ। आरंभ में ब्रजभाषा में काव्य-सृजन किया और संस्कृत छंदों में अनेक अन्योक्तियाँ लिखी। राष्ट्रीय चेतना, धार्मिक नैतिकता और मानवीय उत्थान उनके काव्य का उत्स है। उनकी कृतियों में देश का अतीत, वर्तमान और भविष्य बोलता है। वह मानववादी, नैतिक और सांस्कृतिक काव्यधारा के विशिष्ट कवि थे। उनके दो महाकाव्य, बीस खंडकाव्य, सत्रह गीतिकाव्य, चार नाटक और गीतिनाट्य, दो संस्मरणात्मक गद्य-कृतियाँ, चार निराख्यानक निबंध और अठारह अनूदित रचनाएँ उपलब्ध हैं। पर्वतों की ढलान पर हल्का हरा और गहरा हरा रंग, एक-दूसरे से मिले बिना फैले पड़े हैं....। कैसा सही वर्णन किया है किसी साहित्यकार ने। लगता है कि हमारे मन की बात को किसी ने शब्द दे दिए। ठीक इसी प्रकार अगर हम ऊपर उठकर देखें, तो दुनिया में अच्छाई और बुराई अलग-अलग दिखाई देगी। भ्रष्टाचार के भयानक विस्तार में भी नैतिकता स्पष्ट अलग दिखाई देगी। आवश्यकता है कि नैतिकता एवं राष्ट्रीयता की धवलता अपना प्रभाव उत्पन्न करे और उसे कोई दूषित न कर पाए। इस आवाज को उठाने और राष्ट्रजीवन की चेतना को मंत्र-स्वर देने वाले राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय कवि थे। उन्होंने आम-जन के बीच प्रचलित देशी भाषा को मांजकर जनता के मन की बात, जनता के लिए, जनता की भाषा में कही, इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें राष्ट्रकवि का सम्मान देते हुए कहा था - मैं तो मैथिलीशरणजी को इसलिए बड़ा मानता हूं कि वे हम लोगों के कवि हैं और राष्ट्रभर की आवश्यकता को समझकर लिखने की कोशिश कर रहे हैं।’ इनके रचनाओं में देशभक्ति, बंधुत्व भावना, राष्ट्रीयता, गांधीवाद, मानवता तथा नारी के प्रति करुणा और सहानुभूति के स्वर मुखर हुए। इनके काव्य का मुख्य स्वर राष्ट्र-प्रेम, आजादी एवं भारतीयता है। वे भारतीय संस्कृति के गायक थे। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के मार्गदर्शन में जिन कवियों ने ब्रज-भाषा के स्थान पर खड़ी बोली हिन्दी को अपनी काव्य-भाषा बनाकर उसकी क्षमता से विश्व को परिचित कराया, उनमें गुप्तजी का नाम सबसे प्रमुख है। उनकी काव्य-प्रतिभा का सम्मान करते हुए साहित्य-जगत उन्हें राष्ट्रकवि के रूप में याद करता रहा है।

 
देश एवं समाज में क्रांति पैदा करने का उनका दृढ़ संकल्प समय-समय पर मुखरित होता रहा है। वे समाज के जिस हिस्से में शोषण, झूठ, अधिकारों का दमन, अनैतिकता एवं पराधीनता थी, उसे वे बदलना चाहता थे और उसके स्थान पर नैतिकता एवं पवित्रता से अनुप्राणित आजाद भारत देखना चाहते थे। इसलिए वे जीवनभर शोषण और अमानवीय व्यवहार के विरोध में आवाज उठाते रहे। उनकी क्रांतवाणी उनके क्रांत व्यक्तित्व की द्योतक ही नहीं, वरन धार्मिक, सामाजिक विकृतियों एवं अंधरूढ़ियों पर तीव्र कटाक्ष एवं परिवर्तन की प्रेरणा भी है। जीवन में सत्यं, शिवं और सुंदरं की स्थापना के लिए साहित्य की आवश्यकता रहती है और ऐसे ही साहित्य का सृजन गुप्तजी के जीवन का ध्येय रहा है। बचपन में स्कूल जाने में रूचि न होने के कारण इनके पिता सेठ रामचरण गुप्त ने इनकी शिक्षा का प्रबंध घर पर ही किया था और इसी तरह उन्होंने संस्कृत, अंग्रेजी और बांग्ला का ज्ञान प्राप्त किया। काव्य-लेखन की शुरुआत उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं में अपनी कविताएं प्रकाशित कर की। इन्हीं पत्रिकाओं में से एक "सरस्वती" आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के संपादन में निकलती थी। युवक मैथिली ने आचार्यजी की प्रेरणा से खड़ी बोली में लिखना शुरू किया। 1910 में उनकी पहला प्रबंधकाव्य "रंग में भंग" प्रकाशित हुआ। "भारत-भारती" के प्रकाशन के साथ ही वे एक लोकप्रिय कवि के रूप में स्थापित हो गए। उनकी भाषा एवं सृजन से हिन्दी की साहित्यिक भाषा का विकास हुआ। उन्होंने पराधीनता काल में मुंह खोलने का साहस न करने वाली जनता का नैराश्य-निवारण करके आत्मविश्वास भरी ऊर्जामयी वाणी दी, इससे ‘भारत-भारती’ जन-जन का कंठहार बन गई थी। इस कृति ने स्वाधीनता के लिए जन-जागरण का शंखनाद किया। हिन्दी साहित्य में गद्य को चरम तक पहुंचाने में जहां प्रेमचंद्र का विशेष योगदान माना जाता है, वहीं पद्य और कविता में राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त को सबसे आगे माना जाता है। 
 
