नई दिल्ली : यूपी की सियासत में अब दलित वोट बैंक को लेकर मारामारी शुरू हो गयी. जिसके चलते विधानसभा चुनाव से पूर्व सरकार ने संविदा पर सफाई कर्मचारियों के रिक्त पडे पदों को भरे जाने के लिए नियुक्तियां किये जाने का फैसला लिया है. बताया जाता है कि अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी अपने पाले से किसी भी जाति का वोट बैंक किसी और दल के पाले में जाने नहीं देना चाहते हैं. जिसके चलते सीएम अखिलेश ने बसपा सुप्रीमों मायावती का वोट बैंक का झुकाव अपने पाले में करने के लिए इन पदों को भर्ती किये जाने का फैसला किया है.
माया ने स्वर्ण वोट हथियाने के लिए चली थी यह चाल
गौरतलब है कि इससे पहले मायावती ने भी अपने कार्यकाल में यूपी कि पंचायतों में सफाई कर्मियों की भर्ती की थी, जिसमें स्वर्ण जाति कि महिलाओं ने भी बढ़चढ़ कर आवेदन किये थे. यही नहीं नौकरियां भी हासिल की थीं. लेकिन उसके बाद पंचायत कार्यालय के अधिकारियों से सेटिंग कर के अपने स्थान पर सफाई कर्मचारियों को अपनी ड्यूटी की जिम्मेदारी मासिक पैसों के आधार पर तय कर दी थी. वोट बैंक हथियाने का मायावती का यह फंडा उनके लिए सार्थक भी साबित हुआ था.
CM नहीं गंवाना चाहते कोई मौका
इसी तरह सपा सरकार ने भी दलित वोट बैंक हथियाने के लिए 'अबकी बार फिर हमारी सरकार' सीएम अखिलेश ने बसपा सुप्रीमो मायावती का पैतरा चुनाव से पूर्व चलकर बाल्मीकि, धानुक, पासी, कोरी और अन्य जातियों के वोट बैंक का खज़ाना समाजवादी पार्टी में भरे जाने को लेकर ही सूबे के 40 हजार पदों को भरे जाने का फैसला लिया है. फिलहाल अब अखिलेश यादव का यह फैसला अगले विधानसभा चुनाव में कितना सार्थक साबित होगा. यह तो अब चुनाव के नतीजे ही बता पाएंगे. लेकिन इतना साफ है कि अखिलेश अपनी सरकार यूपी में फिर से बनाने के लिए कोई भी मौका अपने हाथ से गंवाना नहीं चाहते हैं.