आज विश्व हिंदी दिवस की सभी को शुभकामनाएं। जब हिंदी के बारे में सोचती हूं तो एक गाना याद आता है हिंदी भारत मां की बिंदी हिंदी हिंदुस्तान है। हिंदी वह भाषा है जो हमारे अंतर्मन की भावों को व्यक्त करने का माध्यम है। हमारे अंदर रची बसी है। आज पूरा विश्व हिंदी दिवस मना रहा है हमें गौरव है अपनी मातृभाषा पर। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा जरूर है हमारे सोचने का ढंग है हमारी अभिव्यक्ति है पर उसने कम विरोध नहीं सहा। आज भी हम भारतीय अंग्रेजी से कब ऊबर पाए हैं, अपनी भाषा में बात करना हीन कैसे हो गया? अंग्रेजी श्रेष्ठ कैसे हो गई? क्या आज भी हम भाषा के गुलाम नहीं बन गए? हम कैसे भूल गए निज भाषा उन्नति है सब उन्नति का मूल। क्या अपनी भाषा की उन्नति के लिए हमें दूसरों से विदेश से परमिशन लेनी पड़ेगी। जब वह कहेंगे हमारी भाषा श्रेष्ठ है तभी हम मानेंगे क्या? अगर हम वास्तव में हिंदी को सम्मान देना चाहते हैं तो हमें अपनी भाषा को अपने अंतर मन से स्वीकारना होगा। इस वह स्थान देना पड़ेगा जो स्थान उसका है। हमें अपनी मानसिकता को बदलना पड़ेगा । हमें अपनी मातृभाषा का प्रयोग आत्मविश्वास से व गौरव से करना होगा। वही व्यक्ति सफल है वही देश उन्नति शील है जो अपनी मातृभाषा को गौरव व स्वाभिमान की साथ बोलता है। फिर कौन सा विश्व में ऐसा देश है जहां अपनी मातृभाषा को बोलना हीनता की निशानी हो? जापान अपनी मातृभाषा बोलता है चीन में अपनी भाषा बोली जाती है सावितीश अपनी मातृभाषा में बोलकर अपने काम करके अपने देश को नई पहचान और गौरव दिलाते हैं। हमारा विश्व हिंदी दिवस मनाना तभी सार्थक है जब हम संकल्प ले कि हम भी अपनी मातृभाषा को अपने मन में अपने कामों में हर जगह गौरव और सम्मान के साथ स्वीकार करेंगे। हम हिंदी को अपने आचरण में उतारेंगे। आज पूरा विश्व हिंदी के महत्व को स्वीकार कर रहा है। तो हमें भी आगे बढ़कर अपनी मातृभाषा को अपने स्वाभिमान ,सम्मान गौरव की अभिव्यक्ति बनाना चाहिए।
हिंदी हमारा गौरव है
हिंदी हमारा आत्म अभिमान है
हिंदी हमारी अभिव्यक्ति है
हिंदी हमारी शान है।
पूरा विश्व कर रहा
आज हिंदी का सम्मान है।
हमें भी मन में संकल्प यह लेना होगा
हिंदी को मान हमें देना होगा।
(© ज्योति)