shabd-logo

साइकिल की कहानी

10 जुलाई 2015

3918 बार देखा गया 3918
featured image

साइकिल का अविष्कार किसने और  कब  किया , इस पर हमारे  इतिहासकार एकमत नहीं है| पर फिर भी हमको तो  इतिहास के कुछ पन्नों को टटोलना ही था, तो हमें ये जानकारियां मिलती हैं जैसे- -"लियोनार्डो दे विन्ची "की पैन्टिन्ग मैं मिली थी साइकिल की पहली डिज़ाइन, यह पैन्टिन्ग बनायीं थी सन १४९२ मैं यानि तक़रीबन ५२० साल पहले| -लियोनार्डो की पेंटिंग के तक़रीबन १५० साल बाद फ्रांस मैं चार पहियों वाली मशीन का अविष्कार हुआ | यह कुछ-कुछ साइकिल की तरह दिखती थी | _दो पहियों वाली साइकिल जर्मनी मैं बनी थी | अविष्कारक थे "बेरोंन कार्ल वार्न ड्रेस डी साउबरन"| वर्ष १८१७ मैं उन्होंने १४ की.मी. तक उसकी सवारी की थी| १८१८ मैं इस अनोखी मशीन को लोगो ने पहली बार पेरिस मैं लगायी एक प्रदर्शिनी मैं देखा| _२४ जुलाई १८८३ को ठीक १३० साल पहले मास्को के गुड़दौड़ मैदान मैं रूसी इतिहास मैं पहली बार अन्तराष्ट्रीय साइकिल दौड़ की मेजबानी की गयी| यह तिथि रूसी साइकिल के जन्मदिन के रूप मैं मनाई जाती है | _बाइसिकल एक फ्रान्सिस शब्द है | वर्ष १८६० मैं पहली बार फ्रांस मैं ही दो पहियों वाली सवारी को बायसकल यां साइकिल कहा गया| _अबाउट डट काम के अनुसार "पियरे एंड आर्नेस्ट "को आदुनिक साइकिल का अविष्कारक माना जाता है | यह दो नहीं तीन पहियों वाली साइकिल थी| उसे उन्होंने १८६७ मैं बनाया था | _वर्ष १८७० मैं काठ की साइकिल की जगह धातु की साइकिल बनने लगी| इसका अगला पहियां पिछले पहियें से बड़ा होता था | _वर्ष १८८० के आस पास जब चेन का अविष्कार किया गया, तो साइकिल के पहियों को एक जैसा बनाया जाने लगा| इंग्लैंड के निवासी हेन्स रोनाल्डो ने चैन का अविष्कार किया | साइकिल की पहली रेस ३१ मई ,१८६८ को हुई थी | यह १२०० मीटर की थी | इसके विजेता इंग्लैंड के जेम्स मुरे थे | _न्यूयार्क मैं "पडलिंग बाइसिकल मेउसीएम " मैं पुरानी साइकिलओं का संग्रह देखा जा सकता है | -साइकिल चलना अच्छा व्यायाम माना जाता है | -योगिता वार्डे(खत्री )


योगिता वार्डे ( खत्री ) की अन्य किताबें

योगिता वार्डे ( खत्री )

योगिता वार्डे ( खत्री )

धन्यवाद विजय जी

10 जुलाई 2015

विजय कुमार शर्मा

विजय कुमार शर्मा

सामान्य ज्ञान से संबंधित एक उत्कृष्ट जानकारी

10 जुलाई 2015

योगिता वार्डे ( खत्री )

योगिता वार्डे ( खत्री )

दिल से धन्यवाद उषा जी आप सभी ऐसे ही उत्साह बढ़ाते चलें मैं यूहीं लिख्ती रहूंगी|

10 जुलाई 2015

10 जुलाई 2015

उषा यादव

उषा यादव

बहुत बढ़िया प्रस्तुति...योगिता जी, धन्यवाद आपका !

