गैरतगंज। तहसील के सिद्घ क्षेत्र श्रीराम रसियाधाम सीहोरा खुर्द में रविवार को नागपंचमी के अवसर पर नागों की अदालत लगी। यह आयोजन हर साल सीहोरा खुर्द में होता है। आयोजन के दौरान सर्पदंश से पीड़ित रहे लोगों के शरीर में नागों की आत्मा ने प्रवेश कर काटने का कारण बताया। यह लोग नागों द्वारा सताने के बाद सीहोरा दरबार में पहुंचे थे। अपने तरह के अनोखे एवं चमत्कारिक इस आयोजन को देखने के लिए दूर दराज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।
ग्राम सीहोरा खुर्द श्री हनुमानजी एवं श्री शिवजी के सिद्घ स्थान के लिए ख्यातिलब्ध है। सीहोरा में नागदेव का चबूतरा है। जहां प्रतिवर्ष नागपंचमी के मौके पर नागों की अदालत लगती है। रविवार को प्रातः से ही इस आयोजन की तैयारियां होने लगी थी। क्षेत्रभर में हो रही तेज वर्षा के बावजूद इस आयोजन के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटे। इस आयोजन में रायसेन जिले के सिलवानी, बरेली, उदयपुरा, सुल्तानपुर, औबेदुल्लागंज, बेगमगंज सहित अन्य स्थानों में सीहोरा, भोपाल एवं सागर के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए।
पहुंचे हजारों श्रद्घालु
रविवार को सीहोरा स्थित नागदेव के चबूतरे पर नागों की अदालत लगी। दूर-दराज के दर्जनों लोग जो बीते वर्ष में सर्पदंश से पीड़ित रहे थे। वे इस अनोखे आयोजन में पहुंचे। यहां पंडाजी अजब सिंह की मौजूदगी में बारी-बारी से पीड़ित रहे दर्जनभर से अधिक लोगों के शरीर में नागों की आत्मा ने प्रवेश कर संबंधित व्यक्ति को काटने का कारण बताया।
यही नहीं प्रविष्ट नाग की आत्मा ने भविष्य में किसी व्यक्ति को पीड़ा न पहुंचाने की वचनबद्घता भी जताई। मौके पर मौजूद सर्पदंश से पीड़ित रहे व्यक्तियों के परिजन गंगाराम, वेदप्रकाश, लक्ष्मीबाई, आदेश, जयराम आदि ने मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए बताया कि वे नाग के सताए हुए व्यक्तियों को सीहोरा दरबार में लाए थे तथा यहां से गांसी बंधवाने के बाद आराम मिल गया था। यहां की परम्परा अनुसार अब नागपंचमी पर इस आयोजन में आए हैं। इस आयोजन को देखने के लिए क्षेत्र सहित दूर दराज के श्रद्घालु बड़ी संख्या में सीहोरा खुर्द पहुंचे।
अनोखा है आयोजन
आधुनिक युग में जहां अंधविश्वासों को तोडकर वि ज्ञान ने काफी प्रगति की है। तथा गंभीर रोगों के अत्याधुनिक इलाज की खोजें हुई हैं। इन स्थितियों में लोगों की आस्था अभी इस प्रकार के अनोखे आयोजनों से जुड़ी है। सीहोरा खुर्द में वर्षो से नागपंचमी पर हो रहे इस आयोजन में लोगों का बड़ी संख्या में जुड़ना ऐसी ही आस्था का प्रतीक है।
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