मोदी सरकार कह रई है कांग्रेस वालों से. भैया पास कर लेन देओ. तुम ही लाए थे GST, हम आगे बढ़ा रहे हैं. GST होना चाहिए, इससे सब सहमत हैं. किस रूप में होना चाहिए, इस पर मतभेद हैं. लेकिन इससे क्या सच्ची में फायदा होगा?सब जानते हैं GST की फुल फॉर्म. गुड्स एंड सर्विस टैक्स. लेकिन इसके आगे क्या? ये बिल पास हो जाएगा तो आम आदमी की लाइफ क्या वाकई आसान हो जाएगी? GST बिल लोकसभा में पास हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में अटका हुआ है. राज्य सरकारों और कांग्रेस को इस संशोधित बिल के कुछ पॉइंट्स से दिक्कत है, इसलिए बेचारा बिल अटका हुआ है. मोदी जी का दिल भी अटका हुआ है.
आओ समझ लेयो, GST के बारे में सब कुछ. बहुत सरल तरीके से.
सारे टैक्स को मिलाकर उनका शेक बना दिया
फुल फॉर्म है, गुड्स एंड सर्विस टैक्स. अभी आप सामान और सेवाओं की एवज में केंद्र और राज्य सरकारों को अलग-अलग टैक्स चुकाते हैं बहुत सारे.
दिल्ली से आगरा जाते हो आप? यमुना एक्सप्रेसवे से? रास्ते में कितनी जगह टोल टैक्स देना पड़ता है? हमारे अंकलजी फ्रस्ट हो जाते हैं. कहते हैं कि सारा टोल एक साथ ले लेना चाहिए, एक्सप्रेसवे पर चढ़ते या उतरते वक्त. बार-बार गाड़ी रोको, लाइन में खड़े होओ. टोल भरो.
ऐसा ही टैक्स के साथ होता है. आप जो सामान/सेवा लेते हो, उसमें केंद्र और प्रदेश सरकार अलग-अलग टैक्स लेती है. इसीलिए हर स्टेट में पेट्रोल-डीजल, दवा-दारू के दाम अलग हैं. आप खाना 1000 रुपये का खाते हो, 1300 का बिल भरते हो. सर्विस टैक्स अलग, स्टेट का वैल्यू ऐडेड टैक्स (VAT) अलग. छोटे-छोटे कितने सारे टैक्स होते हैं कि आम आदमी तो हिसाब भी नहीं लगा पाता. है ना?
एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स देते हैं, जो केंद्र सरकार की जेब में जाता है. इसके अलावा वैट, एंटरटेनमेंट टैक्स, लक्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स और चुंगी चुकाते हैं, जो जाती है प्रदेश सरकार के खाते में. लेकिन सरकार चाहती है कि ये सात-भांत के टैक्स दफा करके एक ही टैक्स लगाया जाए. इसी टैक्स को GST कहा जाएगा.
सारे टैक्स को शीशी में डालकर मिला दो. एक इकला टैक्स होगा. कश्मीर जाओ या केरल, पूरे देश में वही लागू होगा. ये टैक्स लागू होगा तीन मद में. बनाने, बेचने और कंज्यूम करने में. नोएडा वालों को दिल्ली या हरियाणा से गाड़ी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. दुनिया के कई विकसित देशों में टैक्स का लगभग ऐसा ही इंतजाम है. हालांकि कुछ चीज़ों को GST के बाहर रखा गया है. जैसे, शराब, पेट्रोलियम और तम्बाकू.
दावा है कि इससे टैक्स सिस्टम आसान होगा और बाजार के पट और खुल जाएंगे. कंपनियों-कारोबारियों को कदम-कदम पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा. लालफीताशाही कम होगी.
लेकिन GST की कमाई किसके खाते में जाएगी, केंद्र के या राज्य के?
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