यूपी : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लखनऊ के कालिदास मार्ग स्थित बंगला नंबर-5 में रहना है. लेकिन मंत्री और अधिकारी उनके पड़ोस में बंगला नंबर-6 लेने से बच रहे हैं.
इसकी वजह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगें. दरअसल, इस बंगले के बेहद काला इतिहास रहा है. यह बंगला जिसे भी मिला और उसकी राजनीति करियर से लेकर निजी जिंदगी तक बुरी तरह प्रभावित हुई.
इसमें रहने वाले नेता तरह-तरह की परेशानियों में घिर गए. ऐसे कई नामी नेता और पूर्व मंत्री हैं, जो उस बंगले में रहे और आज तक परेशानियों का सामना कर रहे हैं. लेकिन अब योगी सरकार में पशुधन मंत्री एस पी सिंह बघेल इस बंगले मे रहने जा रहे है. बघेल का कहना है वो इस शुभ अशुभ के चक्कर मे नही पड़ने बाले.
कौन कौन रहा इस बंगले में
मुलायम सरकार के दौरान मुख्य सचिव रही नीरा यादव यहीं रहती थीं. यहां रहने के दौरान ही उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा. नोएडा प्लॉट घोटाले में फंसी और उन्हें जेल भी जाना पड़ा.
सपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमर सिंह भी कालीदास मार्ग बंगला नंबर-6 में रहते थे. अब समय के साथ-साथ उनका राजनीतिक कॅरियर भी मंझधार में है. मुलायम सिंह से उनकी ऐसी ठनी कि उन्हें सपा छोड़नी पड़ी.
प्रमुख सचिव सामाजिक कल्याण रहे प्रदीप शुक्ला यहां आए. वे भी एनएचआरएम घोटाले में फंसे. इसके बाद से इस बंगले को मंत्रियों और सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों को आवंटित किया जाने लगा.
माया सरकार में बाबू सिंह कुशवाहा सबसे ताकतवर मंत्री माने जाते थे. और सीएम आवास के बगल बंगला नंबर 6 में रहते थे. उनके पास कई विभाग थे. लेकिन समय ने पलटा खाया और बाबू सिंह कुशवाहा सीएमओ मर्डर केस के साथ-साथ एनआरएचएम घोटाले में फंसे गए और फिर लैकफेड घोटाले में भी उनका नाम आया. बाबू सिंह कुशवाहा इस घर से निकले तो जेल पहुंचे और आज भी जेल में ही बंद हैं.
2012 में अखिलेश सरकार बनीं तो यह बंगला राजेंद्र चौधरी को आवंटित किया गया. अभी 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि उनसे एक महत्वपूर्ण विभाग छीन लिया गया और वे महज पेंशन मंत्री रह गए. इसके बाद चौधरी ने इसकी वजह बंगले का अशुभ होना माना और उसे खाली कर दिया.
इस बंगले को अखिलेश के करीबी जावेद आब्दी को दिया गया. बंगला मिलते ही आब्दी को यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पद से हटा दिया गया.