नई दिल्ली : जब से योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री बने तब से उनके धार्मिक संगठन 'हिन्दू युवा वाहिनी' की चर्चा जोरों पर है। इससे पहले रिपोर्ट आयी थी कि संगठन में शामिल होने के लिए एक दिन में 5,000 से ज्यादा आवेदन आ रहे हैं, लेकिन अब हिन्दू युवा वाहिनी बीजेपी और आरएसएस के लिए मुश्किल बनता जा रहा है क्योंकि संगठन को लेकर शिकायतें लगातार आ रही हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार आरएसएस ने इसको लेकर अपनी चिंता योगी आदित्यनाथ के सामने जाहिर की है।
हिन्दू युवा वाहिनी पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि वह गोरक्षा और हिंदुत्व के नाम पर आम लोगों को प्रताड़ित कर रहा है। आरएसएस व भाजपा के नेताओं की परेशानी का बड़ा कारण यही है। हालाँकि इसका एहसास योगी आदित्यनाथ को भी है इसीलिए पिछले महीने जब वे गोरखपुर गए तो उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी के पदाधिकारियों के साथ अलग से बैठक की। इसमें उन्होंने चेताया था, ‘संगठन के कार्यकर्ता गरिमामय व्यवहार करें। भगवा का दुरुपयोग न करें। सरकारी अफसरों पर भी बेवजह दबाव न बनाएं।
क्या हिन्दू वाहिनी के विस्तार से संघ परेशान है
साल 2002 में योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू युवा वाहिनी की स्थापना की थी। योगी आदित्यनाथ के गुरु अवैद्यनाथ हिंदू महासभा के सदस्य थे और अयोध्या में मंदिर निर्माण का मुदा भी आरएसएस से पहले हिन्दू महासभा ने उठाया था। हिन्दू वाहिनी का जिस तरह विस्तार हो रहा है वह क्या आने वाले समय में सिर दर्द साबित तो नही होगा क्योंकि आरएसएस कभी नही चाहेगा कि उसके सामानांतर कोई हिंदूवादी संगठन खड़ा हो।
योगी की हिन्दू वाहिनी का विस्तार जिस तरह हो रहा है उससे साफ़ है कि आने वाले समय में एक और बड़ा हिंदूवादी संगठन आरएसएस की तर्ज पर खड़ा होगा। इससे पहले हिन्दू वाहिनी ने अलीगढ में एक छात्र संगठन का भी निर्माण किया जो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के ही सामानांतर था।