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सुबह के दस बजे
सेंट लुईस हाई स्कूल मनाली हिमाचल प्रदेश
लंच का समय था , सारे बच्चे अपना अपना लंच लेकर गार्डन एरिया में जा रहे थे अपने अपने दोस्तो के साथ लंच करने ।। इस स्कूल में नर्सरी से बारहवी तक के सारे बच्चे पढ़ते थे।। ये स्कूल दो बिल्डिंग में था दोनों बिल्डिंग आमने सामने थी और बीच में प्ले ग्राउंड और गार्डन था।। एक बिल्डिंग में सीनियर स्टूडेंट्स और दूसरी बिल्डिंग में जूनियर स्टूडेंट्स की क्लास थी।।
इसी स्कूल की एक टीचर अपने हाथ में टिफिन बॉक्स लेकर जल्दी जल्दी एक क्लास की ओर जा रही थी।। दूध की तरह गोरी और छोटी आंखे ,तीखी नाक , और लंबे बाल ,उसके नय नखश किसी गुड़िया की तरह थे।। दुबली सी वह लड़की ग्रे और नेवी ब्लू कलर के सलवार सूट में तेजी से आगे बढ़ रही थी।। जिसका नाम यूवानि था ।।
मिस युवानि , अग्नि बाहर गार्डन में जा चुकी हैं अपने दोस्तो के साथ - उसी स्कूल की एक और टीचर मिस प्रिया ने उसी क्लास से बाहर आते हुए यूवानि से कहा।।
अच्छा , हम तो बेकार ही उस बिल्डिंग से इस बिल्डिंग चल कर आ गए अब वापस उतना चलना पड़ेगा - यूवानि ने एक गहरी सांस लेकर कहा।।
चलो कोई बात नहीं , मैं भी उधर ही जा रही हूं ।। हम आज साथ ही लंच कर लेते हैं - प्रिया ने कहा।।
यूवानि ने हां में सिर हिलाया और प्रिया के साथ बाहर की ओर जाने लगी।।
मै तो बहुत खुश हूं एक महीने बाद स्कूल की छुट्टियां लगने वाली है ।। वैसे छुट्टियों में क्या प्लान हैं तुम्हारा , अगर कुछ नहीं है तो हमारे साथ चलो नैनीताल घूमने - प्रिया ने कहा।।
सॉरी लेकिन हम आपके साथ नहीं आ पाएंगे दरअसल छुट्टियों में श्रेया की सगाई और शादी है हरिद्वार में , तो हम वहीं बिज़ी रहेंगे - यूवानि ने मुस्कुराकर कहा।।
अच्छा , चलो कोई बात नहीं , बहन की शादी एन्जॉय करो तुम - प्रिया ने कहा।।
बातें करते करते वे दोनों गार्डन एरिया में आ गई।।
यूवानि को देखते ही एक छोटी सी और प्यारी सी लगभग पांच साल की लड़की उसके पैरो से लिपट गई।। और यूवानि के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।।
मम्मा , चलिए ना मुझे बहुत भूख लग रही है - उस छोटी बच्ची ने कहा।।
हां बेटा , मम्मा को भी बहुत भूख लगी है - यूवानि ने उस लड़की के सिर पर हाथ फेर कर कहा।।
अग्नि आप आज अपने दोस्तो के साथ लंच नहीं करोगे - प्रिया ने उस छोटी सी बच्ची से मुस्कुराते हुए पूछा ।। जो यूवानि की बेटी थी जिसका नाम अग्नि था।।
नो मैम , आज ना मम्मा सुबह सुबह बाथरूम में रो रही थी, शायद मम्मा परेशान हैं इसलिए आज मैं मम्मा के साथ लंच करूंगी क्योंकि मैं तो मम्मा की एंजेल हूं ना , मुझे देख कर मम्मी रोती नहीं है।। इसलिए मैं अब मम्मा के साथ ही रहूंगी - अग्नि ने प्रिया के कान में धीरे धीरे कहा।।
