बिहार में सरकार बदलने के बाद बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेर-बदल हुए हैं। कई जिलों के अफसरों को हटाया गया है तो कई अधिकारियों को ज्यादा पावर दिया गया है। लेकिन इन सब के बीच एक ऐसा भी अधिकारी है जिसकी वजह से नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच तलवारें तन गई थी। हालांकि नीतीश की जिद का आगे लालू की एक नहीं चली और नीतीश ने लालू के उस खास अधिकारी को पटना का डीएम नहीं बनने दिया।
बताया जाता है कि महागठबंधन की सरकार थी तब अधिकारियों के तबादले में लालू यादव का काफी ज्यादा दखल होता था। इस बात का अंदाजा आप सिर्फ इससे लगा सकते हैं कि बीजेपी के साथ सरकार बनने के 7 दिन के अंदर ही नीतीश ने थोक के हिसाब से तबादले किए थे। सूत्रों की मानें तो नीतीश ने सबकुछ इतनी जल्दी किया कि डिप्टी सीएम सुशील मोदी को भी समझ में नहीं आया कि करें तो आखिर क्या।
आपको बता दें कि लालू यादव और नीतीश कुमार के बीच एक अधिकारी को लेकर काफी मनमुटाव होता था। दरअसल भोजपुर के डीएम बीरेंद्र प्रसाद यादव को लालू पटना लाना चाहते थे। इस बात को लेकर लालू यादव ने कई बार नीतीश कुमार पर दवाब बनाने की कोशिश भी की। लेकिन नीतीश कुमार ने लालू की एक नहीं सुनी और बताया जाता है कि एक मौके पर तो नीतीश ने ये तक कह दिया था कि किसी भी कीमत पर बीरेंद्र यादव को पटना का डीएम नहीं बनने देंगे। इसके पीछे की वजह ये है कि डीएम बीरेंद्र का ट्रैक रिकार्ड काफी अच्छा नहीं है और उनके खिलाफ पिछले लंबे समय से नीतीश के पास शिकायतें पहुंच रही थी। नीतीश इससे पहले ही उस अधिकारी के पर कतरना चाहते थे लेकिन लालू के दवाब में कर नहीं पा रहे थे।
नई सरकार बनते ही नीतीश को मौका मिला और उन्होंने भोजपुर के डीएम बीरेंद्र यादव के हाथ से जिले का कमान वापस लेकर उन्हें पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के विशेष सचिव के पद पर तैनात कर दिया गया है।