लखनऊ-: पिछली अखिलेश सरकार में एक आई.ए.एस. अधिकारी रहे हैं सतेंद्र सिंह यादव। प्रोन्नतप्राप्त आई.ए.एस.। उस सरकार में अधिकांश प्रोन्नत प्राप्त अधिकारियों को ही सिर आंखों पर बैठाया गया था। नवनीत सहगल जैसे बिरले वरिष्ठनौकरशाह ही इसका अपवाद रहे हैं। बडा चमत्कारी रहा है यह नौकरशाह। चाहे मायावती की सरकार रही हो अथवा अखिलेश यादव की? नवनीत सहगल दोनों के ही नयनतारा बनकर रहे हैं। इनके पास ऐसी न जाने कौन सी जडीबूटी रही है, जिसे सुंघा देने के बाद इन दोनों की ही सरकारों ने इन्हें अपनी आँखों में बसा लिया था।
नवनीत सहगल का सिद्ध जैसा वशीकरण मंत्र
यह देखकर उस समय तो लगा कि जैसे सहगल ने वशीकरण मंत्र ही सिद्ध कर लिया था। अपनी इसी जादुई कला के ही जरिये इन्होंने अखिलेश यादव के आगे ढेंर सारी खुशियां बिछा दी थी। इससे पूरी तरह अभिभूत से हो उठे थे अखिलेश यादव। यही वजह थी कि इनके दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर पाते ही वह पानी के बाहर लाई गयी मछली की तरह दर्द से तडप उठे। इसलिये उन्हें देखने के लिये वह नंगे पांव ही मेदांता अस्पताल दौडे चले गये। कितने नौकरशाह होते हैं इतने खुदकिस्मत?
नहीं चल सका योगी पर कोई टोनाटोटका
लेकिन, यह योगी भी भाई गजब का इंसान निकला। ऐसे सारे टोनेटोटके से पूरी तरह बेअसर। इनकी इसी खूबी के कारण इनके मुख्य मंत्री बनते ही सहगल अपने सारे विधिविधान के सहित अपनी चमत्कारी जडीबूटी लेकर लगातार तीन दिनों तक योगी मुख्य मंत्री के पीछे पीछे चलते ही रहे। थके नहीं-रुके नहीं। अपनी लंगडी टांग की भी चिंता नहीं रही उन्हें। अंततः एक दिन योगी से न रहा गया, तो उन्होंने अपना सिर थोडा पीछे घुमाकर इनकी ओर तरेर कर देखा। फिर, बडे तल्ख अंदाज में कहा ‘‘क्यों मेरे पीछे पडे हुए हो? मैं आपको बहुत अच्छी तरह जानता हॅू। आपका ‘ सुयश‘ जान चुका हॅूं। इसलिये जाओ! पीछे घूमो और जाओ। कल से अपना चेहरा लेकर मेरे पीछे मत चलना। थोडा इंतजार करो। जल्दी ही आपका इलाज करूंगा।‘
अखिलेश के ड्रीमप्रोजेक्ट और उनके ड्रीमपर्सन के भी खिलाफ जांच
इसके बाद योगी नेनवनीत सहगल से किया गया अपना वादा पूरा करने में देर नहीं की। सहगल से उनके सारे पद छीन लिये गये। उन्हें प्रतीक्षारत कर सडक पर खडा कर दिया गया। अब अखिलेश यादव के चर्चित ड्रीम प्रोजेक्ट के साथ ही उनके ड्रीमपर्सन को भी नंगा करने यानी उनके ऊपर लगे गंभीर आरोपों की जांच शुरू हो गयी है।
सतेंद्र सिंह यादव भी रहे हैं अखिलेश की ‘विभूति‘
अखिलेश सरकार में ऐसे ‘युगपुरुषों‘ की कमी नहीं रही है। विस्तारभय से यहां ऐसी ही सिर्फ एक ही ‘विभूति‘ की चर्चा संभव है। यह हैं सतेंद्र सिंह यादव। इनमें ऐसी सारी खूबियां हैं, जिनकी पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव की दरकार रही है। यह उनकी बिरादरी के रहे हैं, तरह तरह की कारिस्तानियों के अपार भंडार और चर्चित कमाऊपूत भी। इसलिये अखिलेश यादव के लिये यह सोने में सुहागा जैसे साबित हुए है। वैसे भी, शुरू से ही यह बहुत होनहार रहे हैं। कौशांबी में जिलाधिकारी रहे है, तो वहां भी बडा ‘नाम‘ कमाया और...। इनकी ख्याति ‘ऊपर‘ तक पहुंची, तो राजधानी लखनऊ के जिलाधिकारी के पद पर इनकी ताजपोशी कर कर दी गयी। सारा मामला चकाचक। नीचे से लेकर ऊपर तक सबकी लेडी तर होती रही। नतीजतन, इनकी कारिस्तानियों से परम गदगद तत्कालीन मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने इन्हें लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण पद पर आसीन कर दिया। यहां आते ही इन्होंने अपनी एक से एक बढकर कारिस्तानियों से इस विकास प्राधिकरण का विकास करने की बजाय उसकी रीढ ही तोड कर रख दी।
कर दिया विनाश लखनऊ विकास प्राधिकरण का
