
नई दिल्ली : सीरिया पर हमले के बाद अब अमेरिकी युद्धपोत नार्थ कोरिया के समुद्र में कूद चुके हैं। अमेरिका द्वारा सीरिया पर मिसाइल हमला करने के बाद कई देश जहाँ इसकी निंदा कर रहे हैं वहीँ कई देशों ने अमेरिका के इस कदम का समर्थन भी किया है। अमेरिका द्वारा उठाये जा रहे इन कदमों से चीन और रूस उसके खिलाफ खड़े दिखाई दे रहे हैं। अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि अमेरिका इसी तरह आगे बढ़ता रहा तो हालत वर्ल्ड वॉर के भी बन सकते हैं।
रूस जहाँ सीरिया में अमेरिका हमले के खिलाफ खड़ा हो रहा है वहीँ अगर अमेरिका, नार्थ कोरिया पर हमला करता है तो चीन भी अमेरिका के खिलाफ खड़ा होगा। चीन नार्थ कोरिया को लगातर अपने कूटनीतिक कारणों से मदद देता आया है। चीन उत्तरी कोरिया को सामरिक मदद तो देता ही है, साथ ही साथ नॉर्थ कोरिया अनाज, व्यापार और ऊर्जा संबंधी अपनी जरूरतों के लिए भी पूरी तरह से चीन पर ही निर्भर है। यही कारण है कि अमेरिका अभी नार्थ कोरिया पर हमला नहीं कर पाया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का वॉर रूम
भारत को रूस से ज्यादा अमेरिका की जरूरत क्यों ?
वर्तमान में भारत की अमेरिका से गहरी दोस्ती है और भारत को अमेरिका की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि भारत के चीन और पाकिस्तान से जिस तरह के हालात रहे हैं उसमे उसे एक ताकतवर देश का साथ जरूरी है। इसी कवायद में भारत ने अमेरिका से हथियारों की खरीद भी बढ़ाई। अमेरिका से सैनिक अड्डों के इस्तेमाल जैसे समझौते किये।
इसे पहले भारत हमेश रूस को अपना सबसे गहरा दोस्त मानता रहा है और रूस ने भारत की 1965 के अलावा भी कई बार मदद की। इस बार भारत अमेरिका के नजदीक है क्योंकि भारत को लगता है रूस से ज्यादा अमेरिका को करीब रखने से इसलिए भी फायदा है क्योंकि अमेरिका के साथ नाटों देशों का समूह है जिसकी अगुवाई अमेरिका करता है।
भारत किसका साथ देगा ?
अगर दुनिया वर्ल्ड वॉर की दिशा की दिशा में बढ़ती है तो भारत निश्चित तौर पर अमेरिका के साथ खड़ा होगा। इसका एक मतलब यह भी है कि भारत अपने नजदीकी रहे रूस से दूर हो जायेगा। अमेरिका का समर्थन करने वाले देशों में ब्रिटेन, तुर्की, इजराइल है वही रूस और चीन अमेरिका के खिलाफ है और रूस चीन के साथ ईरान और नार्थ कोरिया जैसे देश भी आ सकते हैं।