लखनऊ:भ्रष्टाचार करने के लिये निअन्तर निशाना बनाये जा रहे दिल्ली के मुख्यमंन्त्री अरविंद केजरीवाल अब एक ऐसे मामले में उलझते नज़र आ रहे है जिसने एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी का सफाया होना निश्चित हो रहा है।
मानहानि के मुकदमे का सामना कर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी के बिल का भुगतान दिल्ली सरकार के खजाने से किए जाने पर घमासान मच गया है। भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के ऊपर आरपी लगते हुये इसे जनता के पैसे पर डाका करार दिया है।
सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए फीस देने के विवाद पर चुप्पी तोड़ते हुए अरविंद केजरीवाल ने अब विरोधियों पर हमला आरम्भ कर दिया है।एमसीडी चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल दिल्ली में जगह जगह जनसभा में डीडीसीए में हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनके द्वारा उठाए गए आवाज से जोड़ रहे है।
केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘डीडीसीए में बहुत भ्रष्टाचार था। क्रिकेट खेल ने वाले बच्चे शिकायत लेकर आते थे कि रिश्वत न देने पर सिलेक्शन नहीं होता है। भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए मैंने इसके ऊपर जांच बैठा दी। केजरीवाल का कहना है कि भाजपा वालों ने उनके ऊपर केस करवा दिया, तो उन्होंने सबसे बड़ा वकील किया राम जेठमलानी। केजरीवाल का यह भी कहना है कि अब भाजपा वाले यह भी कहने लगे कि राम जेठमलानी की फीस सरकार क्यों देगी।
अरविंद केजरीवाल जनता से पूछते फिरते है कि जनता बताए फीस सरकार नहीं देगी तो क्या मैं दूंगा? ये केजरीवाल का आरोप है कि भाजपा वाले भ्रष्टाचार की लड़ाई को कमजोर करना चाहते हैं।
इससे पहले विवाद बढ़ने पर उप मुख्य मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी मीडिया के सामने आकर ‘इस मामले को उठाने की टाइमिंग पर सवाल किया हैं। सिसौदिया का कहना है कि यह मामला डेढ़ साल पुराना है जिसमे भाजपा वाले वकील की फीस का मामला ले आए हैं। मनीष सिसौदिया का यह भी कहना है कि चूंकि भाजपा के ईवीएम घोटाले की मध्य प्रदेश में पोल खुल गई है,इसलये वे लोग भटकाने की दृष्टि से वकील की फीस कस मामला उठा रहे है।
सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा इसलिए दायर किया गया, क्योंकि उन्होंने डीडीसीए में कायम भ्रष्टाचार की जांच शुरू कराई थी। केजरीवाल के पक्ष में दलील देते हुए सिसौदिया ने कहा, यदि उन्होंने सरकार की ओर से जांच कराए जा रहे किसी मामले को चुनौती दी तो वकीलों का बिल सरकार ही देगी। यह अरविंद केजरीवाल का निजी मामला तो नहीं है।
यदि यह मान भी लिया जाए कि यह उनका निजी मामला नही है तो इस मामलर की फीस के भुगतान के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सरकारी खजाने से भुगतान करने से पूर्व या राम जेठमलानी को आबद्ध करने से पूर्व सक्षम स्तर से, अर्थात एल जी का अनुमोदन अबश्य प्राप्त कर लेना चाहिए था।
सोशल मीडिया पर भी जेठमलानी की फीस के मसले पर खूब मौज ली जा रही है। फिल्म अभिनेता परेश रावल ने ट्वीट कर सवाल किया है कि अभी यह हाल है, अगर कल को कोर्ट केजरीवाल पर फाइन लगाता है तो यह कौन भरेगा?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राम जेठमलानी ने केजरीवाल को करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए का बिल भेजा है। इसके तहत उन्होंने एक करोड़ रुपए रिटेनरशिप के और 22 लाख प्रत्येक पेशी के मांगे हैं। इस हिसाब से तो केजरीवाल के लिए यह मुकदमा जेटली की ओर से मांगे गए मुआवजे से भी महंगा पड़ जाएगा।