पेश है इसकी कुछ चुनिंदा मिसालें। आरोप है कि सतेंद्र सिंह के ढाई साल के कार्यकाल में ए.डी.ए.यानी लखनऊ विकास प्राधिकरण खोखला हो गया था। उसके खाते में कभी 17 सौ करोड रु थे। इस समय उसमें लगभग 60 करोड रु ही बचे हैं। इनके पिछले ढाई साल के कार्यकाल की जांच कराये जाने पर इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि सूबे की सरकार का यह बहुत बडा घोटाला साबित हो सकता है।
जो चहा, वही कियां बेरोकटोक
आरोप है कि सतेंद्र सिंह ने बिल्डरों को आंख मूंद कर फायदा पहुँचाया। मसलन, कानपुर रोड पर एक बिल्डर की खराब तथा कब्जे वाली जमीन को लेकर उसे प्राइम लोकेशन वाली बहुत अच्छी जमीन दे दी। ऐसे ही और भी दूसरे कई आरोप हैं। आवास मंत्री सुरेश पासी की माने, तो इनके जमाने में कमीशनखोरी 25 प्रतिशत से बढकर लगभग 50 प्रतिशत हो गयीं। कानपुर रोड तथा गोमती नगर में एक एक सडक को दो दो साल में तीन तीन बार बनवायी।
अदालती आदेश से ही गायत्री को गहरा झटका लगा
कल ही अदालत ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के अवैध निर्माण को बचाने वाले एल.डी.ए. के इंजीनियरों और बाबुओं के खिलाफ कार्रवाई का आदेश होने के साथ ही इस अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिये आदेश जारी कर दिया है। एल.डी.ए. के जिन इंजीनियरों ने इनकी अवैध बिल्डिंग की कंपाउडिंग मैप फीस जमा कराई थी, अब अपनी खाल बचाने के लिये वे इससे मुकर रहे हैं। गायत्री बना रहे थे कांप्लेक्स, लेकिन नक्शा जमा किया था आवासीय भवन का।
सालों आडिट ही नहीं होने दिया
एल.डी.ए. में करीब ढाई साल से आडिट नहीं हो पाया है। इसके लिये अधिकारी फाइलें ही नहीं दे रहे हैं। ऐसी लगभग 80 प्रतिशत फाइलों को दबा कर रख दिया गया हैं। इंजीनियरों और बिल्डरों की फाइलों को तो एकदम भेजा ही नहीं गया। इस संबंध में सहायक निदेशक आडिट हरिमंगल सरोज का कहना है कि इस संबंध में उन्होंने कई पत्र लिखे थे। अब उम्मीद जगी है।
जाते जाते सपा नेता का भला कर गये, लेकिन
इन पर यह भी आरोप है कि एल.डी.ए. में अपना कार्यमार छोडने के एक दिन पहले यह सपा सरकार में मंत्री रहे शारदा प्रसाद शुक्ल के हित में बडा काम कर गये। उन्होंने 15 हजार वर्गफीट की जमीन का कामर्सियल और आवासीय ले आउट बदल कर उसे पार्क करने का निर्देश जारी कर दिया था। इसके पीछे पार्क की आड में पूर्व मंत्री के अवैध कब्जे को बनाये रखना था। आशियाना में स्थित इस जमीन की कीमत लगभग 18 करोड रु है। इससे एल.डी.ए. को भारी आर्थिक चपत लगती। हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद, जब सतेंद्र सिंह ने पूर्व मंत्री के अवैध कब्जे वाली जमीन को नहीं खाली कराया, तो कोर्ट ने उन्हें जेल भेजने की धमकी दी। इसके बाद ही पूर्व मंत्री की 12 दुकानें ढहायी जा सकी हैं।
अखिलेश यादव की त्रासदी
दरअसल, निवर्तमान मुख्य मंत्री अखिलेश यादव के साथ सबसे ज्यादा त्रासद विडंबना यह है कि उनके पास सिर्फ कुछ दिनों तक ही योगी सरकार का काम देखने का भी धैर्य नही बचा है। हवा में उडती हुई जरा सी भी चिंगारी दिखाई पडी, कि भयंकर अग्निकांड होने जैसा आर्तनाद शुरू हो जाता है। इस लिहाज से यदि अखिलेश यादव प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जैसा 56 इंच का सीना नहीं रख सकते हैं तो जितना भी है ओर जैसा भी है, उसी को घ्यान में रखकर कुछ दिन तो शांत होकर बैठे रहिये सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय। अच्छा सोचने और अच्छा करने से ही लोगों की निगाह में फिर चढ सकोगे। इस सरकार में सिर्फ विधवा विलाप करने से अब काम नहीं कलने वाला है। यदि माननीय आप विलाप ही ही काम नहीं चलने वाला हें। फिर भी यदि दिल नहीं मानता है, तो कुछ बोलने के पहले एक बार अपनी सरकार की कारिस्तानियों पर ज्यादा नहीं, सिर्फ एक नजर तो डाल ही लें।