10 जुलाई 2015

मंजीत सिंह

मंजीत सिंह

सच में इस बारे में मैंने न कभी जान ने की कोशिश की थी , न मुझे इस बारे में पता था .. मुझे पढ़ना अच्छा लगता है लेकिन इतना कभी नहीं सोचा था

10 जुलाई 2015

योगिता वार्डे ( खत्री )

योगिता वार्डे ( खत्री )

बहुत बहुत धन्यवाद डॉ. शिखा जी अगर साइकिल का जमाना लोट आया तो हे हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ही अच्छा होगा |

10 जुलाई 2015

योगिता वार्डे ( खत्री )

योगिता वार्डे ( खत्री )

धन्यवाद शब्दनगरी

10 जुलाई 2015

डॉ. शिखा कौशिक

डॉ. शिखा कौशिक

saikil ka zamana laut kar aa raha hai .rochak v gyanvardhak post hetu badhai

10 जुलाई 2015

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

बहुत अच्छी जानकारी, देश के कुछ शीर्षस्थ संस्थानों में आज भी कितने ही सुधीजनों को साइकिल का प्रयोग करते देखा जा सकता है लेकिन छोटी-छोटी दूरियों को भी तय करने में कितने ही लोग स्कूटर और मोटरसाईकिल का प्रयोग करते हैं ये हैरत की बात है...लेख हेतु धन्यवाद !

10 जुलाई 2015

1

जय हो प्रभु

5 जुलाई 2015
0
6
1

है प्रभु ! फिर क्यों नही हो सकता रेलवे का पूर्ण जन्म , ऐसे ही कुछ शुरू हुआ सुरेश प्रभु के द्वारा रेल बजट,यह रेल बजट वाकई अच्छा बना है | सुरेश प्रभु ने लोलीपोप बाटने के बजाए रेलवे को आधुनिक और बेहतर बनाने का संकेत दिया है. यह पहला मौका है जब कोई नयी ट्रैन का एलान नहीं हुआ | यह बजट विकास और बेहत

2

संगत का असर

5 जुलाई 2015
0
7
7

यह बहुत पुरानी बात है| एक नगर मैं एक सेठ रहता था|उसका बहुत बड़ा और लम्बा चोडा कारोबार था और घर पर भी किसी वस्तु की कमी नहीं थी| पर उस सेठ को एक चिंता अंदर ही अंदर खाय जा रही थी क्योंकि सेठ का एक ही बेटा था और वह भी गलत सांगत मैं पड़ा हुआ था यही चिंता सेठ को खा रही रही| आखिर ये पूरा कारोबार उसी को

3

साइकिल की कहानी

10 जुलाई 2015
0
8
12

साइकिल का अविष्कार किसने और  कब  किया , इस पर हमारे  इतिहासकार एकमत नहीं है| पर फिर भी हमको तो  इतिहास के कुछ पन्नों को टटोलना ही था, तो हमें ये जानकारियां मिलती हैं जैसे--"लियोनार्डो दे विन्ची "की पैन्टिन्ग मैं मिली थी साइकिल की पहली डिज़ाइन, यह पैन्टिन्ग बनायीं थी सन १४९२ मैं यानि तक़रीबन ५२० साल

4

ब्रह्माण्ड

10 जुलाई 2015
0
11
14

 ब्रह्माण्ड से पहले अंतरिक्ष नहीं, आकाश भी नही था, छिपा था क्या कहाँ,किसने देखा था?अनेको प्रश्न है जिनका कोई  एक निश्चिंत रूप से  उत्तर देने वाला ठोस  सिद्धांत अभी तक सामने नही आया है| पर कहा जाता है की सृष्टि की उत्त्पति आज भी रहस्य है । ब्रह्मांड का आकर अण्डाकार है,ब्रह्माण्ड से पहले कुछ भी नही था

5

आज का विचार

11 जुलाई 2015
0
8
6

"परिवर्तन के बगैर प्रगति संभव नहीं,और जो अपनी सोच मैं बदलाव नहीं ला सकते, वे कुछ भी नहीं बदल सकते"| -"जार्ज बर्नार्ड शॉ"

6

भाषाएँ हमारी धरोहर

12 जुलाई 2015
0
8
6

भारतीय भाषाएँ और लिपियाँ इस समय भारत मैं ७८० भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं,और हमारे भारत ने पिछले ५० वर्षों मैं २५० भाषाएं लुप्त हो चुकी हैं| पीपल भाषाई सर्वेक्शण का भारत ( PLSI ) देश के व्यापक भाषाई सर्वेक्शण को पूरा कर लिया हैं और उसकी रिपोर्ट मैं सितम्बर मैं ७२ पुस्तकें समाहित ५० वोलुम मैं

7

आज का विचार

19 सितम्बर 2015
0
9
3

जिस दिन आप अपनी सोच को बड़ा कर लेंगे, उसी दिन से बड़े- बड़े लोग आपके बारे मैं सोचना शुरू कर देंगे!

