नई दिल्ली : नोटों की किल्लत से जूझ रहे लोगों की परेशानियां जान पर बन आयी है। अब तक अलग-अलग घटनाओं में 40 से भी ज्यादा लोगों के मौत की खबर है। ताज़ा खबर झारखंड से जहाँ में एक बेटी का इलाज़ इसलिए नही सका क्योंकि दवाई ले लिए वक़्त पर खुले पैसों का इंतज़ाम नही हो सका। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार घाटशिला के हीरागंज निवासी शंकर नमाता की बेटी नंदिनी का खुले पैसे और नए नोट नहीं होने की वजह से इलाज ना हो सका और उसकी मौत हो गई।
नंदिनी ब्रेन मलेरिया से पीड़ित थी और उसका इलाज़ चल रहा था। घर में सिर्फ़ 500 के कुछ पुराने नोट बचे थे। जो फिलहाल चलन से बाहर हैं और उन्हें कोई ले नही रहा है। घरवाले लंबे वक़्त तक एटीएम की लाइन में लगे रहे लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और नंदिनी ने दम तोड़ दिया।
नंदनी का इलाज स्वर्णरेखा अस्पताल में चल रहा था। डॉक्टरों का कहना है कि नंदिनी को तत्काल खून चढ़ाने की जरुरत थी और यहां इसकी व्यवस्था नहीं है। इसलिए उसे टीएमएच जमशेदपुर रेफर कर दिया गया। इसके लिए उनके रिश्तेदार पैसे निकालने गए थे। इस बीच मरीज की हालत काफी बिगड़ गई और उसे नहीं बचाया जा सका।
पलामू के मोहम्मदगंज में रामचंद्र पासवान नामक एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत बैंक में घुसने के दौरान हो गई. वे अपने घर में पुराने रखे 4500 रुपये बदलवाने स्टेट बैंक गए थे। उनके बेटे अर्जुन पासवान ने बताया, "बैंक में घुसते वक्त धक्का मुक्की के कारण वे बेहोश होकर गिर पड़े. पैसे निकालने को आतुर भीड़ उन्हें कुचलती हुई बैंक में घुसने लगी. अस्पताल ले जाने पर डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। "
जयपुर आईं लालसोट की सुलताना ने बताया, "बच्ची हास्पिटल में पड़ी है. बैंक वाले कहते हैं अस्पताल वाले ले लेंगे। यहां लेते नहीं है। " पटना से पत्रकार सीटू तिवारी बताती हैं कि 19 साल के मिथिलेश इस वक़्त ख़ुद को दुनिया का सबसे अकेला आदमी महसूस कर रहे हैं क्योंकि वो अपनी मां को इलाज के लिए पटना ले तो आए हैं लेकिन यहां आकर वो बहुत परेशान और अकेले पड़ चुके हैं। मिथिलेश ने बताया, "झारखंड के कोडरमा में मेरी मां पूनम देवी का एक्सीडेंट हो गया था, सिर पर चोट आई. पहले तो बिहारशरीफ में इलाज कराया, फिर अच्छे इलाज के लिए पटना के एक निजी अस्पताल ले आया।
बहन हॉस्पिटल में मां को देखती है, और मैं बैंक और अस्पताल का काम दोनों देखता हूं. सिर्फ़ पांच दिनों में ही डेढ़ लाख रुपये खर्च हो चुके है। "मिथिलेश बताते हैं, "अस्पताल वाले पैसा नहीं ले रहे हैं. उन्होंने साफ कह दिया है कि 500 -1000 के नोट नहीं लेंगे. अस्पताल को क्रेडिट कार्ड से पैसे दे रहे है लेकिन बाकी के खर्च के लिए कहां जाए।"