लखनऊ : लोकसभा और विधानसभा चुनाव में औंधेमुंह गिरी कांग्रेस पार्टी कि अब उत्तर प्रदेश में ये हालत हो गयी है कि उसके अपने कार्यकर्ता ही उसको कोस रहे हैं. 30 साल पहले कांग्रेस का सूबे में एकक्षत्र राज चलता था. जब उसके कार्यकर्ता पार्टी की बुराई तो करना दूर उसके खिलाफ एक लब्ज भी सुनना पसंद नहीं करते थे. लेकिन साल 2014 का लोकसभा चुनाव और फिर साल 2017 में सपा के साथ गांठ से गांठ जोड़कर भी कांग्रेस कोई इतिहास रच नहीं पायी तो उसके कार्यकर्ताओं के सब्र का बांध भी टूट गया है और अब पार्टी के जुझारू नेता ही कांग्रेस के खिलाफ मुंह खोलते नजर आ रहे हैं. इससे यह बात तो साफ है कि कांग्रेस में अब अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं है.
कांग्रेस को मजबूत करने के पक्ष में नहीं हैं राष्ट्रीय नेतृत्व
ताजा मामला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और यूपीए शासनकाल में फ्लैगशिप कार्यक्रम के संयोजक संजय दीक्षित से जुड़ा है. उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया कि ‘मणि शंकर साहब का महागठबंधन का प्रस्ताव और अब सलमान खुर्शीद साहब का लेख , जिसमें उन्होंने सपा से गठबंधन आगे बढ़ाने की पुरजोर वकालत की है, से स्पष्ट नज़र आ रहा है कि हमारा राष्ट्रीय थिंकटैंक धरातल पर मेहनत कर पार्टी को पुनः सशक्त विकल्प के रूप में स्थापित करने के पक्ष में नहीं है. ऐसा लगता है आखिरी कील ताबूत में ठोंकनी बाकी है. हम ऊर्जावान कार्यकर्ता ऐसा नहीं होने देंगे. अब दिल्ली चलने की तैयारी करनी होगी. कही ये महान नेता हमारे नेतृत्व को दिग्भ्रमित न कर दें.
पोस्ट देखते ही अन्य कार्यकर्ताओं के सब्र का टूटा बांध
उनकी पोस्ट आते ही कांग्रेस के अन्य कार्यकर्ताओं के सब्र का बांध टूट गया. राजीव कुमार सिंह लिखते हैं कि- इन लोगों का कांग्रेस से कोई मतलब नहीं. इनको केवल इस बात से मतलब है कि किसी तरह सांसद बने रहें और इनका भला होता रहे. वहीं रमाकांत त्रिपाठी लिखते हैं कि भैया आप केंद्रीय नेतृत्व को जरूर सचेष्ट करें, नहीं तो कांग्रेस का नाम लेने वाला कोई नहीं बचेगा. आप केंद्रीय नेतृत्व को तथ्यात्मक जानकारी दें, हम आपके साथ हैं. कांग्रेस के युवा नेता आशीष दीक्षित कहते हैं कि आपसे निवेदन है कि सकारात्मक सोच के लोगों को एकत्रित करके शीर्ष नेतृत्व तक बात पहुंचाने के लिए दिल्ली कूच किया जाए और नेत्रों से वार्ता होने तक वहीं पर रहा जाए और वापस तभी लौट आ जाए जब तक नेतृत्व किसी ठोस नतीजे तक ना पहुंच जाए.
बड़े नेता पार्टी को बेचने का कर सकते है काम
वह आगे लिखते हैं कि आपकी बात शत-प्रतिशत सही है अगर इसी तरीके से हम लोग खामोश बैठे रहे तो निश्चित ही यह बड़े नेता कांग्रेस पार्टी को बेचने का काम कर देंगे और हम लोगों का भविष्य जो थोड़ा बहुत आशा की किरण नजर आ रही है वह भी अंधकार में हो जाएगा. हम सब लोगों को जागरूक होने की जरूरत है एक होने की जरूरत है और इन बड़े नेताओं से नहीं बल्कि इनकी सोच से लड़ने की जरूरत है. राजेंद्र जेनवार लिखते हैं कि गठबन्धन की दुर्गति देखी अब महागठबंधन करके महादुर्गति देख लेँ...शीर्ष नेतृत्व भी उन्हीँ की सुनेगा...लेकिन हर सच्चे कांग्रेसी को जमकर विरोध करना चाहिए...कदम कदम पर विरोध करना चाहिए.... वहीं आनंद राय कहते हैं कि किसी जमाने में रीता जोशी,जगदम्बिका पाल,आदि भी हमारे थिंक टैंक हुआ करते थे.