बोहत मुश्किल से हायर सेकेंडरी पास किया मैने, वैसे तो पैसे का कंगाल ही था, जैसे तैसे H.S खतम किया वो तो अलग बात है, पापा कॉलेज में भर्ती होने के लिए पैसे नहीं दे रहे थे ये सबसे बड़ी मुश्किल बात थी।पापा को मानाना काम बड़ी चुनौती नहीं था मेरे लिए,पापा ने तो बोल दिया था जाओ जाके नौकरी करो कही,मैं पढ़ाईका खर्चा नहीं उठा सकता।मन उदास,सिर भरी हालत पूरा खराब हो चुका था, इतने सालों का इंतजार ऐसे ही खतम हो जायेगा,मैं ऐसा होने नहीं दे सकता था।मैने एकदिन गुस्सा करके खाना नही खाया था,वैसे तो ज्यादातर लड़का लोग ऐसा ही करता है,मैं भी ऐसा ही किया।
बुधवार का दिन था,सभी रात को खाना खा के सो चुके थे और मैं चुप चाप लेटे रहा,पता नही क्यों उठने का मन नहीं किया।
सुबह हो गई पर मैं उठ नही पाया, सुबह 10 से 11 baj गया होगा,किसी तरह बिस्तर से उठने के बाद ब्रश किया और चाय पिया फिर सो गया।
मम्मी को पता नही चलता था की मैने खाना खाया की नही,क्युकी मैं सबसे लास्ट में खाना खाता था।
मम्मी तो मम्मी है पता चल ही जाता है बच्चे ने खाना खाया की नही। एक दिन मम्मी को पता चल ही गया, मम्मी पूछ ने लगी तुम खाना क्यों नहीं खा रहे हो, जाओ खाना खा लो, हां खाना खाता हूं बोल के नही जाता था ओर सो जाता था। ऐसा करते करते बुधवार से रविवार ये चार दिन कैसे गुजर गए मुझे पता ही नही चला। शरीर कमजोर हो चुका था। मम्मी मेरा हालत देख घबरा गई ओर रोने लगी। बात मेरे पापा के कानो तक पांच गई, मेरा हालत देख पापा बोहात दुखी तो हुए, साथ में पापा का गुस्सा भी काम हो गया।
वैसे दुनिया में ऐसा कोई पापा नही जो अपने बच्चे का कष्ट देख के कष्ट न हो।
इधर मम्मी का रोना काम नहीं हो रहा था, मम्मी ने अपना कसम दी फिर मैंने थोड़ा सा खाना मुंह में लिया पर खाना खा नही पा रहा था।
मम्मी कहने लगी मेरा मान रखने के लिए तुम खाना खाया,चुपचाप पूरा खाना खाओ। मैं तब भी खा नही पा रहा था क्यों की पेट अंदर से सिकुड़ चुका था। पहली बार मम्मी का रोना देख के मुझे रोना आ गया, सच में मम्मी मुझे बोहत प्यार करती है।
पापा ने टेबल पर 1000 रुपया रख दिया, मैं इतना खुश हुआ की मैं किसी को बता नही सका। पता नही दूसरे दिन इतना कॉन्फिडेंस इतना एनर्जी कहा से आया । मैं खुशी से जैसे आसमान पे उड़ रहा था। सालों का इंतजार खतम होने वाला था....
क्यों की....
मैं जिसे पाने ले लिए सालों से इंतजार कर रहा था वो वक्त आने वाला था। मैं मन ही मन खुशी से झूम रहा था।वैसे मेरा कोई दोस्त नहीं था, पिछले कई साल एग्जाम मे फेल होने से सभी दोस्त कई साल मेरे से आगे जा चुके थे। जो भी हो सब तो पीछे छूट चुका है,कोई एक तो अभी मेरे पास है, जिसे में अपना दिल की बात बोल सकू।
उस समय मोबाइल फोन भी ज्यादा नही था, एंड्रॉयड फोन का तो नामो निशान नहीं था, मेरे पास भी कोई फोन नही था, उस वक्त एक छोटा सा फोन बोहत बड़ी बक्तित्ब वाली बात थी।
हम दोनों भेट करके ही निश्चित करते थे कब कॉलेज जाना है कॉलेज मे भरती होने के लिए।
एक दिन निश्चित हुआ कॉलेज जायेंगे हम दोनो ओर फॉर्म फिलअप करेंगे,
वो मुझे कहने लगी तुम पहले फॉर्म फिलअप करके भरती मत हो जाना,जब तक मैं न आऊं।
मैने कहा ठीक है, मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा वहा।
उसने मुझे पहले ही घर से निकलने के लिए बोल दी थी, मैं भी घर से निकल चुका था। कॉलेज के थोड़ी दूर एक हरि मंदिर के पास इंतजार कर रहा था।
तंतेजार करते करते अंधी तूफान सुरू हो गया, कुछ देर बाद जोर दार बारिश भी सुरू हो गई। मैं उसी हालत मै उसका इंतजार करता रहा।
दिल टूट रहा था, उसने इंतजार करने के लिए बोली थी,अगर वो नही आई तो इतना मेहनत बेकार हो जायेगा, मुझे घर घूम के जाना पड़ेगा, अकेले एडमिशन भी नही ले सकता क्यू कि वो मेरी जान खा लेगी।
मैं इंतजार करने लगा, सोचने लगा जो होगा देखा जायेगा, आयेगी तो ठीक है,नही तो घर चले जायेंगे।
बारिश थम चुका था, इंतजार करते हुए दो तीन घंटा हो चुका था, अचानक दूर से हल्के बारिश में भीगती हुई आ रही थी, मानो इंतजार जैसे खतम हो रहा था।
आ कर ही बोली सॉरी तुम्हे इंतजार कराने के लिए, तुम एडमिशन तो नही लिया न।
मैं सोचने लगा....
मैं एडमिशन कैसे ले सकता हु तुम्हारे बिना,
तुम्हारे सिवा मेरा दोस्त और है ही कोन।
To be Continued.......