क्या महिलाओं और पुरुषों मैं अंतर है ? क्यों एक को श्रेष्ठ (महान) और एक को हीन समझा जाता है ? समाज मैं रूढ़िवादिता क्यों खत्म नहीं हो रही या हम करना ही नहीं चाहते ?
14 दिसम्बर 2015
क्या महिलाओं और पुरुषों मैं अंतर है ? क्यों एक को श्रेष्ठ (महान) और एक को हीन समझा जाता है ? समाज मैं रूढ़िवादिता क्यों खत्म नहीं हो रही या हम करना ही नहीं चाहते ?
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"जितने वाले कोई अलग काम नही करते,वे हर काम अलग ढंग से करते हैं" हिंदी प्रेमी D
ध्न्यवाद शानू जी , पीताम्बर जी , सुरेश जी
28 जनवरी 2016
नेहा जी हर जगह ऐसा तो वही है परन्तु नारी को भी खुद अपने अन्दर बदलाव लानाहोगा हमारे देश मे शदियों से नारी शक्ती का एक बिल्छण रूप देखा गया है कुछ हमारी परमंपरीएं कुछ लीगल फोल्स ये सब मिलकर येसी इसत्थी उत्पन करते है जैसे -बस मे आरछण कि कोई बुजुर्ग व्क्ती बैठा है और एक २०,२१साल की लड़की आती है और कहती है उठिये लेडीज सीट है अब इस्त्थी ए उत्पन होती है कि जो आदमी या औरत अपनी मान्सिक्ता को कमजोर बनाये रखना चहता है तो उस का क्या करे
15 जनवरी 2016
<h5 class="ques_head" style="color: rgb(153, 153, 153);">योगिता जी यही to कहा मैंने की उसको अभी तक ये अहसास ghar से ही बल्कि जन्म से ही कराया jata था की वो कमजोर है लकिन आज के दौर में घर हो <span style="line-height: 1.3em;">लेकिन हम में मै यानी अहम के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है जिसमें बाजारवाद ने भी महिला को केवल भोग के तौर पर प्रचारित एवं दृश्यांकित किया है |</span><span style="line-height: 1.3em;">बहरहाल जब तक हमारी सोच हमारे संस्कार में पुरुष-महिला को लेकर स्पष्ट सोच नहीं होगी समाज में महिला-पुरुष में अंतर विद्यमान रहेगा</span></h5>
13 जनवरी 2016
योगिता जी यही to कहा मैंने की उसको अभी तक ये अहसास ghar से ही बल्कि जन्म से ही कराया jata था की वो कमजोर है लकिन आज के दौर में घर हो या ऑफिस sab जगह महिलाओ पर निभर है .........
30 दिसम्बर 2015
बिलकुल नरेंद्र जी जो हमारे समाज मैं रूडी वादिता चली आरही है उसे ही ख़त्म करना है और पुरानी परम्पराओं को भी ख़त्म करना है जिनसे सिफ हमारा समाज पीछे जा रहा है उसे कभी भी किसी का भला नहीं होने वाला ...
26 दिसम्बर 2015
<p>मेंनहींमानताकीमहिलाओऔरपुरुषोंमेंकोईअंतरहेयेतोहमेंऔरसमाजकीमनोगतिहेजोरूढ़िवादिताअभीतकचलतीआरहीहेऔरहमजैसेइसकोसाथदेतेहेक्योकिहमभीयहीसोचतेहेकीसमाजजोसोचताहेवहीसहीहेइसीलिएपूर्वजपहलेहीबोलगएकीभारतअबभीहमारीसोचाकागुलामहेजोसहीहे</p> <br>
25 दिसम्बर 2015
सन्दर्भ में ??????
24 दिसम्बर 2015
अर्चना जी महिलाएं न कभी कमजोर थी न है और न ही होगी …। ये तो सिर्फ लोगों की समझ का फरक है … एक माँ बेटी बहु जो हर रिश्ता ख़ुशी khushi nibhati है बिना कोई शिकायत किय ..... दर्द मैं तड़पती है पर परिवार को नहीं batati ... त्याग , प्रेम ... par फिर भी कही न कही उसे वो सम्मान नहीं मिल पता जिसकी vo hakdar hai ... par 21 वि सदी की नारी कुछ करके दिखाना चाहती है or दुनिया को बदल सके इतनी शक्ति rakhti hai ....।
21 दिसम्बर 2015
<p>योगिता जी .....महिलाये पुरुषो के साथ हर कदम पर बराबर चल सकती है .हर वो काम कर सकती है लेकिन कभी उनके बीच का अंतर नहीं नहीं ख़त्म हो सकता ......बचपन से ही लड़को के मन में ये बात भर जाती है की लडकिया कमजोर होती है और हमेशा उनको हींन समझते है .जबकि सच तो ये है .....हर<span style="line-height: 1.42857;"> कंपनी को अपने उत्पाद पर थोड़ा भी विश्वास नहीं होता तभी कोई भी विज्ञापन हो बिना महिला के नहीं होता है ........अब आप ही बताये कौन कमजोर है ......</span></p>
20 दिसम्बर 2015