साहित्यकार किसी भी देश या समाज का निर्माता होता है। इस मायने में मैथिलीशरण गुप्त ने समाज और देश को वैचारिक पृष्ठभूमि दी, जिसके आधार पर नया दर्शन विकसित हुआ है। उन्होंने शब्द शिल्पी का ही नहीं, बल्कि साहित्यकार कहलाने का गौरव प्राप्त किया है, जिनके शब्द आज भी मानवजाति के हृदय को स्पंदित करते रहते हैं। 12 साल की उम्र में ही उन्होंने कविता रचना शुरू कर दी थी। “ब्रजभाषा” में अपनी रचनाओं को लिखने की उनकी कला ने उन्हें बहुत जल्दी प्रसिद्ध बना दिया। प्राचीन और आधुनिक समाज को ध्यान में रखकर उन्होंने कई रचनाएं लिखीं। गुप्तजी स्वभाव से ही लोकसंग्रही कवि थे और अपने युग की समस्याओं के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील रहे। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से जन जागरण का काम किया। भारत की आजादी में उनका उल्लेखनीय योगदान है।

 
महात्मा गांधी के भारतीय राजनीतिक जीवन में आने से पूर्व गुप्तजी का युवा मन गरम दल और तत्कालीन क्रांतिकारी विचारधारा से प्रभावित हो चुका था। लेकिन बाद में महात्मा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू और विनोबा भावे के संपर्क में आने के कारण वह गांधीवाद के व्यावहारिक पक्ष और सुधारवादी आंदोलनों के समर्थक बने। देशभक्ति से भरपूर रचनाएं लिख उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम काम किया। वे भारतीय संस्कृति एवं इतिहास के परम भक्त थे। परंतु अंधविश्वासों और थोथे आदर्शों में उनका विश्वास नहीं था। वे भारतीय संस्कृति की नवीनतम रूप की कामना करते थे। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय संबंधों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो पंचवटी से लेकर ‘जयद्रथ वध’, ‘यशोधरा’ और ‘साकेत’ तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। ‘साकेत’ उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है। लेकिन ‘भारत-भारती’ उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना मानी जाती है। इस रचना में उन्होंने स्वदेश प्रेम को दर्शाते हुए वर्तमान और भावी दुर्दशा से उबरने के लिए समाधान खोजने का एक सफल प्रयोग किया है। कला और साहित्य के क्षेत्र में विशेष सहयोग देने वाले गुप्तजी को 1952 में राज्यसभा सदस्यता दी गई और 1954 में उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया। इसके अतिरिक्त उन्हें हिन्दुस्तानी अकादमी पुरस्कार, साकेत पर इन्हें मंगला प्रसाद पारितोषिक तथा साहित्य वाचस्पति की उपाधि से भी अलंकृत किया गया। काशी विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.लिट्. की उपाधि प्रदान की।

  
 Dr.Jyoti Maheshwari

Dr.Jyoti Maheshwari

धन्यवाद बहन

7 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत सारगर्भित लिखा बहन 😊🙏💯

4 अगस्त 2023

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रचनाएँ
कुछ हसीन ख्वाब
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यह किताब मेरे रोज के लेखों का संग्रह है। यह मेरे मन की आवाज है। यह मेरी लिखने की प्रेरणा है। यह मुझे मुझ को समझने में मदद करती है। लिखना मेरा पैशन है। यह मेरी खुद की पहचान है।
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हसीन ख्वाब

