दिल्ली : वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने मोदी सरकार के विकास के दावों की पोल खोल दी है. व्यापार सुगमता के मामले में वर्ल्ड बैंक (World Bank) की तरफ से जारी लिस्ट में इस साल भी भारत को झटका लगा है. भारत इस साल लिस्ट में 130वें नंबर पर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने निर्माण परमिट, कर्ज हासिल करने और अन्य मानदंडों के संदर्भ में नाममात्र या कोई सुधार नहीं किया है. इस लिस्ट में न्यू जीलैंड पहले नंबर पर है जबकि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान 144वें नंबर पर है.
वर्ल्ड बैंक की ताजा ‘डूइंग बिजनस’ रिपोर्ट में भारत की स्थिति में पिछले साल के मुकाबले कोई सुधार नहीं हुआ है. विभिन्न मानदंडों के आधार पर भारत 190 देशों में 130वें पायदान पर था. हालांकि पिछले साल की रैंकिंग को संशोधित कर 131वां कर दिया गया है. इस लिहाज से देश ने एक पायदान का सुधार किया है.
कमजोर रैंकिंग से वर्ल्ड बैंक पर भड़की केंद्र सरकार
केंद्र की सत्ता में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के काबिज होने के बाद से भारत में व्यापार सुगमता बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. इसके बावजूद इंटरनैशनल फाइनैंस कॉर्पोरेशन की व्यापार सुगमता की रैंकिंग में भारत सिर्फ एक पायदान ऊपर चढ़ सका है. भारत की स्थिति को कमजोर करार देने वाली इस रिपोर्ट को लेकर केंद्र सरकार ने वर्ल्ड बैंक पर निशाना साधा है. सरकार का कहना है कि बीते एक साल में कारोबार को आसान बनाने के लिए करीब 1 दर्जन कदम उठाए गए हैं, लेकिन इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन इन्हें अपनी रिपोर्ट में शामिल नहीं किया.
रूस, भूटान, दक्षिण अफ्रीका, चीन भारत से आगे
मंगलवार शाम जारी की गई रिपोर्ट में 190 देशों की रैंकिंग में भारत को 130वें स्थान पर रखा गया है. भारत के मुकाबले रूस, भूटान, दक्षिण अफ्रीका, चीन, नेपाल, श्रीलंका और ब्राजील आगे रहे हैं.
देश को टॉप-50 देशों में लाना चाहती है सरकार.