नई दिल्ली : अगस्त 2014 में मोदी सरकार की बहुचर्चित जनधन योजना में उन लोगों के बैंक अकाउंट खोले गए जिनके पास बैंक अकॉउंट नहीं थे। दावा किया गया कि इस योजना के तहत बड़ी संख्या खाते खोले गए लेकिन कई लोगों ने सवाल उठाये कि दरअसल ऐसे अधिकतर खातों में बैलेंस जीरो है। उत्तरप्रदेश में बरेली की रहने वाली गृहणी कमलेश ने जनधन योजना के तहत 'पंजाब एंड सिंह बैंक' में जीरो बैलेंस अकॉउंट खोला। एक साल में जनधन योजना के तहत खुले 17.90 करोड़ खातों में से अधिकतर जीरो बैलेंस वाले थे। क्योंकि इस योजना के तहत खुलने वाले ज्यातर खाते गरीब लोगों थे।
वही इस साल अगस्त में जब कमलेश बैंक में गई और अपना पासबुक अपडेट किया तो उसे पता चला कि उसके अकॉउंट में एक रुपया जमा था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कमलेश का कहना है कि उसने कभी अपने अकॉउंट में एक रुपया भी जमा नहीं किया और न ही उसे पता है कि ये एक रुपया उनके अकॉउंट में कहाँ से आया।
रिपोर्ट के अनुसार जब 6 राज्यों के 25 गावों में जाकर ऐसे मामलों की पड़ताल की गई तो उन्होंने पाया कि ऐसे कई खातों में बैंक कर्मियों ने खुद अपने जेब से एक रुपया इन अकॉउंट में जमा किया या बैंक के रखरखाव के लिए रखे गए रूपये इन खातों में डाले गए। जानकारों की माने तो अगर ऐसे किसी के अकॉउंट एक रुपया जमा किया जा सकता है तो इन खातों का इस्तेमाल अन्य गतिविधियों में भी हो सकता है।
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार 20 बैंकों के ब्रांच मैनेजर ने उन्हें बताया कि उनपर जीरो बैलेंस के खाते कम दिखाने के दबाव के चलते ऐसा किया गया। एक आरटीआई के अनुसार 18 सार्वजानिक बैंकों के 1.05 करोड़ जन धन खातों में 1 रुपया जमा किया गया। साल 2014 में जहाँ जीरो बैलेंस अकॉउंट से संख्या 76 प्रतिशत थी वहीँ साल 2015 में यह 46 प्रतिशत हो गए और इस साल अगस्त में यह 24.35 प्रतिशत रह गए।