प्रिया बस हैरानी से मुस्कुरा दी और चौंक कर यूवानि को देखने लगी।। और अग्नि की समझदारी भरी बातें सुन कर उसके बालों में हाथ फेरने लगी।।
अग्नि अपना लंच करके अपने दोस्तो के साथ खेलने चली गई तो प्रिया कहने लगी - यार पिछले चार साल से हम साथ हैं लेकिन तुमने आज तक मुझे अपने अतीत के बारे में नहीं बताया ।। खुद इतने सालो से अपने आप में घुट रही हो , आखिर ऐसा क्या हुआ तुम्हारे साथ जो तुम मुझे नहीं बताना चाहती और ना ही अग्नि के पापा के बारे में कुछ बताती हो , उनका नाम तक नहीं ।।
हम समय आने पर आपको सब कुछ बता देंगे लेकिन अभी हम आपको कुछ नहीं बता पाएंगे - यूवानि ने दूसरी ओर देखते हुए कहा।।
ठीक है मैं इंतजार करूंगी कि कब तुम मुझे अपने अतीत के बारे में बताओगी - प्रिया ने कहा।।
दोपहर को यूवानि , अग्नि के साथ घर आ गई।। उनका घर दिखने में बेहद खूबसूरत था जो दिखने में सफेद रंग का हवेली जैसा था जिसके अंदर आने के रास्ते में गार्डन था।। घर में सुनंदा जी और केशव जी पहले से ही उन दोनों का इंतजार कर रहे थे।।
अग्नि घर आते ही गेट से अंदर आकर नानी नानी कहते हुए सुनंदा जी से लिपट गई।।
अरे मेरा बच्चा , वापस आ गया घर - सुनंदा जी ने अग्नि के गालों पर चूम कर कहा।।
नानी मां , मैंने आपको बहुत मिस किया - अग्नि ने सुनंदा जी की गोद में बैठते हुए कहा।।
अच्छा , मैंने भी आपको बहुत मिस किया ढेर सारा - सुनंदा जी ने अपने हाथो को फैला कर कहा।।
अच्छा अनी बेटा जाओ और जाकर फ्रेश हो जाओ , हमने आज आपकी पसंद का खाना बनाया है - सुनंदा जी ने कहा तो अग्नि अपने कमरे की ओर जाने लगी तो केशव जी कहने लगे - अनि बेटा आपको बस अपनी नानी से ही प्यार है ।। हमने भी तो आपको कितना मिस किया लेकिन आप हमसे मिले ही नहीं ।।
सॉरी नानु , मैंने आपको भी बेहद मिस किया लेकिन अभी ना मुझे बहुत जोरो की भूख लगीं हैं इसलिए - अग्नि ने अपने पेट पर हाथ फेर कर कहा।।
वहां बैठे सुनंदा जी , केशव जी और यूवानि मुस्कुरा दिए।।
अच्छा सॉरी बेटा , हमें तो पता ही नहीं था कि आपको भूख लगी है नहीं तो हम आपको यूं बातों में नहीं उलझाते - केशव जी ने प्यार से कहा ।। कोई बात नहीं - कहकरअग्नि ने उनके गालों में किस किया और अपने कमरे की ओर भाग गई।।
यूवानि बेटा आप भी फ्रेश होकर नीचे आ जाओ , और खाना खा लो - केशव जी ने कहा।।
यूवानि ने मुस्कुरा कर हां में सिर हिलाया और अपने कमरे में चली गई।।
सोफे पर सुनंदा जी और केशव जी बातें करने लगे ।।
आप कब बात करेंगे यूवानि से - सुनंदा जी ने परेशानी से केशव जी से कहा।।
शाम में बात करते हैं उससे ।। लेकिन मुझे नहीं लगता वह मानेगी इस बार भी।। पिछले दो सालों से तो मना मना कर थक चुके हैं - केशव जी ने चिंतित स्वर में कहा।
