नई दिल्ली: विश्व बैंक ने सिंधु जल समझौते को लेकर चल रही खींचतान के बीच भारत और पाकिस्तान द्वारा की जा रही कोशिशों पर रोक लगा दी है। विश्व बैंक का कहना है कि इस कदम से दोनों देशों को समझौते को लेकर मतभेद हल करने और दो पनबिजली परियोजनाओं को लागू करने के लिए विकल्प तलाशने में मदद मिलेगी। उसने मामले में जनवरी तक दोनों को सहमति कायम करने को कहा है।
विश्व बैंक ने पाकिस्तान को भेजी चिट्ठी
विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने भारत और पाकिस्तान के वित्त मंत्रियों को पत्र लिखा है कि हम इस विराम की घोषणा करते हैं। उन्होंने जोर दिया कि वह समझौते को बचाने के लिए काम कर रहा है। दोनों देशों की तरफ से चल रही प्रक्रियाओं को रोकने के बाद विश्व बैंक पंचाट का अध्यक्ष या तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति को टाल देगा। किम ने कहा कि ये दोनों देशों के लिए अवसर है कि वे आपसी रजामंदी से इस मुद्दे को सुलझाएं जो कि संधि की भावना के अनुरूप हो। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने विश्व बैंक से इस तरह की चिट्ठी मिलने की पुष्टि की है।
वित्त मंत्रालय ने सिंधु नदी जल पर पाकिस्तान के कमिश्नर मिर्जा आसिफ बेग को भारत के साथ 2 बांधों का मुद्दा उठाने के लिए कहा है। इसके एक दिन पहले ही भारत ने सिंधु जल नदी समझौते के तहत दोनों पश्चिमी नदियों के पानी पर अपने वैधानिक हक का पूरा इस्तेमाल करने का ऐलान किया था। भारत ने अपने 2 निर्माणाधीन हाइड्रोइलैक्ट्रिक ऊर्जा संयत्रों से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए विश्व बैंक से तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति करने का आग्रह किया था। वहीं पाकिस्तान ने 'चेयरमैन ऑफ द कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन' की नियुक्ति की मांग की थी लेकिन अब इन दोनों मामलों में ही विश्व बैंक की ताजा घोषणा के बाद अस्थायी तौर पर विराम लग गया है।