भारतीय नागरिक संहिता बिल में CrPC के 160 धाराओं में बदलाव किए गए हैं , 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को खत्म कर दिया गया है।आईपीसी में पहले 511 धाराएं थी उसे बदलकर अब सिर्फ 356 धाराएं कर दी गई है.।अपराध की खबरों में अक्सर सुना होगा कि दोषी पर IPC की धाराएं लगाई गईं. कानूनी प्रक्रिया में CrPC की धाराएं शामिल की गईं.अब एक बार इनकी चर्चा शुरू हो गई है. आईपीसी और सीआरपीसी जैसे एक्ट में बदलाव होगा. इनमें बदलाव के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन नए कानूनों का मसौदा पेश किया है. उनका कहना है कि IPC या CrPC के पुराने कानून अंग्रेजों की विरासत हैं, इसे आज के माहौल के मुताबिक बदला जा रहा है.।शिकायत दर्ज़ कराने या अपने केस की जानकारी के लिए थाने के चक्कर लगाना अब गुजरे ज़माने की बात होगी। जल्द ही आने वाला नया क़ानून आपकी कई मुश्किलें आसान कर देगा। अपराध के पीड़ित को 90 दिनों के अंदर जाँच की प्रगति के बारे में खुद पुलिस जानकारी देगी।
यही नहीं, नए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में हर पुलिस स्टेशन में किसी भी गिरफ़्तारी की सूचना देने के लिए पुलिस अधिकारीयों को नामित किया गया है।
सरकार तीन नए क़ानून ला रही है। ये तीनों क़ानून आपराधिक हैं जो सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होते हैं। कुछ क़ानून तो नए सिरे से लिखे गए हैं। यानी नाम के साथ उसका काम भी बदला गया है।
पहले का आईपीसी यानी इंडियन पीनल कोड 1860 अब भारतीय न्याय संहिता 2023 होगा। ऐसे ही सीआरपीसी यानी क्रिमिनल प्रोसीजर कोड अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता होगा और भारतीय साक्ष्य क़ानून यानी इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 होगा।सरकार के मुताबिक नए क़ानून को लाने से पहले 18 राज्यों, 6 संघशासित प्रदेशों, सुप्रीम कोर्ट, 16 हाई कोर्ट, 5 न्यायिक अकादमी, 22 विधि विश्वविद्यालय, 142 सांसद, लगभग 270 विधायकों और जनता ने इन नए कानूनों पर अपने सुझाव दिए थे। 4 सालों तक इस क़ानून पर गहन विचार विमर्श के बाद इसे तैयार कर संसद में पेश किया गया। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जायेगा।
यह तो भविष्य बताएगा की इस बदलाव का समाज पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा? इससे हमारे समाज की सोच में क्या क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा?
ज्योति