तो क्या वो सारी ज़िन्दगी अकेले ही रहेगी ।। सुनिए जी ,ज़िन्दगी बहुत लंबी होती है और इसका सफर अकेले नहीं काटा जा सकता वो भी एक छोटी बच्ची को लेकर ।। जमाना बहुत खराब है केशव जी - सुनंदा जी की आवाज़ यह कहते हुए भर्रा गई थी।।
आप टेंशन ना लो आज शाम को अर्जुन आ रहा है और वाणी के साथ , और श्रेया भी किकु के साथ आ रही हैं तो सबके साथ बात करने में ही ठीक रहेगा ।। यूवानि को सिर्फ अर्जुन और वाणी ही समझा सकते हैं , हालांकि वो दोनो भी यूवानि को शादी के लिए फोर्स करने के खिलाफ है लेकिन हमारे कहने पर वे दोनों एक बार कोशिश करेंगे - केशव जी ने एक गहरी सांस लेकर कहा।।
हम्म - सुनंदा जी ने कहा।।
शाम के करीब सात बजे केशव जी के घर की डोरबेल बजी ।। सुनंदा जी ने दरवाजा खोला तो उनके सामने दो लड़की और दो लड़के खड़े थे ।। लड़की की उम्र चौबीस साल थी जो दिखने में बिल्कुल सुनंदा जी की तरह दिख रही थी गोल मटोल और गोरे रंग की उसकी छोटी छोटी आंखे थी , जब वह हंसती थी तो उसकी आंखे बंद हो जाती है ।। जिसका नाम श्रेया था।।
और उन दोनों लड़कों में से एक की उम्र चौबीस साल थी जो श्रेया का जुड़वा भाई था जिसका नाम अर्जुन था।। ऊंचा पूरा , और तीखे नयन नक्श में वह बिल्कुल केशव जी की तरह दिखता था।।
और दूसरे लड़के की उम्र अठारह साल थी वह थोड़ा गोल मटोल लेकिन क्यूट दिखता था वह केशव और सुनंदा जी का छोटा बेटा था जिसे घर में सब किकू कह कर बुलाते थे।।
अर्जुन , श्रेया और किकू ने एक साथ सुनंदा जी को घेर कर उन्हे गले लगा लिया।।
ये क्या कर रहे हो तुम लोग , हटो जरा मुझे मेरी बहू से तो मिलने दो - सुनंदा जी ने मुस्कुराते हुए कहा।।
ये लो, ये हमारी ही मम्मा है ना या फिर भाभी की - श्रेया ने झूटी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा।।
सुनंदा जी ने वाणी को देखते ही अपनी बाहें फैला दी। वाणी आकर सुनंदा जी के गले लग गई।।
चलो भई यहां हमें कुछ नहीं मिलने वाला , हम अपने बाबा के पास ही चलते हैं - कहकर श्रेया और किकू केशव जी के गले लग गए।।
वैसे मम्मी जी आपके लिए एक और सरप्राइज है - वाणी ने दरवाजे की ओर इशारा किया तो दरवाजे से एक बूढ़ी औरत अपनी छड़ी के सहारे अंदर आ रही थी और उसके पीछे पीछे एक और लड़का आ रहा था जो उस बूढ़ी महिला की देखभाल करता था और उसी के साथ रहा करता था।।
मां जी - कहते हुए , सुनंदा जी की आंखे हैरानी में चौड़ी हो गई।। वह जल्दी से उस बूढ़ी औरत के पांव छूने लगी।।
रे बिंदनी रहने दे , कितनी बार कहा है कि मैं आज कल की मोडरन सास हूं ।। मन्ने कोनी पसंद ये पांव छूना - उन बूढ़ी महिला ने कहा ।।
