एक ख़त " बेटी का माँ के नाम "
माँ मेरी माँ मुझे पता चला है,मैं तेरी कोख में हूँ ,ये जान ना लेना मेरी जान,मैं डरने लगी हूँ , पिघलने लगी हूँ,सोच यही की मैं लड़की हूँ ,मुझे डर लगता है , ये जान ,की पता चली मेरी पहचान तो तू मिटा ना दे तेरी लाड़लीकी पहचान ,मैं नहीं करूँगी तंग तुझे,बस मुझे अपनी भाहों मैं भरकर थोड़ा प्यार ही दिखा देना म