देहरादून : उत्तराखंड के कई पूर्व मुख्यमंत्री सत्ता से जाने के बाद भी सरकारी बंगलों पर डटे हुए हैं। अब नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा है कि वह इन सरकारी बंगलों को खली करवाने के लिए क्या कर रही है और यह कब तक खाली करवाये जाएंगे। सामाजिक सामाजिक कार्यकर्ता अवधेश कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने ये बात कही। वहीँ उत्तराखंड सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट से कहा कि इन पूर्व मुख्यमंत्रियों से कई सुविधाएं तो हटा ली गई हैं लेकिन अभी पूर्व सीएम बंगला खाली नही कर रहे हैं।
सरकारी बंगला खाली न करने वाले इन मुख्यमंत्रियों में तीन बीजेपी के और दो कांग्रेस के मुख्यमंत्री शामिल हैं। गौरतलब है कि जिन मुख्यमंत्रियों के नाम इसमें आये हैं उनमे बीजेपी सरकार के सीएम भुवनचंद खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशंक, और भगत सिंह कोश्यारी शामिल हैं जबकि कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों में विजय बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी का नाम इसमें शामिल है।
याचिकाकर्ता के वकील कार्तिकेयन गुप्ता ने बताया कि अदालत ने यह निर्देश पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा अपने वकीलों के जरिये अदालत को यह बताने के बाद दिया कि सरकारी आवास राज्य सरकार द्वारा आवंटित किये गये हैं और उसके कहने के बाद ही उन्हें खाली किया जा सकता है। पद से हटने के वर्षों बाद भी लखनउ में वर्षो से सरकारी बंगलों पर काबिज उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को उन्हें खाली करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद कौशल ने पिछले महीने उत्तराखंड उच्च न्यायालय से छह साल पहले दायर इसी प्रकार की याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था।