सेक्स का सही ज्ञान उतना ही जरूरी है, जितना कि दूसरे विषयों का ज्ञान। हमारे देश में मेडिकल कॉलेज तक में सेक्स एजुकेशन नहीं दिया जाता, जिसके परिणामस्वरूप सेक्स संबंधी अंधविश्वास, भ्रांतियां और इससे जुड़ी कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
यह कहना है एसोसिएशन ऑफ सेक्सुअलिटी एजुकेटर्स, काउंसलर्स एवं थेरेपिस्ट्स के अध्यक्ष डॉ. महेश नवाल का। उनका कहना है कि यदि सही उम्र में यौन शिक्षा दी जाए तो किशोर मातृत्व, अनचाहे गर्भ, यौन अपराध, गुप्त रोग तथा एड्स जैसी गंभीर और लाइलाज बीमारियों से बचा जा सकता है। साथ ही सेक्स संबंधी समस्याएं जैसे- हस्तमैथुन से उत्पन्न अपराधबोध, नपुंसकता , स्वप्नदोष , धातु रोग और लिंग के आकार को लेकर विभिन्न भ्रांतियों से भी आसानी से मुक्त हुआ जा सकता है।
यौन शिक्षा के लिए सही उम्र के प्रश्न पर डॉ. नवाल कहते हैं कि इस विषय पर देशव्यापी बहस की जरूरत है, लेकिन बदलते परिवेश और युवाओं की जिज्ञासाओं को देखते हुए 9वीं-10वीं कक्षा से सेक्स एजुकेशन दिया जा सकता है क्योंकि 13-14 वर्ष की उम्र में लड़के-लड़कियों में शारीरिक परिवर्तन होते हैं।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर से एमबीबीएस डॉ. नवाल का कहना है कि सही यौन शिक्षा मिलने से लड़के-लड़कियां अपने शारीरिक परिवर्तनों से घबराएंगे नहीं, नकारात्मक रूप से नहीं सोचेंगे और शारीरिक परिवर्तनों को सहज रूप से लेकर जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे देश में सेक्स संबंधी वैज्ञानिक व तार्किक पहुलओं पर खुलेआम चर्चा नहीं होती। इस विषय पर बात करना भी वर्जित माना गया, जबकि गुप्तांग भी शरीर के वैसे ही अंग हैं, जैसे कि अन्य अंग।
क्या सेक्स एजुकेशन से लड़के-लड़कियों में प्रयोग करने की प्रवृत्ति नहीं बढ़ेंगी? इस सवाल पर वे कहते हैं कि यह एक भ्रम है। अपने जवाब के पक्ष में तर्क देते हुए नवाल कहते हैं कि स्वीडन, नार्वे तथा अन्य देशों का रिकॉर्ड बताता है कि यौन शिक्षा के बाद सेक्स संबंधी प्रयोग करते की रुचि कम होती है और सही जानकारी से उनकी वे सभी जिज्ञासाएं शांत हो जाती हैं, जिनकी पूर्ति के लिए वे प्रयोग करते हैं अथवा करना चाहते हैं। इतना ही नहीं जिन देशों में यौन शिक्षा दी गई वहां सेक्स से जुड़े अपराधों में भी कमी आई।
बढ़ते बलात्कार और सेक्स संबंधी अपराधों के संबंध में उन्होंने कहा कि सेक्स में असंतुष्ट व्यक्ति गलत तरीके से संतुष्टि हासिल करने के लिए इस तरह की क्रियाएं करता है। इसके लिए अन्य कारण गिनाते हुए डॉ. नवाल ने कहा कि नैतिकता का पतन, नशाखोरी की प्रवृत्ति, अश्लील साहित्य, पोर्न मूवी देखकर भी व्यक्ति यौन अपराध करता है। हस्तमैथुन के प्रति अपराधबोध भी इसका एक कारण है।
क्या वेश्यालयों को लाइसेंस देकर इन अपराधों को कम किया जा सकता है? वे कहते हैं कि जिन देशों में वेश्यालयों को लाइसेंस दिए गए वहां यौन अपराधों में कमी आई है। अत: भारत में इस दिशा में सोचा जा सकता है।
अमेरिकन बोर्ड ऑफ सेक्सोलॉजी से डिप्लोमेट की मानद उपाधि प्राप्त डॉ. नवाल मानते हैं कि सेक्स का संबंध शरीर से ज्यादा मन से होता है। ब्रेन में भी सेक्स का एक सेंटर होता है, जो विभिन्न संवेदनाओं के जरिए उत्तेजित होता है।
वे कहते हैं कि यौन समस्याओं का कारण भले ही मानसिक हो अथवा शारीरिक, लेकिन एक बात की कमी सभी व्यक्तियों में समान रूप से पाई गई है, वह है यौन शिक्षा का अभाव। सेक्स एजुकेशन न होने से व्यक्ति सेक्स संबंधी अनेक मानसिक परेशानियों से घिर जाता है, जो कि वास्तव में होती ही नहीं हैं। आधी-अधूरी जानकारी के कारण व्यक्ति ऐसी समस्या को स्वयं विकराल बनाकर आत्मग्लानि का शिकार हो जाता है।