8

जीवन "ईश्वर की महिमा "

23 सितम्बर 2015
0
8
6

जीवन "ईश्वर की महिमा "हमें ईश्वर की महिमा को प्रकट करने के लिए पैदा किया गया है, जो हमारे भीतर है| यह हममें से सिर्फ कुछ लोंगो मैं नहीं है ; यह तो हर एक मैं है| हम ही अपने विकल्पों द्वारा स्वयं को निर्धारित करते हैं ( की हम कहाँ है )। सिर्फ इंसानो मैं ही आत्मा -जागरूकता होती है इस बात से फर्क नहीं प

9

हिंदी मेरी शान

16 अक्टूबर 2015
0
7
6

 क्यों हो रही भाषा मैं छुआछूत की भावना,  हिंदी को छोड़ क्यों बड़ रही अंग्रेजी की भावना|   नाम मेरा हिंदी मैं है , नाम तुम्हारा हिंदी मैं है , फिर भी कहते " hi , hello " हम अंग्रेजी मैं ।  क्यों हो रही भाषा मैं छुआछूत की भावना, हिंदुस्तान का नाम बड़ा है दुनिया मैं ,  फिर क्यों नहीं देते सम्मान इसे दुनिय

10

अंध भक्ति यां अंधविश्वास

31 अक्टूबर 2015
0
9
3

 समय के आभाव से मंदिर जाना मेरा कम  ही होता है , पर फिर भी सप्ताह मैं १ बार जर्रूर जाती हूँ , अब आज की बात ले लो , सुबह मंदिर मैं दर्शन हो जाने पर मैं मंदिर की सीढ़ियों पर बैठी  हुयी थी मेने देखा की एक बूढी महिला मंदिर के बाहर भीख मांग रही थी  और एक के बाद एक लोंगो का आना होता रहा , कोई  दूध चढ़ा रहा

11

आओ दीप जलाएं

9 नवम्बर 2015
0
10
4

आओ मिल जुल एक दीप जलायें, प्यार,सम्मान, एकता की मिसाल दे कर एक नयीं रोशनी जगाएँ।बड़ी- बड़ी लड़ियाँ, बम ओर कहीं जानलेते पटाखों को छोड़, हम मिट्टी का दीप जलाएँ,ग़रीबों की मदद करें ओर सबकी ख़ुशियों में शामिल हो जाएँ, आओ मिल जुल एक दीप जलाएँ,आओ मिल जुलकर एक दीप जलाएँ।शब्दनगरी के सभी सदस्यों को मेरी तरफ़

12

क्या महिलाओं और पुरुषों मैं अंतर है ?

14 दिसम्बर 2015
0
2
14

क्या महिलाओं और पुरुषों मैं अंतर है ? क्यों एक को श्रेष्ठ (महान) और एक को हीन समझा जाता है ? समाज मैं रूढ़िवादिता क्यों खत्म नहीं हो रही या हम करना ही नहीं चाहते ?

13

मकर संक्रांति

15 जनवरी 2016
0
8
2

देखो देखो उड़ चली, मेरी पतंग उड़ चली,लहरातीं ,इठलातीं ,बलखाती,एक नयीं दिशा दिखाती,आसमान से बातें करती देखो देखो उड़ चली, मेरी पतंग उड़ चली!!सभी मित्रों व शब्दनगरी को पतंग उत्सव की  हार्दिक शुभ कामनाएँ !!  - योगिता वार्ड  

14

एक ख़त " बेटी का माँ के नाम "

9 फरवरी 2016
0
7
4

माँ मेरी माँ मुझे पता चला है,मैं तेरी कोख में हूँ ,ये जान ना लेना मेरी जान,मैं डरने लगी हूँ , पिघलने लगी हूँ,सोच यही की मैं लड़की हूँ ,मुझे डर लगता है , ये जान ,की पता चली मेरी पहचान तो तू मिटा ना दे तेरी लाड़लीकी पहचान ,मैं नहीं करूँगी तंग तुझे,बस मुझे अपनी भाहों मैं भरकर थोड़ा प्यार ही दिखा देना म

15

भगवान का मनुष्य से सवाल

10 अप्रैल 2016
0
17
11

     हे मनुष्य - एक बात बता क्या मेने तुझसे कहा है की मेरी पूजा करो ।मनुष्य ने कहा - "नहीं "भगवान ने मनुष्य से कहा - फिर एक बात बताओ की तुम दिन देखो ना रात मुझे हर वक़्त बेवक्त क्यों पूजते हो ।मनुष्य ने कहा - हे भगवन तुम ही ने तो ये दुनिया बनायी है तुम ही इसके मालिक हो, अब तुम ये केसी बातें कर रहे ह

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए