लखनऊ : मेरठ, इलाहाबाद सहित यूपी के कई नगर निगमों में वंदे मातरम को लेकर हुए विवाद को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संकीर्ण मानसिकता करार दिया है। राजभवन में 'द गवर्नर्स गाइड' किताब का विमोचन करते हुए योगी ने कहा, 'हम 21वीं सदी में भारत को आगे ले जाना चाहते हैं, लेकिन विवाद है कि हम राष्ट्रगान-राष्ट्रगीत गाएंगे की नहीं। यह चिंता का विषय है। यह संकीर्णता को दिखाता है।'
इलाहाबाद में सपा पार्षदों ने किया था विरोध
मालूम हो कि इलाहाबाद नगर निगम में भी बीजेपी पार्षदों ने कार्यवाही की शुरुआत में राष्ट्रगीत गायन को अनिवार्य बनाए जाने के प्रस्ताव रखा तो समाजवादी पार्टी के पार्षदों ने विरोध किया। बरेली और वाराणसी में भी इसी मुद्दे पर विवाद हुआ। मामले में महापौर नगर निगम मेरठ हरिकांत अहलुवालिया ने कहा कि मैंने सदन में राष्ट्रगीत का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसका असर कार्यकारिणी की बैठक में देखने को मिला। कोई भी राष्ट्रगीत का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
संविधान में राष्ट्रगीत को राष्ट्रगान के समान दर्जा
भारतीय संविधान में राष्ट्रगीत को राष्ट्रगान के समान ही सम्मान का दर्जा दिया गया है, चाहे सदन हो या सड़क राष्ट्रगीत का अपमान किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।सपा पार्षद शाहिद अब्बासी ने मामले में कहा कि हम किसी विवाद में पड़ना नहीं चाहते इसलिए राष्ट्रगीत के समय सदन में मौजूद ही नहीं थे। राष्ट्रगीत का गान करने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता। राष्ट्रगान के समय सभी लोग मौजूद रहते हैं और राष्ट्रगान गाते भी हैं, क्योंकि राष्ट्रगान का सम्मान करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है।