2 अगस्त 2023
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कुछ हसीन ख्वाबजो मैंने कल देखे थेआज सच हो गए हैं।कुछ फूलों के बीजजो मैंने धरती पर रोपे थेआज महक रहे हैं।कुछ हंसी के फव्वारेजो बोये थे मैंने अपने जीवन मेंआज चहक रहे हैं।कुछ अच्छे संस्कारजो सिखाए

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राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त

3 अगस्त 2023
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मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 को झाँसी के निकट चिरगाँव में हुआ था। रोचक क़िस्सा है कि उनके बचपन का नाम ‘मिथिलाधिप नंदनशरण’ था लेकिन विद्यालय के रजिस्टर में इतना बड़ा नाम अट नहीं रहा था तो इसे ‘मै

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दिल्ली अध्यादेश

4 अगस्त 2023
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यह तो वक्त ही बताएगाशुक्रवार यानी 19 मई की देर शाम केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने वाला अध्यादेश जारी कर दिया. केंद्र सरकार 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023' ले

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राजस्थान के जिले

7 अगस्त 2023
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी साल में बजट के दौरान प्रदेश में 19 नए जिलों और तीन नए संभाग बनाने का एलान किया था. वहीं अब इन नए जिलों और संभागों को गहलोत कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. इसके

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कंजेक्टिवाइटिस

8 अगस्त 2023
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भारत में कंजक्टिवाइटिस तेजी से फैल रहा है. स्वास्थ्य विभागों द्वारा इससे बचने की एडवाइजरी भी जारी की गई है. 'कंजक्टिवाइटिस, कंजंक्टिवा (आंख का सफेद हिस्सा) की सूजन है. इसे आम भाषा में आई फ्लू के नाम

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विश्व आदिवासी दिवस

9 अगस्त 2023
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भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम हिस्‍सों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, जिनका रहन-सहन, खानपान, रीति-रिवाज वगैरह आम लोगों से अलग है. समाज की मुख्‍यधारा से कटे होने के कारण ये पिछड़ गए हैं. इस कारण भा

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ज्ञानवापी सर्वे

10 अगस्त 2023
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वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, 'ज्ञानवापी को मस्जिद कहना जायज नहीं, दीवारें चिल्ला-चिल्ला कर कह रही हैं, मु

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अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा

11 अगस्त 2023
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अविश्वास प्रस्ताव ये परखता है कि क्या सरकार के पास समर्थन है. कोई भी लोकसभा सांसद जो 50 सांसदों का समर्थन हासिल कर सकता है, किसी भी समय सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है. इसके बाद अविश

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अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस

12 अगस्त 2023
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अन्तरराष्ट्रीय युवा दिवस पूरे विश्व में 12अगस्त को मनाया जाता है। पहली बार सन २००० में इसका आयोजन आरम्भ किया गया था। 12अगस्त को युवा दिवस मनाते हैं।युवा दिवस युवा लोगों के लिए उनके जीवन को प्रभावित कर

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धाराओं में बदलाव

16 अगस्त 2023
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भारतीय नागरिक संहिता बिल में CrPC के 160 धाराओं में बदलाव किए गए हैं , 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को खत्म कर दिया गया है।आईपीसी में पहले 511 धाराएं थी उसे बदलकर अब सिर्फ 356 धाराएं कर दी गई

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पीएम विश्वकर्मा योजना

17 अगस्त 2023
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पीएम विश्वकर्मा योजना का फायदा बढ़ई, सोनार, मूर्तिकार और कुम्हार आदि क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को मिलेगा. इसके जरिए सरकार की कोशिश शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाना और साथ

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अनअकैडमी विवाद

19 अगस्त 2023
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न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, टीचर करण सांगवान ने छात्रों से शिक्षित उम्मीदवारों के लिए वोट करने की अपील की थी. जिसके बाद अनएकेडमी ने उन्हें बर्खास्त करते हुए कहा कि कक्षा व्यक्तिगत राय और विचार शे

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नाग पंचमी

21 अगस्त 2023
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आज नाग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है. यह पर्व हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन नागों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. आज सोमवार पड़ने की वजह से नाग पंचमी का महत्व

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चंद्रयान-3

24 अगस्त 2023
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चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने बुधवार शाम 6.04 बजे बजे चंद्रमा की सतह पर कर रखा कदम। हमारे देश के लिए यह पल अविस्मरणीय है ।अभूतपूर्व है विकसित भारत के विकसित भारत के शंखनाद का है। यह वह घटनाएं है जिसने

