नई दिल्ली : कहते है बच्चा अपने घर से ही संस्कारिक बनता है. यह बात सही है कि वह बचपन से घर में जो होता है, उसे देख-देख कर जवान हो जाता है और वह गुण उसके अंदर समा ही जाता है. चार बरस पहले जब यूपी के सीएम की कुर्सी अखिलेश यादव को मिली तो उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.इन बीते सालों में वह सीएम की कुर्सी पर बैठकर सूबे की राजनीति और सियासत दोनों में परिपक्य हो चुके हैं. जिसके चलते दो दिन पहले उन्होंने अपनी सियासत की ऐसी चाल चली की खुद मुलायम सिंह यादव भौचक्के रह गए.
UP के CM ने लगाए एक तीर से दो निशाने
इस बात की चर्चा सत्ता के गलियारों से लेकर यूपी के पान बेचने वाले खोखों तक पर खड़े लोगों की जुबान से सुनने को मिल रही है. दरअसल अपनी सरकार के खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद को बर्खास्त कर उन्हें तो सीएम अखिलेश यादव ने पैदल ही कर दिया. साथ ही अपने भाई प्रतीक यादव की जेब पर भी कैंची मार दी. मसलन सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी. दूसरी तरफ सूबे की जनता के बीच यह मैसेज भी दे दिया की भ्रष्टाचार को कतई उनकी सरकार माफ़ नहीं करेगी.
बंद हुई प्रतीक की दुकान
सूत्रों के मुताबिक सीएम अखिलेश यादव के छोटे भाई प्रतीक यादव की दुकान गायत्री प्रसाद के खनन विभाग से ही चल रही थी. बताया जाता है की मोटी रकम कमाकर गायत्री से कई बिल्डरों के साथ प्रतीक ने पार्टनरशिप की है. इनमें से एक बिल्डर को अभी हाल में राज्यसभा का सांसद भी प्रतीक के कहने पर मुलायम सिंह ने बनवाया है. बताया जाता है कि इसीलिए अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे मंत्री गयात्री प्रसाद प्रजापति को बर्खास्त कर एक तीर से दो निशाने लगा दिए.
राजनीति के दांव पेंच में माहिर हुए अखिलेश
इनमें से पहला तो यह कि उन्होंने अपने ही भाई प्रतीक की जेब काट दी और दूसरी सूबे की जनता को यह संदेश दे दिया कि उनकी पार्टी की सरकार भ्रष्टाचारियों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी. बहरहाल राजनीति के माहिर अखिलेश भी अब अपने पिता के गुण उनके संस्कार से इतने दिनों में सिख ही गए.