नई दिल्लीः नोएडा प्राधिकरण फिर सुर्खियों में है। मामला एक महीने में ही चेयरमैन बदलने की तैयारी का है। कई साल से जमे रहकर नोएडा प्राधिकरण को लूट रहे आईएएस रामारमण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक महीने पहले हंटर चला तो कुर्सी छोड़नी पड़ी थी, वे मुलायम कुनबे को पटाकर नोएडा के साथ ग्रेनो और यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी के भी चेयरमैन पद पर कुंडली जमाए बैठे थे। रामारण के हटने के एक महीने बाद दूसरी तैनाती होने जा रही है। खबर है कि सीनियर आईएएस प्रवीर कुमार को नोएडा अथॉरिटी के चेयरमैन पद से हटाकर यूपीपीसीएल के चेयरमैन आईएएस संजय अग्रवाल को लाया जा रहा है। प्रवीर कुमार मुख्यमंत्री अखिलेश के खास माने जाते हैं, अन्य अफसरों की तुलना में उनकी छवि कुछ ठीक है। फिर भी इतनी जल्दी चेयरमैन पद से विदाई को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं।
अवैध कब्जे की मुहिम शुरू करते ही हो गया ट्रांसफर प्रवीर कुमार की नियुक्ति 19 जुलाई को नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन पद पर हुई थी। तैनाती के बाद से उन्होंने नोएडा में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने का खाता तैयार किया। नई इंडस्ट्री से नोएडा को आच्छादित करने पर भी बल दिया। मगर उनकी कार्यशैली से अथॉरिटी के कई अफसर खार खाए बैठे थे। अचाकन एक महीने के बीच ट्रांसफर होने पर सवाल उठ रहे हैं।
बाबुओं, चपरासी के हाल देख दंग रह जाते हैं नए आईएएस
नोएडा प्राधिकरण में भ्रष्टाचार इस कदर जड़ जमाया है कि यहां के पुराने चपरासी भी करोड़पति हो चुके हैं। नया कोई आईएएस अफसर आता है तो वह यह देखकर दंग हो जाता है कि उनसे भी महंगी कार से ड्यूटी करने चपरासी और बाबू आते हैं। हां जब कुछ समय यहां कोई अफसर बिता लेता है तो चपरासी करोड़पति तो अफसर अरबबति हो जाते हैं। बस इतना अंतर होता है।
जब रिटायर्ड आईएएस ने किताब में किया था दावा
पिछले साल 1976 बैच की रिटायर्ड आईएएस प्रोमिला शंकर की गॉड्स ऑफ करप्शन किताब जारी हुई। इसमें वे नोएडा प्राधिकरण को पूरी तरह भ्रष्ट संस्था करार देती हैं। शंकर यहां पर अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी रहीं। उन्होंने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि यहां उनका चपरासी भी महंगी कार से आता था।
हर सरकार नोएडा अथारिटी को दुह रही
प्रोमिला शंकर ने कहा कि हर सरकार नोएडा अथारिटी को दुधारू पशु की तरह दुहती चली आ रही है। जिससे यहां के अफसर भ्रष्ट होते जा रहे हैं। उन्होंने किताब में दावा किया कि यहां का प्रत्येक इंजीनियर व अधिकारी करोड़पति है। ईमानदार अफसर यहां पर नहीं ठहर सकता। कुछ समय तभी कुर्सी पर रह सकता है जब उसके पास टेंडर आवंटन, नियुक्ति जैसे कोई काम न हों।