ठीक है ठीक है मां जी - सुनंदा जी ने कहा और उन बूढ़ी महिला के हाथ पकड़ कर उन्हे अंदर ले आईं।। जो केशव जी की मां और सुनंदा जी की सास थी जिनका नाम सुनीता था।।
मामू - कहते हुए अग्नि सीढ़ियों से जल्दी जल्दी निचे उतर ने लगी ।।
बच्चू ,बच्चू - आराम से , आराम से आइए , हम कहीं भागे नहीं जा रहे - अर्जुन ने अग्नि की चिंता करते हुए कहा।।
अग्नि दौड़ते हुए आईं और अर्जुन के गले लग गई ।। अर्जुन ने उसे गोद में उठा लिया और उसके बालो और गालों को चूमने लगा।।
रे छोरी , मैं भी यही हूं , तन्ने मेरी याद कोनी आई ।। बस जे अपने बंदर मामू की याद आई के - सुनीता जी ने सोफे पर बैठ कर अपने दोनो हाथ फैलाते हुए कहा।।
बड़ी नानी मां - कहते हुए अग्नि सुनीता जी के गले लग गई।।
रे थारी मां किधर से।। नजर कोणी आरी - सुनीता जी ने कहा।।
हम यहां है नानी मां - यूवानि ने मुस्कुराते हुए सीढ़ियों से नीचे आते हुए कहा।। और निचे आकर
सुनीता जी के पैर छू कर उनके गले लग गई।।
जीती रहे म्हारी छोरी - सुनीता जी ने यूवानि के बालों में हाथ फेरते हुए कहा।।
ये मां जी तो हमेशा यूवानि का सपोर्ट करते आईं हैं कहीं इस बार भी ये मना ही ना कर दे ।। सारे जहां की लड़कियों की शादी कराने वाली मेरी सास को अपने घर की ही लड़की की शादी नहीं करनी हैं - सुनंदा जी टेबल पर खाना लगाते हुए बड़बड़ा रही थी।।
सभी लोग खाना खा कर हॉल में ही बैठे हुए थे।। अग्नि अपने कमरे में सो चुकी थी।। केशव जी ने अर्जुन और वाणी को इशारा किया तो उन दोनों ने सिर हिला कर आंखो से ही केशव जी को आश्वस्त किया।।
कुछ मिनट बाद अर्जुन यूवानि से कहने लगा - यूवानि वैसे तो हम सब शादी के बारे में तुम्हारा फैसला जानते हैं लेकिन फिर भी यूवानि एक बार उस लड़के से मिल कर तो देखो।। यार दुनिया बहुत जलिम है और खतरनाक भी , और तुम्हारा अकेले रहना ठीक नहीं है ।।
अर्जुन हम आप सबको पहले ही बता चुके हैं कि हम शादी नहीं कर सकते तो आप लोग क्यों हमें फोर्स कर रहे हो- यूवानि ने नाराजगी जताते हुए कहा।।
यूवानि बस एक बार अभिक ( श्रेया का मंगेतर ) के भाई से मिल लो ।। क्या पता तुम्हारा फैसला बदल जाए - श्रेया ने भी यूवानि से मिन्नत करते हुए कहा।।
आप लोग समझ क्यों नहीं रहे हैं , हम नहीं कर सकते कोई शादी वादी - यूवानि ने बेबसी से कहा।।
यूवानि आप बस अभिक के भाई से एक बार मिल लीजिए उसके बाद आखरी फैसला आपका ही होगा ।। वे बहुत अच्छे हैं , अगर तुम उनसे मिलने के लिए राजी हो जाओ तो हम उनसे तुम्हारे रिश्ते के लिए बात कर लेंगे - वाणी ने कहा।।
रे तम लोगों ने इस छोरी को परेशान करने का ठेका कोनी ले रखो ।। जो तम लोग हर बार इसकी शादी के पीछे भिड़े रहते हो ।।