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शिक्षक दिवस

5 सितम्बर 2023
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आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। मनुष्य जीवन में हमेशा कुछ ना कुछ सीखता रहता है। जीवन सदैव आगे बढ़ने का नाम है। सीखने में बहुत लोग हमारी सहायता करते हैं। जो हमें कुछ भी सीखा रहे हैं वे हमा

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ऐतिहासिक विजय

12 सितम्बर 2023
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कपिलदेव की अगुवाई वाली टीम की 1983 के विश्व कप में ऐतिहासिक विजय के उस क्षण को एक बार फिर याद किया गया, जब बीसीसीआई ने रविवार की रात को 1983 के विश्व कप के नायकों का सम्मानित किया।25 जून 1983 को लॉर्ड

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हिंदी दिवस

14 सितम्बर 2023
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आज 14 सितंबर को हिंदी दिवस हम हर वर्ष मनाते हैं। हिंदी हमारी मातृभाषा है यह भाषा है जो मां के समान हमारा पालन पोषण करती है। इसे सुनकर बोलकर हम बड़े होते हैं हम दूसरों के साथ बातचीत करते हैं। यह

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भारत कनाडा विवाद

19 सितम्बर 2023
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भारत और कनाडा के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर फिलहाल बातचीत रोक दी गई है. भारत-कनाडा के बीच मौजूदा राजनीतिक-कूटनीतिक तनातनी के बीच यह वार्ता रोकी गई है.कनाडा की व्यापार मंत्री मैरी एनजी अक्ट

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अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस

21 सितम्बर 2023
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प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना होगा कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है। मानव कल्याण की सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। भाषा, संस्कृति, पहनावे भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, लेकिन विश्व के कल्याण का मार्ग एक ही

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बिगड़ते रिश्ते

23 सितम्बर 2023
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प्रत्येक व्यक्ति अपनी जिंदगी में बहुत सारे लोगों से मिलता है जुलता है और उनसे रिश्तों की डोर में बंधा रहता है। वह रिश्ता परिवार के सदस्यों का जैसे भाई-बहन चाचा ताऊ मम्मी पापा मौसी या फिर दोस्तों या फि

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नव वर्ष 2024

31 दिसम्बर 2023
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आप सभी को नव वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। हर नया वर्ष कुछ उम्मीद और सौगात लेकर आता है। वही पुराना वर्ष कुछ अच्छी कुछ बुरी स्मृतियां दे जाता है। हम सभी नववर्ष का स्वागत करने को उत्सुक हैं। हम आशा करें

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हिट एंड रन कानून

3 जनवरी 2024
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हिट एंड रन का मतलब है तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और फिर भाग जाना। भारतीय न्याय संहिता की धारा 104 में हिट एन्ड रन का जिक्र किया गया है जिसम

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विश्व हिंदी दिवस

10 जनवरी 2024
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आज विश्व हिंदी दिवस की सभी को शुभकामनाएं। जब हिंदी के बारे में सोचती हूं तो एक गाना याद आता है हिंदी भारत मां की बिंदी हिंदी हिंदुस्तान है। हिंदी वह भाषा है जो हमारे अंतर्मन की भावों को व्यक्त करने का

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जिंदगी रूकती नहीं है

10 जनवरी 2024
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कुछ ख्वाबों के टूटने सेकुछ लोगों के जाने सेजिंदगी रूकती नहीं हैचलती रहती है वह अविरलकुछ मुश्किलों के आने सेबहुत कुछ खो जाने सेजिंदगी रूकती नहीं हैचलती रहती है वह अविरलकुछ कांटों के चुभ जाने सेकुछ खून

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मकर संक्रांति

16 जनवरी 2024
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सूर्य का किसी राशि विशेष पर भ्रमण करना संक्रांति कहलाता है. सूर्य हर माह में राशि का परिवर्तन करता है, इसलिए कुल मिलाकर वर्ष में बारह संक्रांतियां होती हैं. लेकिन इमें से दो संक्रांतियां सर्वाधिक महत्

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अयोध्या में राम मंदिर

21 जनवरी 2024
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कल 22 तारीख को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है। शीत लहर चल रही है पर उससे ज्यादा राम लहर है। 500 वर्षों बाद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। यह सिर्फ राम मंदिर की प्रति

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गणतंत्र दिवस

29 जनवरी 2024
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गणतंत्र दिवस स्कूल में बच्चों के साथ मनाना हमेशा ही खुशी और उल्लास से भर देता है। उन्हें उत्साहित खुश देखकर शायद हमें भी गणतंत्र दिवस सार्थक लगता है। झंडारोहण का कार्यक्रम, बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक

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