नई दिल्लीः पहले खुद की आदत बदलो, खुद नजीर बनो। फिर शिष्यों को कहने का हकदार बनो। तभी अपील में असर होगा।... यही फलसफा है देश की 21 साल की बैडमिंटन सनसनी पीवी सिंधू के गुरु पुलेला गोपीचंद का। ट्रेनिंग की हर हद से गुजर जाना गोपीचंद का शगल है। समय क पाबंद इतने कि खिलाड़ियों का कोर्ट में एक मिनट लेट होना भी गवारा नहीं।। एक वाकया सुनिए। ओलंपिक नजदीक आया तो पुलेला गोपीचंद ने पहले सिंधू की खाने-पीने की आदत पता की। फिर खुद चॉकलेट और हैदराबादी बिरियानी खाना छोड़ दिया। इसके बाद सिंधू को दो टूक फैसला सुना दिया-आज से तुम्हारा चॉकलेट-बिरियानी खाना बंद। सिंधू ने भी पुलेला की बात मानी और वही किया जो उन्होंने कहा। गुरु के प्रति इस कदर अनुशासन की ही देन है कि चाहे ग्लास्गो में कॉमनवेल्थ हो या फिर आज रियो ओलंपिक। हर जगह सिंधू ने धमाल मचाकर इतिहास रच दिया। सिंधू पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गई हैं, जिन्होंने ओलंपिक में रजत पदक जीता।
बाहर का पानी नहीं पीती सिंधू, न खाती हैं मिठाई
पुलेला गोपीचंद ने पीवी सिंधू की सेहत के लिए कड़ी बंदिशें लगा रखीं हैं। बाहर का पानी भी नहीं पी सकती। यहां तक कि मंदिर का प्रसाद भी खाने पर गोपीचंद ने पाबंदी लगा रखी है।
अपने ट्रेनिंग सेंटर के सभी खिलाड़ियों को गुलेलाचंद ने ब्रेड और शुगर के सेवन से भी पाबंदी लगा रखी है।
और जब गोपीचंद ने कहा-जोर-जोर से चिल्लाए बिना नहीं छूने देंगे रैकेट
ओलंपिक के नजदीक आने पर हैदराबाद स्थित गोपीचंद की अकेडमी में जब हर रोज की तरह सिंधू ट्रेनिंग लेने पहुंची तो गोपीचंद ने उन्हें रोक दिया। कहा कि, बीच कोर्ट में आकर जब तक वे जोर-जोर से नहीं चिल्लाएंगी तब तक वे रैकेट छूने नहीं देंगे। सिंधू परेशान हो गईं। क्योंकि इससे पहले सिंधू महज खामोशी से ही अपना खेल जारी रखती थी। सिंधू चिल्लाने के लिए नहीं तैयार थीं तो गोपीचंद अपनी जिद पर अड़े थे। यह देख सिंधू रो पड़ी...फिर भी गोपीचंद नहीं पसीजे। काफी देर बाद सिंधू चिल्लाने के लिए तैयार हो गईं।
शॉउट एंड प्ले की सफल रही रणनीति
खेलने के दौरान अंक हासिल करने पर मुट्ठियां बांधकर जोर-जोर से चिल्लाने की धीरे-धीरे गोपीचंद ने सिंधू में आदत डाल दी। जिससे सिंधू की बॉडी लैंग्वेज में आक्रामकता आ गई। नतीजा इसका रियो ओलंपिक में भी काफी लाभ मिला और सिंधू इतिहास रचने में सफल रही।
पिता ने आठ महीने से ले रखी थी छुट्टी
सिंधू के पिता विजया रमन्ना रेलवे में कार्यरत हैं। जब ओलंपिक में आठ महीने बाकी रहा तो बेटी की तैयारी का हवाला देकर उन्होंने छुट्टी ले ली। पूरे आठ महीने तक घर से लेकर बेटी के ट्रेनिंग सेंटर तक साथ निभाते रहे। घर में मां विजया रमन्ना भी हर समय बेटी के संतुलित खान-पान और तमाम जरूरतों का ख्याल रखतीं रहीं। तब जाकर सिंधू शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हो सकीं।