लखनऊः विधानससभा चुनाव में मतदाताओं की बिगड़ती साख को बचाने की दृष्टि से समाजवादी पार्टी अब एक ऐसा कदम उठाने जा रही है जिससे शायद मतदाताओं का दिल जीता जा सके।
अपने आप मे यह एक नई परम्परा होगी, कहाँ तक और कितना कारगर होगी किसी राजनीति ज्ञ के गले से न उतारने वाली बात है। सत्ता से बेदखल होने के बाद ऐसे कदम उठाये जाना स्वाभाविक है पर उसका कितना लाभ होगा या वर्तमान सरकार समाजवादी पार्टी के माध्यम से प्राप्त आवेदनों पर किस प्रकार कार्यवाही करेगी विचारणीय प्रश्न है।
सत्ता में न होने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने एक जून से समानांतर जनता दरबार लगाने का विचार बनाया है।। इस जनता दरबार मे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लोगों की समस्याएं सुनेंगे और उन्हें सरकार के सामने रखेगे। समाचार ो में अपना स्थान बनाने के उद्देश्य से भी यह कदम पार्टी हित में होगा।
समाजवादी पार्टी का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में लोगों की समस्याओं का निस्तारण नहीं हो रहा है और लोग मायूस लौट रहे है।
समाजवादी पार्टी के जनता दरबार संबंधी यह सूचना पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने दी है। सपा कार्यालय में लोगों की समस्याएं आज भी सुनी जा रही हैं। वहां आने वालों की भीड़ को देखते हुए इसे व्यवस्थित रूप दिया जाएगा क्योंकि लोगों को भाजपा सरकार से निराशा ही मिल रही है। मुख्य प्रवक्ता चौधरी ने कहा कि दो माह में योगी सरकार ने सिर्फ हवाई घोषणाएं की । चौधरी के अनुसार न अपराध रूके, न लूट कम हुई और न जातीय व सांप्रदायिक हिंसा पर रोक लगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार संवैधानिक शपथ की अनदेखी कर राग-द्वेष की भावना से काम कर रही है।
जगह-जगह पुलिस वाले पीटे जा रहे है। भगवा अंगोछे वालों के आगे प्रशासन तंत्र नतमस्तक है। भाजपा राजनीति में अपनी कोई स्वस्थ परंपरा तो स्थापित नहीं कर पाई, उल्टे समाजवादी सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार कर जनता का ध्यान अपनी अकर्मण्यता, अक्षमता से हटाने की कोशिशें की जा रही हैं।