लखनऊ : यूपी में टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी में अभी भी फूट पड़ी हुई है. जिन पुराने दिग्गज नेताओं का पार्टी से टिकट कटा है. उन नेताओं और उनके समर्थकों में अभी तक आक्रोश व्यापत है. आलम यह है कि बीजेपी को अब समझ में आ रहा है कि जिन लोगों के टिकट प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या और संगठन मंत्री सुनील बंसल ने कांटे हैं, वो संगठन के लिए काफी मजबूत पिलर थे. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत पुरे प्रदेश में बीजेपी के पुराने नेता और कार्यकर्ता अपने ही संगठन को हराने पर तुले हुए हैं. जिसके चलते विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के शीर्ष नेताओं को भीड़ जुटाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. चुनाव के बीच मंझधार में फंसी पार्टी को किसी तरह यूपी में अपनी सरकार बनाने के लिए अब इस बला को टालने कि कोशिश में जुट गयी है. इसी के चलते वाराणसी कि दक्षिणी विधानसभा से सात बार चुने गए विधायक श्यामदेव राय चौधरी का टिकट कांटने के बढ़ पार्टी ने अब उन्हें एमएलसी बनाने का फैसला किया है.
अमित शाह को किया गया गुमराह
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की टीम के सबसे भरोसेमंद माने जाने वाले यूपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या और संगठन मंत्री सुनील बंसल ने टिकट बंटवारे में पार्टी के कई ऐसे पुराने दिग्गज नेताओं के टिकट कांट दिए हैं, जिसको लेकर पिछले एक महीने से बीजेपी में सुनाई दे रहे बगावत के सुर अभी तक शांत नहीं हो सके हैं. यहाँ तक कि इन बगावत के सुरों का असर अब चुनाव कि सभाओं में भी साफ दिखने लगा है. जिसके चलते पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को अब यह बात समझ में आ रही है कि जिन लोगों को उन्होंने भरोसेमंद समझा था उन्होंने किस तरह से सूबे में बगावत शुरू करा दी है. जिसके चलते कम से कम पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ये बगावत शांत हो सके. इसलिए श्यामदेव राय चौधरी को पार्टी ने अब टिकट कांटने के बाद एमएलसी बनाने का फैसला किया है.
रूठे श्यामदेव को मानाने में जुटी बीजेपी
गौरतलब है कि अपने इलाके में दादा के नाम से मशहूर श्यामदेव राय चौधरी का बीजेपी ने टिकट काट दिया था, लेकिन उनकी नाराज़गी के नुकसान को भांपते हुए बीजेपी अब उन्हें मनाने में जुट गई है. बताया जाता है कि बीते कई दिनों से बड़े नेता दादा को मनाने में लगे हैं, लेकिन अभी बात नहीं बनी है. सूत्रों के मुताबिक बात बनते न देख बीजेपी ने दादा को एमएलसी बनाने का लालच दिया है. हालांकि अब तक साफ नहीं है कि दादा इस ऑफर से मानेंगे या नहीं. इस ऑफर पर अब तक दादा की प्रतिक्रिया नहीं आई है. बीजेपी के लिए मुश्किल ये है कि वाराणसी की 8 में सात सीटों पर बीजेपी को मुश्किल का सामना है. विश्लेषकों की राय ये है कि अगर दादा नहीं माने तो इसका खासा नुकसान बीजेपी को चुनावों में झेलना पड़ सकता है.
जनता के दिलों पर राज चलता है श्यामदेव राय का
श्यामदेव राय चौधरी का जब टिकट काटा गया था तब स्थानीय लोगों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया था. दरअसल श्यामदेव राय चौधरी अपने इलाके में सात बार के विधायक तो हैं ही, साथ-साथ खासे लोकप्रिय भी हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि वो बहुत ही आसानी से उपलब्ध होते हैं. छोटे-छोटे आयोजनों में जनता के साथ देखे जाते हैं. हरदम अपनी जनता की परेशानी दूर करने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाने में थोड़ा भी संकोच नहीं करते. ऐसा नामुमकिन है कि दादा को कोई अपने घर बुलाए और वो हाज़िर न हो. उनकी ये सरतला उन्हें अपने इलाके का दादा बनाती है. फिलहाल श्यामदेव राय चौधरी की यही आदत और जनसेवा का भाव लोगों को खासा प्रभावित करता है.
शाह को हुआ गलती का अहसास
सूत्रों के मुताबिक जिस वक्त श्यामदेव राय चौधरी का टिकट कांटा जा रहा था, तभी कुछ पार्टी के नेताओं ने इसका विरोध किया था, लेकिन अमित शाह को अपने संगठन के इन दोनों सिपहसालारों पर इतना अधिक विश्वास था कि शाह ने अन्य लोगों कि बोलती बन्द करने के लिए एक नेता को चौधरी की तरफदारी करने के चक्कर में जबरदस्त फटकार लगा दी थी. बताया जाता है कि पार्टी के भीतर चल रही एक दूसरे को नीचा दिखाने की ये होड़ अब राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भी समझ में आ रही है. लेकिन देर अधिक हो जाने के कारण वह श्यामदेव राय चौधरी को पार्टी का टिकट नहीं दे सकते, लेकिन उन्होंने शीर्ष नेताओं से उन्हें एमएलसी बनाये जाने की बात कही है. बहरहाल अब दादा बीजेपी के शीर्ष नेताओं की बात मानेंगे या नहीं. ये तो वक्त ही बताएगा.
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