वैसे छोरी लड़का तो मन्ने भी घणा चोखो लागे से , एक बार मिलने में कोई हर्ज कोणी ।। म्हारा मन भी कर रिया से तुझे उसके साथ देखने को ।। रे छोरी एक बार मिल ले तू उस छोरे से - सुनीता जी ने लगभग ऑर्डर देते हुए कहा।।।
सब लोग हैरानी और आश्चर्य से सुनीता जी को देखने लगे।।
वैसे तो नानी मां हमेशा हमारा सपोर्ट करती हैं लेकिन इस बार दादी मां पहली बार हमसे कुछ चाह रही है ।। कोई बात नहीं दादी की बात का मान रख लेते हैं , वैसे भी हम कौनसा उनसे शादी करेंगे , मिलना ही तो है मिल लेंगे ।। उन्हे अग्नि और अपने तलाक के बारे में बता देंगे तो वे खुद ही पीछे हट जाएंगे इस शादी से - यूवानि ने अपने मन में सोचते हुए कहा।।
ठीक है , हम तैयार है - यूवानि ने कहा तो सबके चेहरों पर मुस्कान आ गई।।
मां अब हम चलते हैं घर , अग्नि सो चुकी हैं तो आप उसका ध्यान रख लीजिए गा - यूवानि ने घड़ी में टाइम देखते हुए कहा जो रात के ग्यारह बजा रही थी।।
रे छोरी , इतनी रात में कहीं जाने की जरूरत कोणी, आज यही रुक जा ।। कल चले जाना अपने घर - सुनीता जी ने कहा।।
हां बेटा आज यहीं रुक जाओ - सुनंदा जी और केशव जी ने कहा तो यूवानि ने हां में सिर हिला दिया और अग्नि के कमरे की ओर बढ़ गई।।
दूसरी ओर देहरादून में
खुराना विला
अग्रीय हम सब तुम से बस इतना चाहते हैं कि तुम दूसरी शादी कर लो ।। वो वापस नहीं आने वाली , याद नहीं उसने खुद डिवोर्स पेपर पर साइन किए थे - अग्रीय की मां मीनाक्षी जी ने कहा।।
मां वो वापस आए या ना आए लेकिन मैं दूसरी शादी नहीं करूंगा - अग्रीय ने लगभग फैसला सुनाते हुए कहा।।
ठीक है अगर तुम दूसरी शादी नहीं करोगे तो मेरे मरने के बाद मेरी लाश के पास भी मत आना - मीनाक्षी जी ने लगभग रोते हुए लेकिन कठोर स्वर में कहा।।
मां , ये क्या बोल रही है आप - अग्रीय ने बेबसी से कहा।।
सच बोल रही हूं मैं ।। अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मेरे मरने के बाद मेरे पास भी नहीं आओगे तुम - मीनाक्षी जी ने कहा।।
ठीक है मैं तैयार हूं - कहकर अग्रीय घर से बाहर निकल गया।।
और देहरादून की एक वादी में चट्टान पर चढ़ कर बैठ गया ।। और अपने हाथ में पहने सोने के ब्रेसलेट को देख कर कहने लगा - क्यों चले गई तुम, क्यों , क्या मेरी गलती की इतनी बड़ी सजा है । जो तुम मुझे खुद से दूर करके दे रही हो - अग्रीय ने रोते हुए तड़पकर कहा।। ठंडी हवाएं उसके चेहरे को छू कर जा रही थी।।
वो कुछ देर वहीं बैठा रहा और जब अंधेरा और ठंड बढ़ गई तो वह उठ कर वापस अपने घर की ओर चल दिया।।
क्रमशः
लीजिए आप सबके सामने एक और कहानी प्रस्तुत हैं।। बात बस इतनी सी है कि मैं इसे लिखने से खुद को रोक नहीं पाई ।। मैं आद्रीका - एक ज़िद या मोहब्बत और ये दोनों ही कहानी कंटिन्यू करूंगी ।।
कृपया कहानी पढ़ने के बाद अपनी अनमोल समीक्षा अवश्य दें ।
धन्यवाद
तय्यबा " टिया"